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Friday, October 5, 2018

अंग दान में दे दान का महत्व

जीवित या मृत व्यक्ति द्वारा अन्य व्यक्ति को कोई उत्तर ज्ञान का दान करना अंगदान के लाता है लाता द्वारा दान किया गया अब राई के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है इस तरह अनुदान से दूसरे व्यक्ति की जिंदगी को ना केवल बंद पाया जा सकता है भरण खुशहाल भी बनाया जा सकता है ज्यादातर अंग दान दाता की मृत्यु के पश्चात ही होते हैं इस वजह से करीब 50 जरूरतमंद लोगों की मदद की जा सकती है दाने-दाने करने में सक्षम हैअन्य परंतु यह करती किसी भी परिस्थिति में स्थाई नहीं है भारतीय दर्शन में कहा गया ह क्या कोई ऐसा तरीका है जिससे हमारे शरीर का अस्तित्व लंबे समय तक बनाए रखा जा सकता है कहां है अभी गया है कि पशु मेरे मनोज के 100 काम सहारे मनोज मेरे किसी के काम में आवश्यकता है कि मनुष्य मृत्यु पश्चात प्राणी मात्र के काम आ सके यह तभी संभव है जब मृत्यु उपरांत भी हम दूसरे व्यक्ति के जीवित है हमारी आंखें हमारी मृत्यु के पश्चात इस इस श्रेणी के भारतभारत में हर वर्ष करीब की आवश्यकता है जबकि मौजूदा समय में प्रतिवर्ष उत्तर हजार से 80000 गुर्दे ही मिल जा पाते हैं इसी प्रकार करीब 50000 लोग हर वर्ष हार्दिक प्रत्यारोपण की आस में रहते हैं परंतु उपलब्धता केवल 10 से 15 की प्रत्यारोपण के लिए हर वर्ष भारत में 50 गायक रितु के व्यक्तियों को यह मौका प्राप्त होता है यही स्थिति के साथ है एक अनुमान के हिसाब से मृत्यु को प्राप्त होता है अंगदान की दे दानदे दान भी एक ऐसा गांव है जो आज समाज के दे दान दो प्रमुख मनुष्य के यार पति करें पूर्ण रूप से कार्य करना है ऐसे मामलों में व्यक्ति का दिमाग पूर्ण रूप से कार्य करना बंद कर देता है परंतु शरीर के अंग कार्य करते रहते हैं सीधे-साधे व्यक्तियों में बढ़ती कीमतों में लिया जा सकता हैपूर खेद का विषय की प्राचीन रूढ़िवादी उम्मीदों के कारण महात्मा गांधी करने वाले लोगों की संख्या बढ़ती 1000000 व्यक्तियों में आते हैं जबकि विकसित देशों में 10 से 30 से मैं आ सकता है कि हम लोग दान देदे दान के महत्व को समझें और उन लोगों की मदद करें जिनका जीवन किसी के प्रभाव में बड़ा करने के लिए आगे जाकर समाज को मानवीय कार्य के लिए प्रेरित करना चाहिए इस पवित्र कार्य हेतु शिक्षा से समाज में व्याप्त अंधविश्वास को दूर करने के लाभ लोगों तक पहुंचाएं रक्तदान दिवस के रूप में 13 अगस्त 13 अगस्त का दिन मनातीमनाती है समाज में इस व्यक्ति को लिंक नित्य के लिए आगे आए 90 वर्ष की उम्र में कन्यादान कर कैप्टन लक्ष्मी सहगल जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस के संग आजादी की लड़ाई में शामिल थे दो लोगों की जिंदगी में उजाला भर दिया हाल ही में साइटिका डॉक्टर विष्णु प्रभाकर के परिजनों ने उनकी इच्छा अनुसार मृत्यु उपरांत उनकी डे का दान किया पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योतिष समाजसेवी श्री देव में भी उनकी इच्छा मृत्यु प्रदान करने की घोषणा की हैइस हम सभी को करते हुए बहुत के साथ रक्तदान महादान तथा दे दान के लिए संकल्प होना चाहिए ताकि हमारे इस पुनीत कार्य से हमारा कोई भाई बहन जिंदगी को जिंदगी की तरह भाई कौन कर सकता है अंग दान में दे दान कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी धर्म जाति या लिंग को हो अंग दान में दे दान कर सकता है 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति के लिए माता-पिता माता-पिता या कानूनी अभिभावक की सहमति आवश्यक है दाता को अपने जीवन काल में 2 गांव की उपस्थिति में लिखित सहमति प्रदान करनी चाहिए यदि मृत्यु पूरा नहीं किया गया दान में दे दान का अधिकार उस व्यक्ति के पास होता है जिसके पास शव का निवेदन कानूनी रूप से मान्य है
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