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Tuesday, October 23, 2018

भारत की महत्वपूर्ण शब्दावली ओं का संक्षिप्त वर्णन

 शून्यकाल
               संसद के दोनों सदनों में प्रश्नकाल के ठीक बाद के समय को शुन्यकाल कहा जाता है यह 12:00 बजे प्रारंभ होता है और एक बच्चे दिन तक चलता है शून्यकाल का लोकसभा या राज्यसभा की प्रक्रिया तथा संचालन नियम में कोई उल्लेख नहीं है इस काल अर्थात 12:00 से 1:00 तक के समय को सुनने काल का समय समाचार पत्र द्वारा दिया गया इस काल के दौरान सदस्य और लंबित मामलों को उठाते हैं पर तुरंत कार्रवाई जाते हैं
नोट वर्तमान में शून्य काल 1:00 बजे से 2:00 बजे तक चलता है
सदन का स्थगन सदन का स्थगन द्वार सदन के कामकाज में विनिर्दिष्ट समय के लिए स्थगित कर दिया जाता है यह कुछ घंटे दिन या सप्ताह का भी हो सकता है जबकि सत्रावसान द्वारा क्षेत्र की समाप्ति हो
 विघटन विघटन केवल लोकसभा का ही हो सकता है इसलिए लोकसभा का अंत हो जाता है
अनुपूरक प्रश्न
                   सदन में किसी सदस्य द्वारा अध्यक्ष की अनुमति में किसी विषय जिसके संबंध में उत्तर दिया जा चुका है कि स्पष्टिक कराने हेतु अनुपूरक प्रश्न पूछने की अनुमति प्रदान की जाती
तारा किंग प्रश्न जिन प्रश्नों का उत्तर दीजिए तुरंत सदन में चाहता है उसे तारा की पसंद आ जाता है तारा की प्रश्नों का उत्तर मुखी किया जाता है तथा तारा किट प्रश्नों के अनुपूरक प्रश्न भी पूछे जा सकते हैं इससे प्रसन्न का ताला लगाकर अन्य प्रश्नों से इसका भेद किया जाता है
ए तारा कीट पर्सन जिन प्रश्नों का उत्तर सदस्य लिखित चाहता है उन्हें तारा के तारा कीट पर्सन कहा जाता है ऐसा राखी प्रश्न का उत्तर सदन में नहीं दिया जाता है और इन प्रश्नों का अनुपूरक प्रश्न नहीं पूछे जाते हैं
स्थगन प्रस्ताव स्थगन प्रस्ताव पेश करने का मुख्य उद्देश्य किसी और लव फिल्म में नहीं है लोक महत्व के मामले की वह सदन का ध्यान आकर्षित करना है जब इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जाता है तब सदन एल आई विल बी न लोकमत वैकेंसी मामले पर चर्चा करने के लिए सदन का नियमित कार्य रोक देता है इस प्रस्ताव को पेश करने के लिए न्यूनतम 50 सदस्यों की स्वीकृति आवश्यक है
अल्प सूचना प्रश्न जो पर्सन विलंबित लोग मैच में क्या हुआ था वह साधारण पर्सन के लिए निर्धारित 10 दिन की अवधि से कम सूचना देकर पूछा जा सकता है उन्हें अल्प सूचना प्रश्न कहा जाता है
संचित निधि संविधान के अनुच्छेद 266 में संचित निधि का प्रावधान है संचित निधि में धन संसद में प्रस्तुत अनुदान मांगों के द्वारा ही वे किया जाता है राज्यों को करो एवं शुल्क में से उनका अंश देने के बाद जो धन बढ़ता है निधि में डाल दिया जाता है राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक आदि के वेतन तथा भत्ते इसी निधि पर भारित होता है
आकस्मिक निधि संविधान के अनुच्छेद 267 के अनुसार भारत सरकार एक कश्मीर नीति की स्थापना करेगी इसमें जमा धनराशि का विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार किया जाता है संसद की स्वीकृति के बिना इस मंत्र से धन नहीं निकाला जा सकता है विशेष परिस्थितियों में राष्ट्रपति अग्रिम रूप से इस निधि से धन निकाल सकता है
आधे घंटे की चर्चा जिन प्रश्नों का उत्तर सदन में दे दिया गया हो उन प्रश्नों से उत्पन्न होने वाले मामलों पर चर्चा लोकसभा में सप्ताह में 3 दिन दिया था सोमवार बुधवार तथा शुक्रवार को बैठने के अंतिम आधे घंटे में की जा सकती है राज्यसभा में ऐसी चर्चा किसी दिन जिस सभापति नियत करें सामान्य 5:00 से 5:30 के बीच की जा सकती है ऐसी चर्चा का विषय पर्याप्त लोकमत वे का होना चाहिए तथा विषय हाल के किसी तारा के तारा की योजना का पंजा हो और जिनके उत्तर में के किसी अज्ञात मामला का स्पष्टीकरण आवश्यक हो ऐसी चर्चा को उठाने की सूचना कम से कम 3 दिन पूर्व दी जानी चाहिए
अल्पकालीन चचाई भारत में इस प्रथा की शुरुआत 1953 ईस्वी के बाद हुई इसमें लोक साहित्य के प्रश्न पर सदन का ध्यान आकर्षित किया जाता है इस चर्चा के लिए स्पष्ट कारणों सहित सदन के महासचिव को सूचना देना आवश्यक है आता है इस सूचना पर कम से कम दो अन्य सदस्यों के हस्ताक्षर होना भी जरूरी है
विनियोग विधेयक विनियोग विधेयक में भारत की संचित निधि पर भारित व्यय की पूर्ति के लिए संघ से पिक धन तथा सरकार के खर्चे तो अनुदान की मांग शामिल होती है भारत की संस्कृति में से कोई धन विनियोग विधेयक जीन ही निकाला जा सकता है
लेखा अनुदान जैसा की विधित है विनियोग विधेयक के पारित होने के बाद ही भारत की संचित निधि से कोई रकम निकली जा सकती है किंतु पर सरकार को इस विधेयक के प्रयोग होने के पहले भी रुपयों की आवश्यकता हो सकती है अनुच्छेद के अंतर्गत लोकसभा लेखानुदान पारित कर सरकार के लिए राशि मंजूर कर सकती है जिसके बारे में विवरण देना सरकार के लिए

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Sunday, October 14, 2018

भारत का विभाजन

भारतीय उप-महाद्वीप का विभाजन और दो नए राज्यों या राष्ट्रों का निर्माण सन 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान (मुस्लिम राष्ट्र) एवं सन 15 अगस्त 1947 को भारत (रिपब्लिक आफ इंडिया) में दोनों राज्यों/राष्ट्रों के विभाजन था जिसके अलग-अलग होने की घोषणा लॉर्ड माउन्ट बेटन ने की। इस विभाजन में न की भारतीय उप-महाद्वीप के दो टुकड़े किये गये बल्कि बंगाल का भी विभाजन किया गया और बंगाल के पूर्वी हिस्से को भारत से अलग कर पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) बना दिया गया। वहीं पंजाब का विभाजन कर पाकिस्तान का निर्माण हुआ इस विभाजन में रेलवे, आर्मी, ऐतिहासिक धरोहर, केंद्रीय राजस्व, सबका बराबरी से बंटवारा किया गया। भारतीय महाद्वीप के इस विभाजन में जिस संस्था ने मुख्य रूप से भाग लिया उसका नाम था मुस्लिम लीग एवं इंडियन नेशनल कांग्रेस तथा जिन मुख्य लोगों ने हिस्सा लिया वो थे मोहम्मद अली जिन्ना, लॉर्ड माउन्ट बेटन, क्रेयल रैडक्लिफ, जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गाँधी एवं दोनों संगठनों के कुछ मुख्य कार्यकर्तागण। इन सब में से सबसे अहम् व्यक्ति थे क्रेयल रैड्क्लिफ जिन्हें ब्रिटिश हुकूमत ने भारत पाकिस्तान के विभाजन की जिम्मेदारी सौंपी थी।

मुस्लिम राष्ट्र की मांग

इस विभाजन का जो मुख्य कारण दिया जा रहा था वो था की हिंदू बहुसंख्यक है और आजादी के बाद यहाँ बहुसंख्यक लोग ही सरकार बनायेंगे तब  भारत के विभाजन की मांग वर्ष डर वर्ष तेज होती गई। भारत से अलग मुस्लिम राष्ट्र के विभाजन की मांग सन 1920 में पहली बार उठाई और 1947 में उसे प्राप्त किया। 15 अगस्त 1947 के दिन भारत को हिंदू सिख बहुसंख्यक एवं मुस्लिम अल्पसंख्यक राष्ट्र घोषित कर दिया गया। 1920 से 1932 में भारत पाकिस्तान विभाजन की नींव रखी गई। प्रथम बार मुस्लिम राष्ट्र की मांग अलामा इकबाल ने 1930 में मुस्लिम लीग के अध्यक्षीय भाषण में किया था। 1930 में ही मोहम्मद अली जिन्ना ने सारे अखंड भारत के अल्पसंख्यक समुदाय को भरोसे में ले लिया और कहा की भारत के मुख्यधारा की पार्टी कांग्रेस मुस्लिम हितों की अनदेखी कर रही है। इसके बाद 1932 से 1942 तक में विभाजन की बात बहुत आगे तक निकल गई थी,  सन 1937 में हिंदू महासभा के 19वें अधिवेसन में वीर सावरकर ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा की भारत एक सजातीय एवं एकजुट राष्ट्र हो सकता है अपितु दो अलग-अलग हिंदू एवं मुस्लिम राष्ट्र के। इन सब कोशिशों के बावजूद भी 1940 में मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन में मोहम्मद अली जिन्ना ने स्पष्ट कर दिया की उन्हें मुस्लिम राष्ट्र चाहिए और इस मुद्दे पर लीग ने बिना किसी हिचकिचाहट के बोला कि हिंदू और मुस्लिम दो अलग-अलग धर्म है, अलग रीती-रिवाज, अलग संस्कृति है और ऐसे में दो अलग राष्ट्रों को एकजुट रखना खासकर तब जब एक धर्म अल्पसंख्यक हो और दूसरा धर्म बहुसंख्यक, यह सब कारण अल्पसंख्यक समाज में असंतोष पैदा करेगा और राष्ट्र में और सरकारों के कार्य में अवरोध पैदा करेगा।

कांग्रेस के कैबिनेट का बहिष्कार

1946 में मुस्लिम लीग द्वारा 'डायरेक्ट एक्शन डे'  बुलाए जाने पर जो हुआ उस घटना से सारे राजनितिक एवं दोनों समुदाय के नेता घबरा गये थे। इस घटना के कारण उत्तर भारत और ख़ास कर बंगाल में आक्रोश बढ़ गया और राजनीतिक पार्टियों पर दोनों राष्ट्र के विभाजन का खतरा बढ़ गया। 16 अगस्त 1946 के 'डायरेक्ट एक्शन डे' को “Great kolkata Riot” के नाम से भी जाना जाता है। 16 अगस्त 1946 को मुस्लिम लीग ने आम हड़ताल बुलाई थी जिसमें मुख्य मुददा था था 'कांग्रेस के कैबिनेट का बहिष्कार' और अपनी अलग राष्ट्र की मांग की दावेदारी को और मजबूत करना। 'डायरेक्ट एक्शन डे' के हड़ताल के दौरान कलकत्ता में दंगा भड़क गया जिसमें मुस्लिम लीग समर्थकों ने हिन्दुओं एवं सिखों को निशाना बनाया जिसके प्रतिरोध में कांग्रेस समर्थकों ने भी मुस्लिम लीग कार्यकर्ताओं के ऊपर हमला बोल दिया। उसके बाद यह हिंसा बंगाल से बहार निकल बिहार तक में फैल गई। केवल कलकत्ता के अन्दर में 72 घंटे के अन्दर में 4000 लोग मारे गए ओर क़रीब 1 ,00 ,000 लोग बेघर हो गए। इन सब के बाद बहुत से कांग्रेसी नेता भी धर्म के नाम पर भारत विभाजन के विरोध में थे। मेरी आत्मा इस बात को अस्वीकार करती है कि हिंदू धर्म और इस्लाम धर्म दोनों अलग संस्कृति और सिधान्तों का प्रतिनिधित्व करते हैं। मुझे इस तरह के सिद्धांत अपनाने के लिए मेरा भगवान अनुमति नहीं देता पर अबतक अंग्रेज़ अपने मकसद में कामयाब हो चुके थे।

इंडियन इन्डिपेंडेंस एक्ट

'डायरेक्ट एक्शन डे' के हादसे के बाद सबको लगने लगा था कि अब अखंड भारत का विभाजन कर देना चाहिए। दो नए राज्यों/राष्ट्रों का विभाजन माउन्टबेटेन प्लान के अनुसार किया गया। 18 जुलाई, 1947 को ब्रिटिश संसद द्वारा “Indian Independence Act” पास किया गया जिसमें विभाजन की रूप रेखा तैयार की गई थी और अंत 1947 में इस ACT को ब्रिटिश संसद अधिकारिक तौर पर पारित किया गया और भारत एवं पाकिस्तान को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया गया।

गांधी जी की हत्या

स्वाधीन भारत को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ा, वे सरल नहीं थीं। उसे सबसे पहले साम्प्रदायिक उन्माद को शान्त करना था। भारत ने जानबूझकर धर्म निरपेक्ष राज्य बनना पसंद किया। उसने आश्वासन दिया कि जिन मुसलमानों ने पाकिस्तान को निर्गमन करने के बजाय भारत में रहना पसंद किया है उनको नागरिकता के पूर्ण अधिकार प्रदान किये जायेंगे। हालाँकि पाकिस्तान जानबूझकर अपने यहाँ से हिन्दुओं को निकाल बाहर करने अथवा जिन हिन्दुओं ने वहाँ रहने का फैसला किया था, उनको एक प्रकार से द्वितीय श्रेणी का नागरिक बना देने की नीति पर चल रहा था। लॉर्ड माउंटबेटेन को स्वाधीन भारत का पहला गवर्नर जनरल बनाये रखा गया और पंडित जवाहर लाल नेहरू तथा अंतरिम सरकार में उनके कांग्रसी सहयोगियों ने थोड़े से हेरफेर के साथ पहले भारतीय मंत्रिमंडल का निर्माण किया। इस मंत्रिमंडल में सरदार पटेल तथा मौलाना अबुलकलाम आज़ाद को तो सम्मिलित कर लिया गया था, परन्तु नेताजी के बड़े भाई शरतचंद्र बोस को छोड़ दिया गया। 30 जनवरी 1948 ई. को नाथूराम गोडसे नामक हिन्दू ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की हत्या कर दी। सारा देश शोक के सागर में डूब गया। नौ महीने के बाद, पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल मुहम्मद अली जिन्ना की भी मृत्यु हो गयी। उसी वर्ष लॉर्ड माउंटबेटेन ने भी अवकाश ग्रहण कर लिया और चक्रवर्ती राजगोपालाचारी भारत के प्रथम और अंतरिम गवर्नर जनरल नियुक्त हुए।

रियासतों का विलय

अधिकांश देशी रियासतों ने, जिनके सामने भारत अथवा पाकिस्तान में विलय का प्रस्ताव रखा गया था, भारत में विलय के पक्ष में निर्णय लिया, परन्तु, दो रियासतों-कश्मीर तथा हैदराबाद ने कोई निर्णय नहीं किया। पाकिस्तान ने बलपूर्वक कश्मीर की रियासत पर अधिकार करने का प्रयास किया, परन्तु अक्टूबर 1947 ई. में कश्मीर के महाराज ने भारत में विलय की घोषणा कर दी और भारतीय सेनाओं को वायुयानों से भेजकर श्रीनगर सहित कश्मीरी घाटी तक जम्मू की रक्षा कर ली गयी। पाकिस्तानी आक्रमणकारियों ने रियासत के उत्तरी भाग पर अपना क़ब्ज़ा बनाये रखा और इसके फलस्वरूप पाकिस्तान से युद्ध छिड़ गया। भारत ने यह मामला संयुक्त राष्ट्र संघ में उठाया और संयुक्त राष्ट्र संघ ने जिस क्षेत्र पर जिसका क़ब्ज़ा था, उसी के आधार पर युद्ध विराम कर दिया। वह आज तक इस सवाल का कोई निपटारा नहीं कर सका है। हैदराबाद के निज़ाम ने अपनी रियासत को स्वतंत्रता का दर्जा दिलाने का षड़यंत्र रचा, परन्तु भारत सरकार की पुलिस कार्रवाई के फलस्वरूप वह 1948 ई. में अपनी रियासत भारत में विलयन करने के लिए मजबूर हो गये। रियासतों के विलय में तत्कालीन गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की मुख्य भूमिका रही।

संघ राज्यों का विलय

भारतीय संविधान सभा के द्वारा 26 नवम्बर 1949 में संविधान पास किया गया। भारत का संविधान अधिनियम 26 जनवरी 1950 को लागू कर दिया गया। इस संविधान में भारत को लौकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया था और संघात्मक शासन की व्यवस्था की गयी थी। डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद को पहला राष्ट्रपति चुना गया और बहुमत पार्टी के नेता के रूप में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया। इस पद पर वे 27 मई 1964 ई. तक अपनी मृत्यु तक बने रहे। नवोदित भारतीय गणराज्य के लिए उनका दीर्घकालीन प्रधानमंत्रित्व बड़ा लाभदायी सिद्ध हुआ। उससे प्रशासन तथा घरेलू एवं विदेश नीतियों में निरंतरता बनी रही। पंडित नेहरू ने वैदेशिक मामलों में गुट-निरपेक्षता की नीति अपनायी और चीन से राजनयिक सम्बन्ध स्थापित किये। फ्राँस ने 1951 ई. में चंद्रनगर शान्तिपूर्ण रीति से भारत का हस्तांतरित कर दिया। 1956 ई. में उसने अन्य फ्रेंच बस्तियाँ (पांडिचेरी, कारीकल, माहे तथा युन्नान) भी भारत को सौंप दीं। पुर्तग़ाल ने फ्राँस का अनुसरण करने और शान्तिपूर्ण रीति से अपनी पुर्तग़ाली बस्तियाँ (गोवा, दमन और दीव) छोड़ने से इंकार कर दिया। फलस्वरूप 1961 ई. में भारत को बलपूर्वक इन बस्तियों को लेना पड़ा[2]। इस तरह भारत का एकीकरण पूरा हो गया।
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Wednesday, October 10, 2018

इस किशन के ह्रदय को आप जानकार हीरां रहव जाओगे जरूर पढ़ें

किसानों के ह्रदय सम्राट , आमजन हितैषी , नैक निर्भीक ,
स्वाभिमानी , राजनीति में ईमानदारी के प्रतिमान ,
सादगी एवं सच्चाई की प्रतिभूति , कठोर व रौबदार
आवाज के धनी , स्पष्ट व बेबाक वक्ता , कुशल प्रशासक ,
उच्च कोटि के विधिवेत्ता , सहकारिता के पुरोधा परम्
आदरणीय स्व.#परसराम_मदेरणा"साब"#को उनकी जयन्ती पर #पुर्व_संध्या पर सादर #श्रध्दांजलि अर्पित करते हैं ।

अपने स्वाभिमान व किसान हितों को ताक पर रखकर
उन्होंने कभी भी किसी भी पद अथवा प्रलोभन के साथ
समझौता नहीं किया और अपने पूरे जीवन में राजनीति के
स्थान पर लोकनीति को अपनाते रहे ।
जो #परसराम_मदेरणा ने कह दिया - सो कह दिया"
इस सिध्दान्त को जीवन मे, समाज मे, राजनीति मे
निर्वाह करने वाले धुन के पक्के, कथनी को करनी मे
बदले वाले, दल मुक्त राजनीति मे विश्वास कर जीवन
भर निस्वार्थ किसानो की सेवा करने वाले
ईमानदार, औजस्वी आवाज व रोबदार चेहरे से प्रशासन
पर अपनी मजबूत पकङ रखने वाले युवाओ के प्रेरणा पुंज
है |

प्रदेश कि राजनीति के लोह्पुरुष परसराम मदेरणा 16
फरवरी 2014 को सदा सदा के लिए मौन हो गए !
लेकिन वे स्मृतियों में सदैव एक युग पुरूष , निस्पृह
कर्मयोगी और कर्मठ जनसेवक के रूप में याद किए
जायेगे !
बहुत कम लोगो को मालूम होगा कि परसराम
जी मदेरणा प. जवाहरलाल जी नेहरू के गहरे संपर्क में थे ,
नेहरू जी के साथ मदेरणा साब ने अनेक दौरे किए !
इंदिरा गांधी ने सदैव उनकी शख्सियत को अहमियत
दी !
राजीव गांधी ने इस रिवायत को निभाया !
मदेरणा साब संभवतया देश के इकलौते राजनेता थे ,
जिन्होंने अपनी जिंदगी में से करीब सतर वर्ष
महात्मा गांधी के दृढ उसूलो पर चलते हुए हरेक रविवार
को मौन रखा !
'श्वेत गांधी टोपी' आजीवन साब के व्यक्तित्व
कि पहचान रही !
संभवतः साब राजस्थान के पहले ऐसे नेता थे जिनसे कांग्रेस
के तीन अध्यक्ष इन्दिरा गांधी , राजीव गांधी व
सोनिया गांधी खुद मिलने जयपुर आवास पर आए ।
साब की दिल्ली तक सीधी एन्ट्री थी ।
साब आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके प्रखर
व्यक्तित्व का सौरभ , कालजयी व्यक्तित्व व दिव्य स्मरण
जन मानस को प्रेरणा देता रहेगा ।
उनकी अभिव्यक्ति का दंबग लहजा प्रजातंत्र में आस्था
रखने वाली भारतीय जनता को सदैव अपनी आवाज़ बुलंद
करने की प्रेरणा देता रहेगा ।

यादों में अमर रहेगें "साब "

शत् शत् नमन् .... ।

#नोट:- #मदेरणा_परिवार की और से #साहब_की_जयन्ती पर कल #पारिवारिक_शोक के कारण किसी भी प्रकार का कार्यक्रम नहीं रखा गया है।
 किसा राजनीति को परिभाषित करने वाले परम् आदरणीय श्री परसरामजी मदेरणा साहब की जयंती पर आपको श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए,

"साब" की लम्बी सोच एवं उच्च विचारों को शब्दों में लिखना तो दूर की बात है हम तो आपकी सोच को समझ ले तो ही किसान वर्ग के लिए उपलब्धि से कम नही है।

देश मे लोकतंत्र को अमलीजामा पहनाने वाले मदेरणा साहब राजनीति से परे सिद्धान्तों पर अडिग रहनेवाले है, जब धौलपुर महाराजा मानसिंह की हत्या से आक्रोशित किसान समुदाय को शांत करने के लिए आलाकमान ने साब को मुख्यमंत्री की कुर्सी ऑफर की गई थी लेकिन साब ने यह कहते हुए कुर्सी ठुकरा दी कि एक जाट की हत्या हुई है, कुर्सी से ज्यादा हमारे जाट भाई से प्रेम है।
आज राजनीति की एक एक नशे किसानपुत्रों की बदौलत चलती है उसकी वजह मदेरणा साहब है, उस जमाने मे संसाधनों की कमी थी ही साथ ही सामंती ताकते हावी थी, लोग वोट देने से डरते थे, तब आपने ऊँटो पर घर घर जाकर किसान वर्गों जागरूक एवं संगठित किया। परिणामस्वरूप वह समय भी आ गया जब सेठ, साहूकार एव ठाकुर लोग भी साहब के दर्शन करने दरवाजे पर खड़े मिलते थे।आप सरकार रहते हुए किसानों के ऐसे कई कानून बना दिए। जो युगों युगों नहीं भूल पाएंगे।आप कुशल राजनेता के साथ एक अच्छे विधिवेता थे जो किसानों के हक के लिए अधिनियम बनाये।वो खुद ड्राफ्टिंग करते थे।ऐसे नेता बहुत कम ही मिलते हैं।आजकल तो कानून आईएएस अधिकारी बनाते हैं।तभी तो भूमि अधिकरण जैसे बिल लेकर आ गए।काश वहां ऐसे नेता होते तो किसान विरोधी कानून नहीं बना पाते।
इतना ही नही, साहब अपने हुलिए से हाई कमान को हिलाकर रख देते थे। राजस्थान के एकमात्र नेता थे जिनके घर आकर हाईकमान हाजरी लगाते थे।
किसान वर्ग आपका जन्मों जन्मों तक ऋणी रहेगा।
कल 6,10,18 सुबह 10,30am पर श्री महिपाल जी मदेरणा जोधपुर से कृष्णनगर चाडी जाते समय ओसियां मैं  चाडी चौराया ओसियां पर कार्यकर्ता से रूबरू होंगे आप जरूर पधारे,,, अपने मिलने वाले मित्रगण व  कांग्रेसी कार्यकर्ता को भी समाचार करके साथ लाये,,,,,,,एक दूसरे को आगे से आगे कॉल या मेसेज करके बोले सा,,,,,,,
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Monday, October 8, 2018

भारत में ब्रिटिश शासन के अवसान के के कारण सामाजिक एवं राजनीतिक संगठनों का उद्देश्य

धार्मिक स्थान और भारत के इतिहासिक गौरव के प्रतिशत अभाव के कारणधार्मिक भावना विकसित करने का कार्य किया है समाज भारतीय संस्कृत चेतना राष्ट्रवाद अगर राजा राममोहन राय या मम्मी व्यक्तित्व के ध उन्होंने ब्रह्म समाज की स्थापना की उस समय ब्रिटिश साम्राज्य के विरूद्ध संघर्ष करना संभव नहीं था इसलिए उन्होंने राजनीतिक जागृति का कार्य जारी रखकर अंग्रेजी लेकिन एक बार फांसी सहित अनेक भाषाओं के जानकार श्री राय ने अपने विचारों के प्रचार के लिए अकबर फ इससे आम जनता उनके विचार जानने सके राम मोहन राय स्वतंत्रता के समर्थक व प्रशासन में सरकारी केजि सेना के बावजूद भारतीय जनमानस में राष्ट्रवाद की भावना पैदा कर दी pp यह किसके पुत्र भाई भाई बताकर भेदp आम भारतीयआम भारतीय विशेष भारतभारत के लोगों ने स्वामी गांव की संस्कृति हो रहा है तब इन्होंने पूरे विश्व में हिंदू संस्कृति को विश्व विख्यात किया और लोगों में दारू में राजनीतिक चेतना जागृत की दुनिया दूसरी महिला मैडम अमेरिका ऑल उन्होंने इन्हों लोगों को हिंदू धर्म संस्कृति को श्रेष्ट बताया और धर्म सुधार के कार्य की सन 18 13 में आयरलैंड की श्रीमती एनी बेसेंट ने इस कार्य को गति प्रदान की तथा भारत में वैचारिक क्रांति की धार्मिक ब्रिटिश राज्य अवस्था भारतीय विद्या से पूरी तरह बिनती देशी राज्यों में धार्मिक संस्थाओं कवियों कलाकारों को कर मुक्त जायदाद ने बंद कर दिया नई मुसीबत में आ गया अंग्रेजीअंग्रेजी की न्याय व्यवस्था भारतीय महंगी दिल का नहीं अपितु प्रशासनिक दृष्टि से भी दोस्तों की आम राजकाज की भाषा अंग्रेजी हो जाने के कारण लोगों की कठिनाइयां बढ़ गई भारतीयों को अंग्रेजी की तुलना में दृष्टि से देखा जाता था स्तर पर शिक्षा का प्रभाव लॉर्ड विलियम बैटिंग के समय में क्या ग्रेविटी सरकार इससेइससे जहां एक और वर्ग तो वहीं दूसरी ओर दूसरे लोग वर्ग द्वारा विदेशी साहित्य पढ़ने से उनकी स्वतंत्रता एवं लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति आस्था बढ़ने लगी और उन्होंने ब्रिटिश सरकार से उसी भाषा में सवाद कर अपने अधिकार प्राप्त के लिए संघर्ष किए अंग्रेज शिक्षा के कारण सामाजिक एवं धार्मिक कृत्यों से भारतीयों का इन होने लगा के कारण भारत में डॉक्टर इन लोगों ने भारत में राष्ट्रीय जागृति भूमिका निभाई
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आंख में तात्या टोपे धौलपुर में विद्रोह करौली अलवर बीकानेर में विद्रोह

टोंक के नवाब वजीर दूल्हा अंग्रेज समर्थक के प्रति टंकी अजंता एवं सेना की सहानुभूति क्रांतिकारियों के साथ ही सेना का एक बड़ा बार विद्रोह से मिल गया था इन सैनिकों के नीमच के सैनिकों ने के साथ नवाब के किले को घेर लिया सैनिकों ने नवाज सपना वसूल कर लिया और नीमच की सेना के साथ दिल्ली जाने टोन पहुंचने पर जनता तात्या टोपे को सहयोग दिया वे टो के जागीदार नसीर अहमद खान ने भी तात्या टोपे का साथिया जग्गी नवाब ने अपने आपको किले में बंद कर दिया धोलपुर महाराजा भगत सिंहटोन प अकबर 1857 में ग्वालियर तो इंदौर के क्रांतिकारी सैनिकों ने धौलपुर में प्रवेश किया धौलपुर राज्य की सेहत अधिकारी क्रांतिकारी से मिल गए विद्रोही ने 2 महीने तक राज्य में अपना अधिकार बनाए रखा दिसंबर का 57 में बाढ़ पटियाला की सेना में धौलपुर से क्रांतिकारी को भगा दिया भरतपुर की सेना विद्यालय विद्रोह को दबाने के लिए भेजी गई परंतु दूर कि मैं जनता के क्रांतिकारियों के साथ छोड़ दिया मगर करौलीकरौली के साथ करौ हेलो बेबी क्लॉथ बंधन सिंह ने अंग्रेजों की संस्था का सेनापति अलवर राज्य की जनता की राष्ट्रीय भावना उसे अधिकारियों के साथ शरदा सिंह विद्रोह को दबाने बीकानेर आज आ रहा है महाराज ने पंजाब व करंट तो सुरक्षा भी प्रदान किया गया चरणों पर महाराज ने कड़ा रुख अपनाकर उन पर नियंत्रण रखा मेवाड़ के महाराणा सरूपे ने अपनी सेना विद्रोह को दबाने के लिए अंग्रेजों की सहायता करने अपने अपने आपने सरकार के दोनों को एक दूसरे के क्रांति गाने बजाओ शाहपुरा मेवाड़ का हिट गाना था शाहपुरा के शासक ने क्रांतिकारियों को सहयोग प्रदान किया व्यवहार की सेना क्रांतिकारियों का पिक्चर करते हुए पकड़ा गया परंतु पुराने किले के दरवाजे नहीं महाराणामहाराणा अंग्रेजी का स्वर्ण तथा सुरक्षा भी प्रदान की लेकिन राज्य की जनता रोशनी दिमाग का जनता ने विद्रोह के दौरान रेजिडेंट को गालियां निकाल कर गा अपने गुस्से का इज़हार किया मेवाड़ के सलूंबर के कोठारिया में शामिल तो अपने क्रांतिकारियों को सहयोग दिया इंसान मिथुन एक और ठाकुर कुशाल सिंह में ताजा टॉपर की सहायता 57 की क्रांति का संपूर्ण राजस्थान की जनता ने अंग्रेजी सरकार जिस प्रकार बात में क्रांति का आंदोलन ठीक उसी प्रकार राजस्थान और विशेष रूप से दक्षिण राजस्थान में गोविंद गिरी के नेतृत्व में आदिवासी क्षेत्र में क्रांति आंदोलन का सूत्रपात किया गया गोविंद गिरी केठीक दक्षिण राजस्थान के गुजराल और मालवा वीडियो को संगठित कर उनकी पत्नी रात बुराइयों को समाप्त करने का प्रयास किया इसी के साथ अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध लोगों को एक सामाजिक सुधारों की जानकारी अपने गुरु गोविंद सामाजिक सुधारों डांस दीवाना की प्रगति के लिए 1913 में बांसवाड़ा की मांगे पानी को भी अपने गुरु गोविंद गिरी के नेतृत्व में धार्मिक और सामाजिक तथा राष्ट्रीय कार्यक्रम में व्यस्त हैं अंग्रेजी सरकार ने सभी भक्तों पर बिना सूचना के गोली मारकर के उनके बड़ी हीसामाजिक सुधा प्रतिक्रिया स्वरुप इन सभी क्षेत्रों के बिलों में राजनीतिक और राष्ट्रीय जागृति उत्पन्न हो गई वह सभी राष्ट्रीय आंदोलन में गोविंद गिरी के मार्ग का अनुसरण करते हुए मेवाड़ में प्रजामंडल आंदोलन कब आरंभ हुआ
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Sunday, October 7, 2018

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के उदय के कारण सांस्कृतिक पुनर्जागरण

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की शुरुआत 19वीं शताब्दी में ही हो चुकी थी इस व्यापक जनांदोलन में अनेक कार्य में भूमिका अदा की किंतु राष्ट्रीय आंदोलन के उदय के विकास में महत्वपूर्ण प्रभाव कार बनाने राष्ट्रवाद केराष्ट्रवाद के विकास के लिए जनक का सॉन्ग देना सरस्वती में राजा राममोहन राय के इनके द्वारा स्थापित आर्य समाज एवं समाज ने भारत में सामाजिक सांस्कृतिक ने जागरण में सेव किया स्वामी दयानंद सरस्वती ने धार्मिक स्वराज्य स्व बल्ले इसइस संबंध में विवेकानंद ने प्रभावित किया कि एक बार तूने भारत द्वारा विश्वजीत आ जाएगा श्रीमती एनी बेसेंट ने कहा कि केवल धर्म ही राष्ट्रवाद को प्रेरणा दे सकता है सामाजिक धार्मिक आंदोलन में अंधविश्वास एवं शक्तियों के विरोध में प्रगतिशील भूमिका निभाई तथा देश भक्ति की भावना को जिसका प्रभाव पड़ा अंग्रेजी राज्य का प्रभाव अंग्रेजी में भारत की राजनीतिक एकता शादी इंग्लैंड ने उत्तर में हिमालय के दक्षिण से कन्याकुमारी तक और पूर्व में बंगाल के पश्चिमी के दर्रा दर्रा का समस्त भारत विजय कर लिया उन्होंने मोरिया अथवा मुगलों ने भी अंग्रेजी सेक्सी नए भारत का एक राजनीतिक एक तालाब दी थी एक से जनता एक्सपी समय से ना आने में भारतीय भौतिकी डालना आरंभ कर दिया साम्राज्यवादी शक्तियों के देश में ऐसा मुझे देखता क्षेत्रीय तथा भाषाई एकता में मानसिक एकता को बढ़ावाअं शांति तथा प्रशासनिक एकता 18 वीं शताब्दी की अवस्था में विदेशी कंपनियां के उपरांत अंग्रेजों ने यहां शांति तथा व्यवस्था स्थापित कर ली थी प्राय अंग्रेजी विधान इस तथ्य तथ्य पर गर्व करते हैं कि अंग्रेजों द्वारा भारत में पहली बार इतनी दूरियां कालीन शांति स्थापित इसी प्रकार एक सुव्यवस्थित तथा शक्तिशाली सरकार का गठन हुआ परिवहन इस पर इस पीरियड के अनुसार अंग्रेजी प्रश्नों का सब में प्रमुख था उसकी राष्ट्रीय प्रसारण व्यवस्था बदलने का प्रस्ताव में परिवर्तन नहीं है जैसे कि इससे पूर्व के सभी साम्राज्य ने विषय में जो तथा इसके अतिरिक्त प्रशासनिक एकता का अन्य विभागों पर भी प्रभाव हुआ भारतीय जन सेवा के व्यवसाय भारतीय जनपद सेवा के अध्यक्ष प्रतिशत व्यवसाय प्रशासन भारत के सभी भागों में जिलों का प्रशासन चलाया करते थे एक ही परिवार का आचार संहिता बद्दुआ दी तथा दीवानी कानून जिस पर दृढ़ता से अच्छा होता था भारत में एक कोने से दूसरे कोने तक चलता था इसने भारत की पुरानी चली आ रही सांस्कृतिक एकता को एक नए प्रकार की राजनीति की एकता की प्रधान की ऐड वर्ल्ड के शब्दों में आज का एकभारतीय जनप परिवहन के तीन सौ आदमी की योजना बनी पक्की मार्गों का एक जाल बिछ गया 18 से 53 के अपना देश में रेल लाइन आरंभ हो गई और 18 से 80 तक लगभग 25 मीटर लंबी और रफ्तार में लंबी लाइनें विच गई रेलवे की बहुत सारी रेलवे ने देश में राष्ट्रीयता की भावना जगा हटारे जॉब पर अपनी दया 18 से 50 के उपरांत18 से 50 के उपरांत आरंभ तार ने देश को संगठित करने में सहायता की अदृश्य पत्रों के लिए दो पैसे का एक समान टिकट और समाचार पत्र तथा पास से भी कम दर में भेजने की व्यवस्था ने देश के सामाजिक व शैक्षणिक तथा राजनीतिक जीवन में परिवर्तन पैदा कर दिया दारू के द्वारा जो देश के कोने-कोने में काम करते थे राजस्थान में भेजा जा सकता भारत केभारत के भिन्न-भिन्न भागों में रहने वाले भारत के भिन्न-भिन्न भागों में रहने वाले लोगों को एक दूसरे से संबंध बनाए रखने में
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शक्ति पृथक्करण सिद्धांत के गुण गुण एवं आलोचनाएं निष्कर्ष

सत्ता का विकेंद्रीकरण शक्तियों का केंद्रीकरण भ्रष्टाचार एवं अत्याचार की संभावना को जन्म देता है शक्ति पृथक्करण 57330 भागों में विभक्त सरकार के समस्त कार्यों की श्रेष्ठ एवं गतिशीलता प्रदान करता है शक्ति पृथक्करण सिद्धांत का सबसे बड़ा लाभ यह केस के व्यवहार में उपयोग में लाने सरकारी अथवा बिल्कुल शासन की स्थापना नहीं हो सकती मान टेक यूजर प्रेक्षण तथा पाकिस्तान जैसे विद्वानों ने आधार में शक्ति पृथक्करण सिद्धांत का प्रतिपादन किया था बाद में शक्तिमान एंड सिद्धार्थ स्वच्छता रिएमन निर्गुण शासन का अंत कर नागरिकों के व्यक्तित्व शक्ति पृथक्करण के चलते शासन का कोई भी अंग नागरिक स्वतंत्रता स्वतंत्रता में एक ओर जहां कानून निर्माण के लिए व्यापक दृष्टिकोण एवं दुर्दशा की न्याय की स्थापना के लिए मिक्स एंड सत्य सत्य में अंतर शासन शक्तियों के समुचित की रवानी है तथा तांत्रिक आचरण के लिए विभिन्न प्रतिभाशासन शक्तियों के समुचित की रवानी है तथा तांत्रिक आचरण के लिए विभिन्न पर सख्ती बरतीपर सख्ती बरती गण सिद्धांत की आलोचना माधवपुर आलोचना की जाती है लोकतांत्रिक आधुनिक समय में प्रजातंत्र के विकास के परिणाम स्वरुप लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को बल मिला है आते सरकार के कार्यों में भर्ती हुई है तथा जनक अंसारी भी बढ़ रही है प्रजातंत्र में जन आकांक्षाओं को वर्जिनिटी व्यवस्थापिका करती है ऐसे में कई बार न्यायपालिका की स्वतंत्रता के जनकारी कार्य में बाधा लोकतंत्र की मूल भावना को नष्ट कर सकती है शक्तिशक्ति पृथक्करण सिद्धांत स्वतंत्रता के लिए आवश्यक नहीं शक्तिशक्ति पृथक्करण सिद्धांत किंतुकिंतु वास्तव में शासन का एक माता की चौकी कल्पना के अनुसार शासन के तीन मकानों के बीच भेद करना संभव नहीं है पुणे लागू करने पर भारी कठिनाइयों में कार्यपालिका और इसे लागूइसे लागू करने पर व्यस्तता के बीच संतुलन रखना नितांत आवश्यक है इसलिए इस शक्ति पृथक्करण के स्थान पर नियंत्रण और संतुलन का सिद्धांत अधिक उपयोगी जिसमें केवल एक-दूसरे के कार्यों में अपने करें बल्कि किसी और को कानूनी मान्यता की भूमिका पर कानून को इस कार्यइस कार्य इस कार्यपालिका के निर्गुण संचरण परिस्थिति का का प्रबंध हेलिक्स का न्याय के लिए न्यायपालिका कार्यपालिका व्यवस्थापिका के दबाव से स्वतंत्र होना आवश्यक है कि न्यायपालिका पर भी नियंत्रण तथा अमेरिका में संविधान का अतिक्रमण करने तथा नियंत्रण संतुलन के सिद्धांत का प्रमुख उद्देश्य शासन के तीन लोगों को अपने सैनिक का मर्यादा में रखना है कि शासन की कार्यकुशलता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने का सिद्धांत का अर्थ वास्तविक कार्यपालिका न्यायपालिका को स्वतंत्रता विधि निर्माण विधि का शासन एवं विधि के अनुसार न्याय की व्यवस्था पर नियंत्रण सिद्धांत का विकास
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नोटबंदी का अर्थ एवं महत्व संगठन एवं एवं कार्य जनता द्वारा निर्वाचित न्यायधीश

मनुष्य एक विचार वाले मनुष्य के विचार प्रत्येक मनुष्य के विचार बना सकते हैं विचारों की चिंता Sathi पिता अपनी शक्तियों का दुरूपयोग कर सकता है ऐसे जो व्यक्तियों के पास में विवादों का हल कर सके तथा शासन को अपनी मर्यादा में रहने के लिए बाधित कर सके राशि के मत में एक राज्य की न्यायपालिका अधिकारियों के समूह से परीक्षित की जा सकती है जिसका कानून अति रानीखेत गांधी ई विवादों का समाधान करने की संस्थागत रिश्ता है लॉर्ड बैलेंस न्यायपालिका के महत्व को इन शब्दों में व्यक्त किया यदि विधि का शासन ईमानदारी के साथ काम नहीं करता है तो यही माना जाएगा कि नमक ने अपना सारे सेवा को खो दिया कि यदि अंधकार में विलीन हो जाए तो अंधकार की गहनता का क्या अनुमान लगाया जा सकता है लोकतांत्रिक एवं संघात्मक शासन समाज में एकता में संयुक्त राज्य इकाइयों के बीच जो अधिकारियों का विभाजन होता है इसलिए दोनों के बीच से वैज्ञानिक संघर्ष की भावना संघर्ष को दूर कर सकती है वास्तव में न्यायपालिका ने केवल याद करने की बल्कि जनता की सहायता एवं अधिकारों लॉस किसने लिखा है जब हम जानते हैं कि राष्ट्रीय राज्य किसी प्रकार अपने यहां याद आता है तब हमें यह ज्ञात होता है कि वह नैतिक चरित्र के किस स्तर पर है प्रोग्राम न्यायपालिका के महत्व को बड़े सरल शब्दों में व्यक्त किया न्यायपालिका के भाव में राज्य की कल्पना नहीं की जा सकती विश्व के राष्ट्रीय में न्यायाधीशों का निर्वाचन जनता द्वारा प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली से होता है जिसे अमेरिका और क्योंकि इसमें योगिनी व्यक्तियों का निर्वाचन संदीप तथा न्यायधीश दल बंदी का शिकार भी हो सकते हैं प्रो गार्डनर ने कहा कि जनता द्वारा देवाची न्यायाधीशों का मुख्य दोस्त यह किस में दुर्बल एवं स्वतंत्रता घायलों को जन्म होता है व्यस्त द्वारा निर्वाचन आयुक्त साथी न्यायाधीशों की नियुक्ति योग्यता के आधार पर ने होकर दलगत राजनीति मैंने तो का आधार पर होने की संभावना कार्यपालिका द्वारा नियुक्ति में न्यायपालिका दुनिया के अधिकांश देशों में न्यायाधीशों की नियुक्ति कार्य पालिका द्वारा होती है इसे राजनीतिक दल बंदी पर लगती है तथा योग्य व्यक्ति न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होते सामान के प्रत्येक देश की न्यायपालिका निम्न कार्यों को संपन्न करती है तथा अपराधियों को दंड देना न्यायपालिका व्यक्तियों के बीच तथा व्यक्ति एवं राज्य दो राज्यों के बीच आवश्यकआवश्यक तत्वों की जानकारी फैसला करती है प्राचीन काल से ही कानून का उल्लंघन करने वाले को दंड देना न्यायपालिका का कार्य प्रमुख संविधान की व्याख्या संविधान एवं कानून सं सविधान की वाइफ संविधान एवं समझने कीसमझने की दृष्टि से उत्पन्न विवाद और विभिन्न कदम उसके सिलसिले में कानून की व्याख्या करना न्यायपालिका और मौलिक कार्य बन जाता है जहां कानून मुक्त होता है वहां न्यायपालिका ने केवल कानून को स्पर्श करती है बल्कि अपने निर्णय विभिन्न प्रकार के कानून का निर्माण करती है जिससे न्याय कानून के न्यायपालिका द्वारा की गई कानून का महत्व विधायक द्वारा बनाए गए कानून के समान होता है सविधान का संरक्षण विशेषकरविशेषकर संघात्मक राज्य में स्थिति का कोई कार्य करती है तो न्यायपालिका से सावधानी घोषित करते हुए संविधान की रक्षासंविधान की रक्षा करती है 2015 में भारत राष्ट्रीय नियुक्ति आयोग को अवैधानिक घोषित का संविधान में प्रदत्त हत्या का संरक्षण किया है मौलिक अधिकारों की रक्षा जाए प्रत्येक देश के संविधान ने अपने नागरिकों को कुछ मौलिक अधिकार दिए जब भी किसी व्यक्ति अथवा राज्य द्वारा नागरिकों के मौलिक अधिकार प्राप्त किया जाता है तो नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायपालिका की सजगता न्यायालय विभिन्न प्रकार के नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है भारत में संवैधानिक उपचारों का अधि संघराज्य विवादों का निपटारा केंद्रकेंद्र तथा राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन
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राजस्थान में पर्यटन विकास की संभावनाएं

राजस्थान में पर्यटन विकास की संभावनाएं :-
                                                                  राजस्थान के लिए पर्यटन उद्योग वरदान सिद्ध हो सकता है। राजस्थान विविधताओं ,जिज्ञासाओं और विचित्रताओं से भरा हुआ प्रदेश है। आज विश्व में राजस्थान की अद्भुत कठपुतली कला, लोक संगीत , भोजा , लंगा , मांगणियार मशहूर है। राजस्थान प्राचीनतम और शिल्प समृद्ध मंदिरों , अद्भुत और बेजोड़ स्थापत्य कलाओं से भरा पूरा प्रदेश है जिन्हे देखने के लिए दुनिया के व्यक्ति लालायित रहते है।

   राज्य में एडवेंचर टूरिज्म की पर्याप्त संभावना है। इसके अलावा वाटर सफारी , ग्रामीण पर्यटन ,इको टूरिज्म , फार्म टूरिज्म , एजुकेशनल टूरिज्म द्वारा भी पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है।

  राजस्थान में पर्यटन विकास के लिए मजबूत आधारभूत ढांचा उपलब्ध है। राज्य में 2006 - 07 में पर्यटकों के लिए 38 होटल , 35 हेरिटेज होटल , 48 पर्यटक स्वागत और सूचना केंद्र, 3 यात्री निवास , 22 मिडवे और मोटल थे।
जयपुर में अन्तरार्ष्ट्रीय हवाई अड्डा बन जाने से विदेशी पर्यटकों में अच्छी वृद्धि हो रही है।

राजस्थान में पर्यटन के विकास हेतु राज्य सरकार अनेक कार्यक्रम चला रही है जिसमे महत्वपूर्ण है -
1. पर्यटन साहित्य का प्रकाशन एवं प्रचार - प्रसार।
2. ऐतिहासिक स्मारकों का संरक्षण उपलब्ध कराना।
3. ऐतिहासिक स्मारकों को संरक्षण एवं रख - रखाव।
4. पर्यटक गाइड की व्यवस्था।
5. मरु मेलों का आयोजन।
6. शाही रेलगाड़ी ( palace on wheels ) का प्रारम्भ करना।
7. पैकेज टूर कार्यक्रम जैसे स्वर्ण त्रिभुज (गोल्डन ट्राइंगल - दिल्ली ,आगरा , जयपुर , मेवाड़ पैकेज ,हवामहल         पैकेज आदि निर्धारित करना।
8. पर्यटन विभाग द्वारा आंचलिक मेलों एवं सांस्कृतिक समारोहों का आयोजन।
9.  'एडवेंचर टूरिज्म ' के विकास की योजना तैयार करना।
10. इको ,हैल्थ ,एडवेंचर एवं धार्मिक पर्यटन को प्रोत्साहन देना आदि।

पर्यटन ,'पधारो सा'
                           राजस्थान में पर्यटन को एक उद्योग घोषित कर दिया गया है।  रीको पर्यटन इकाइयों को औद्योगिक दरों पर भूमि उपलब्ध कराएगा।
पर्यटन इकाई के लिए भूमि का आंवटन पर्यटन इकाई नीति 2007 में प्रदत दरों के अनुसार होगा।  शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि का रूपांतरण ,रूपांतरण व विकास शुल्क से पूरी तरह मुक्त होगा।

'पधारो सा'  एक अभिनव योजना है जो गुणवत्ता सुविधाएं , बड़े पैमाने पर रोजगार , पर्यटन में लघु उद्यमियों द्वारा निवेश आदि लाभ प्रदान करते हुए निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ गुणवत्तापूर्ण 'वे साइड' सुविधाओं के विकास द्वारा पर्यटन क्षेत्र में रोजगार सृजन लक्ष्य रखा गया है।
'पधारो सा' में रेस्टोरेंट ,सुवुनियर शॉप्स, सार्वजनिक टेलीफोन ,कॉफ़ी शॉप्स  प्रकार की इकाइयां सम्मिलित होगी।
पधारो सा इकाई का डिजाइन विशिष्ट व ब्रांडेड होगी।
पधारो सा की अनुमोदित इकाइयों को प्रोत्साहन के रूप में निर्माण/नवीनीकरण की लागत का 25 प्रतिशत अधिकतम 5 लाख रूपये तक भी प्रदान किया जाएगा।

वास्तव में पर्यटन राजस्थान का एक महत्वपूर्ण उद्योग है जिससे न केवल राज्य सरकार को आय होती है अपितु यह हजारों व्यक्तियों को रोजगार प्रदान करता है। इसी कारण राज्य सरकार का पर्यटन विभाग निरन्तर पर्यटन के विकास में सलग्न है। राज्य में अभी भी अनेक पर्यटन स्थल है जिनका यदि समुचित किया जाय तो पर्यटकों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हो सकती है। राज्य में पर्यटन विकास की अत्यधिक संभावनाएं है। 
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Saturday, October 6, 2018

अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड

आम नागरिक द्वारा विद्युत तंत्र से होने वाली दुर्घटना एवं दुरुपयोग रोकने वाली सावधानियां तुम्हारा नाम बिजली के तंत्र एवं बीपी के नीचे समय आने लगा के सार्वजनिक कार्यक्रम जिसमें की शोक सभा या मारवाड़ी युवा योजना में इस तरह के सावधानियांसावधानियां बरती जाए बिजली की बिजलीबिजली की लाइनों के ट्रांसफार्म के रस की मशीन है या किसी अन्य प्रकार की स्थाई 3310 नया लगाया जाए सावधान शिवम को एवं विशेष रूप से छोटे बच्चे व पशुओं को सुरक्षित दूर पर रखकर बिजली के खंभों डीपी सब स्टेशन के तांत्रिक उपाय बताएं से जानवरों हाथ से रिक्शा को नहीं बंद खेतों से गुजरने वाली विद्युत लाइनों के नीचे जा रही किसी भी प्रकार की यात्रा के दौरान की छत पर बैठकर यात्रा करें खेतों से गुजरने वाली विद्युत लाइनें के नीचे चारा आदि किसी भी प्रकार के कर्ज यहां से अनेक अरे हम बस ट्रक को लाइन के नीचे पालना करें कथा में लाइनों के नीचे से ना ले जावे यदि आवश्यक और पप्पू को परीक्षा में ही लाइनों के नीचे ले जाए यदि आमजन के मकानों 1115 यदियदि आमजन के मकान 70 के70 के बाहर ज्योति विद्युत तंत्र के चालू लाइनों को छू ले तो तो कटवाने से पूर्व संबंधी विद्युत कार्य करने में सूचित कर पहले लाइन को बंद करवाई जाए उसके पश्चात उन्हें कटवाए गए विद्युत ट्रांसफार्मर किसी प्रकार की भी छेड़छाड़ ब्लिटिंग का कार्य कर अपनी जान जोखिम में ना डालें दीपावली विशेष अवसरों पर विद्युत लाइनों के नीचे कोई भी अदा किया जाए शोभाशोभा यात्रा के दौरान हवा हवा में नाम की विद्युतविद्युत तंत्र ऑनलाइनऑनलाइन विद्युत निगम लाइन लाइन बंद करवाया को सूचना को से ग्रस्त आमजन पशु वध को बचाने के लिए उसे पकड़ने का प्रयास न करें पहले विद्युत सप्लाई को बंद करवाए तत्पश्चात ही दुर्घटनाग्रस्त आमजन या परसों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करें जानवरों को खेतों में आने से रोकने के लिए फेंसिंग बार-बार ब्यावर की बाड़मेर करंट प्रवाहित विद्युत लाइनों को जोड़ने का कार्य करें सती ग्रस्त विद्युत लाइनों को जोड़ने का उपाय ट्रांसफार्म बीपी परफ्यूम निमानी मकान के नजदीक से या ऊपर से विद्युत यंत्र गुजर रहा हो तो पहले विद्युत विभाग को प्रार्थना देकर सूचित करें ऑनलाइन चित्र करवाने के पश्चात निर्माण कार्य शुरू किया जाए जिससे कानूनी कार्यवाही से भ
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अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन अंतरिक्ष में भारत की जलती मोमबत्ती मोमबत्ती

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर कि निचली कक्षा में स्थापित उपग्रह है यह परीक्षा में उपस्थित सबसे बड़ी कृत्रिम पति से बिना दूध के भी देखा जा सकता है सूर्योदय के पहले सूर्योदय के बाद यह सूरत गतिविधियों में दिखाई देता है यह दिन में पृथ्वी के 15 से अधिक चक्कर लगा लेता है अंतरिक्ष स्टेशन में जापान कनाडा रूस अमेरिका विच रिपीट एजेंसी की भागीदारी होने के कारण इस के नाम के साथ अंतरराष्ट्रीय विशेषण का प्रयोग वर्तमान में इसमें वर्तमान में इसमें अनेक अक्षय जी का प्रयोग रहने में जीव विज्ञान भौतिकी को शा ऊर्जा उत्पादन हेतु अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर ₹900 लगे अतुल अतुल स्टेशन को बनाने वाले घटकों जान ट्रिक्स में उन्हें जोड़ जोड़ कर यह रूप दिया गया है पुराने बाबू को को अब भी निरंतर बदला जाता है पर्ची के समीप होने के कारण तरीके से सन में गुरुत्व बल होता है अगर पति के कारण स्वतंत्रता पूर्वक गिरती हुई वस्तु की तरह होता है आप जानते हैं कि स्वतंत्रता पूर्व व्यवस्था की स्थिति में होती है अंतरिक्ष कक्ष से बाहर खुले में कार्य भी कर चुकी है आपको यह जानकर अच्छा लगेगा कि सुनीता अपने साथ भगवत गीता की पुस्तक गणेश जी मूर्ति में कुछ समोसे भी लेकर गई थी अंतरिक्ष स्टेशन पर सरकारों ने चयनित लोग जाते हैं और वहां सरकारी नौकरी की तरह सरकार द्वारा बताए भोजन को ठंडा या गर्म करने की सीमित व्यवस्था है मगर पुराना होने पर वह बहुत सुंदर होने लगता है कुछ दिन होने के बाद परिंदा में लेने से अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव होते हैं इससे बचने के लिए व्यायाम का सहारा लेते दूर अंतरिक्ष में छोटे से कमरे जैसे स्थान पर समय समय तक डॉग साथियों के साथ रहने से कई प्रकार की हां सोचते होगे हां सोचते बहुत कचरा 123 हो गया है काम या चुप के रॉकेट या उनके टुकड़े निष्क्रिय हो चुके घरती मगर मेरे को नष्ट करने के लिए छोड़े गए हथियार रखे जिससे उनका पेंट आदि बेकार सामान अंतरिक्ष स्टेशन से टकराकर परेशानी पैदा कर सकते हैं अंतरिक्ष में चक्कर लगाते पिंटू की तेजी गति के कारण छोटे से टुकड़े कर बड़ा नुकसान कर सकती है इंटरनेट के बाद मानव पृथ्वी के बाहर बस्ती बसाने के लिए लाया तित है इसमें अंतरिक्ष बात सभी अभी से नहीं जुड़ा है आशा है आप समाचार पत्र 
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वन संरक्षण एवं प्रबंधन प्रबंध जंतुओं के आर्थिक महत्व क्या है शेयर करें

इस पृथ्वी पर जीवन का आधार है यह शहर है जहां जीवन के विकास की क्रिया योग उन से चलकर आई है और रानी तथा पौधों की लागू जातियों की उत्पत्ति हुई है 1 बरस का था उसने पुरानी के सेक्स नेत्र जल के स्रोत तथा नदियों के वर्षों वन्य केवल से होने वाले कट्टा उपजाऊ मिट्टी की रक्षा करते हैं बल्कि वे सक्रिय दरजी वतन से मिट्टी की रचना करने वाले महत्वपूर्ण कारकों में से 1 प्लान को स्वच्छ रखने तथा लकड़ीलकड़ी की मांग बढ़ने के इसे देखते हुए लकड़ी का व्यापार इत उनका क्षेत्रफल कम होने के कारण जगह-जगह सुखा पढ़ने पढ़ पानी बरसा है पानी के अभाव में उपजाऊ मिट्टी बह जाती है पेड़ों की कटाई कपड़ों पर भी होने के कारण पानी बरसने पर वहां से मिटी भरकर नदी में आ जाती है पर शुरू नदियां इतनी उतरी हो गई है कि थोड़ा सा जल स्तर बढ़ने पर आ जाती है जंगलों की रक्षा का सवाल आज हमारे लिए जीवन और मौत का सवाल बन गया है कुछ वर्षों में तेजी से हुए हमलों के विनाश के बावजूद भारत में लगभग 15000 स्पीशीज के पुष्पी पौधे भारत में मुख्य रूप से उसन कटिबंधीय वन पाए जाते हैं 1 पूजा के रूप में इन से 35 लाख घन मीटर दिसंबर 13 लाख घन मीटर जलाऊ लकड़ी आसन के प्रकार का तेल ते उत्तराखंड की प्रक्रिया के लिए अत्यंत ठीक है इसके पालन से मनुष्य को दोहरा लाभ होता है

मधुमक्खी के पालन से परागण की की आसानी से होने के कारण फसल की दीवार बढ़ोतरी होती है मधुमक्खी से प्राप्त शहद का उपयोग मनुष्य जादूगर तुमसे करता आया है यह उच्च ऊर्जा युक्त भोज्य पदार्थ होने के कारण सासा दोस्ती के रूप में भी उपयोग में लिया जाता है प्राचीन समय में प्रकृति में मिलने वाले मधुमक्खी के छत्ते से रतन धन प्राप्त किया जाता है वर्तमान समय में कृत्रिम रूप से शब्दों में मधुमक्खी गोपालगज बड़ी मात्रा में से प्राप्त किया जबकि धन प्राप्त करने के लिए हजारों वर्ष से हम रेशम कीट का पालन करते हैं एस्से किड्स इनमेंइनमें बाद में इसकी 1 वर्ष में 2 से 7:00 तक पिया तैयार कर ली जाती है अंडर उत्पति के बाद अंडे से लाला बार आता है यह कैटर पिलर के लाता है लाखों में 1 जोड़ी लालगंज के पैसे तेजी से विकसित हो जाती संगीत के पूर्ण विकसित लारवा की लंबाई 7 पॉइंट 5 सेमी हो जाती है यह भोजन करना बंद कर देता है इसके पश्चात पॉपकॉर्न बनाना आरंभ कर देता है अपनेसंगीत के पू यह को कौन का 12 18 से 22 ग्राम होता है प्रोटीन का बना होता हैए कोक बागी2 दाल दाल पर दाखिला उत्पा यहयह छोटे आकार के शिवम द्वारा स्रावित लाल से मिलने आवरण में बंद रहता है या और इसे सुरक्षित होता है नरला कीट माता से आकर यह छोटे में गुलाबी रंग के होते हैं यह केवल में लालपन करते हैं महिला की डकार बड़ी होती है तथा अधिक लाभ उत्पन्न करती है यह मुलायम सकून से चिपक कर उस रचना पालन करती हैतथा शरीर के चारु अल्लाह बनाना फार्म करते थे देश में पढ़ती वर्सेस केकेआर व असली प्राचीन काल लाख उत्पादन के लिए नियम दो वीडियो में प्रचलित है पुरानी देसी विधि आधुनिक विधि पुरानी देसी विधि आदिवासियों द्वारा उपयोग में ली जाने वाली विधि बताएं वैज्ञानिक विधि है जिसमें आगामी फसल की ज्यादा आने नहीं होती है क्योंकि लाल मछली राशन से प्राप्त होने वालीमछ 
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राजस्थान की पर्यटन नीति

राजस्थान की पर्यटन नीति :-
                                             राजस्थान सरकार ने राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन नीति की घोषणा की है। राजस्थान सरकार द्वारा प्रथम नीति 2001 में घोषित की गई।

प्रथम पर्यटन नीति 2001 - राजस्थान की प्रथम पर्यटन नीति के निर्धारित किये गए उद्देश्य निम्न है :-
1. समृद्ध पर्यटन संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग।
2. गाँवो में रोजगार सृजन।
3. समृद्ध एवं विविध हैण्डीक्राफ्ट विकसित करना।
4. पर्यटन को जन - जन का उद्योग बनाना।
5. सामाजिक व आर्थिक विकास में पर्यटन के योगदान बढ़ाना।

  राज्य की प्रथम पर्यटन नीति में इस बात पर बल दिया गया कि राज्य की समृद्ध हस्तशिल्प और कुटीर उद्योगों के उत्पाद की बिक्री तथा कलाकारों के सामाजिक आर्थिक उत्थान के लिए राज्य सरकार अभिप्रेरक ( as motivaters ) की भूमिका निभाएगी। पर्यटन इकाइयों की स्थापना के लिये कृषि भूमि को आरक्षित दरों के एक - चौथाई दाम पर अधिकतम चार बीघा भूमि के आवंटन का प्रावधान किया गया। नये होटलों को शहरी सीमा में भूमि खरीदने पर पंजीयन शुल्क में छूट का प्रावधान किया गया। इसके अलावा नई पर्यटन इकाइयों को 5 वर्ष तक के लिये विलासिता शुल्क लेने का प्रावधान किया। राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ब्याज और मनोरंजन कर में छूट का प्रावधान किया गया। प्रथम पर्यटन नीति का आकर्षक पहलू स्थानीय निवासियों को रोजगार मुहैया कराना है इस नीति में अकुशल कार्यशक्ति की शत - प्रतिशत भर्ती स्थानीय स्तर पर करना सुनिश्चित किया गया।

होटल नीति 2006 
                           राजस्थान में होटलों में जगह की मांग व आपूर्ति के बीच अंतर को पाटने के उद्देश्य से और भविष्य में पर्यटकों की वृद्धि की संभावना को दृष्टिगत रखते हुए राज्य सरकार द्वारा होटल नीति 2006 की घोषणा की गयी। इस नीति में निम्न बातों को सम्मिलित किया गया है -
1. राज्य सरकार ने होटलों के लिए भूमि बैंक की स्थापना की घोषणा की।
2. होटलों एवं आवास सुविधा की आधारभूत सरंचना हेतु भूमि उपलब्ध कराने में जयपुर विकास प्राधिकरण ,स्थानीय निकाय ,ग्राम पंचायतों के अधिकारी तथा जिला कलेक्टरों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
3. नई होटल नीति में होटलों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है इसमें एक ,दो,तीन,सितारा का     क्षेत्रफल 1200 वर्गमीटर तक , 4 सितारा होटल का 6000 वर्ग मीटर तक तथा 5 सितारा एवं ऊपर की श्रेणी का     18000 वर्ग मीटर तक क्षेत्रफल रखा गया है।
4. राज्य सरकार ने होटल की जमीन की बिक्री के लिए विशेष आरक्षित कीमत की घोषणा की जिसकी पालना        स्थानीय संस्थाओं को करनी होती है
5. नई होटल नीति में होटल की जमीन लेने में होटल वालों / टूर - ऑपरेटर को प्राथमिकता दी जायेगी। भूमि क्रेताओं को भूमि परिवर्तन चार्जेज में 100 प्रतिशत छूट एवं मनोरंजन कर में 100 प्रतिशत  छूट मार्च 2010 तक दी जाएगी। इसके अलावा होटल निर्माताओं को जलापूर्ति ,गृहकर आदि में रियायत दी जाएगी।
सरकार हेरिटेज होटल्स की स्थापना को प्रोत्साहन देगी।  
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राजस्थान के पर्यटन स्थल

राजस्थान के पर्यटन स्थल :-
                                             सम्पूर्ण राजस्थान पर्यटन की दृष्टि से एक अलग पहचान रखता है। यहाँ के दुर्ग ,महल और हवेलियों के अलावा शिल्प कला ,उत्स्व ,मेले और प्राकृतिक सौंदर्य देखने योग्य है। प्रत्येक क्षेत्र की अपनी विशेष पहचान और आकर्षण है।

राजस्थान में पर्यटन स्थलों की दृष्टि से मारवाड़ ,मेवात एवं ब्रज ,हाड़ौती ,ढूंढाड़ ,मरू क्षेत्र , गोडावण ,शेखावाटी ,मेवाड़ , बागड़ आदि सभी क्षेत्र महत्वपूर्ण है। राजस्थान के पर्यटन विभाग ने देश - विदेश के पर्यटकों को ' पधारो म्हारे देश ' का बुलावा देकर राज्य में  पर्यटन हेतु आमंत्रित किया गया है।


   पर्यटन विभाग का वाक्य है - अतुल्य राजस्थान।

 1. ढूंढाड़ क्षेत्र -
                       ढूंढाड़ में राजस्थान की राजधानी जयपुर और दौसा जिले के पर्यटन स्थल आते है। विश्व में जयपुर ' गुलाबीनगर ' नाम  प्रसिद्ध है। जयपुर में कांच की कारीगरी ,प्राचीन भीति चित्र से युक्त सिटी पैलेस ,सवाई जयसिंह द्वारा स्थापित वैधशाला ,(जन्तर - मन्तर ) बिड़ला द्वारा स्थापित अंतरिक्ष ज्ञान का खजाना बिड़ला प्लेटेनेरियम ,पांच मंजिली गोल व आगे निकलते हुए झरोखे एवं खिड़कियों से युक्त स्थापत्य कला का नमूना हवामहल ,रामनिवास बाग़ प्रांगण में अल्बर्ट म्यूजियम ,चिड़ियाघर ,जयपुर राजघराने के वैभव की याद दिलाती स्थापत्य कला का अनुपम उदाहरण गैटोर  छतरियां ,इतिहास के गवाह जयगढ़ ,नाहरगढ़ व आमेर के किले आदि दर्शनीय  स्थल है। रामगढ़ की झील में नौकायन की व्यवस्था है।

2. मेरवाड़ा क्षेत्र :-
                           मेरवाड़ा क्षेत्र में अजमेर ,पुष्कर ,नागौर जिलों के पर्यटन स्थल आतें है। अजमेर जिले का पुष्कर हिन्दुओं का बड़ा तीर्थस्थान है। यहाँ दर्शनीय स्थलों में ब्रह्मा जी का मंदिर ,पुष्कर सरोवर मुख्य है। ऐतिहासिक नगरी अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह ,ढाई दिन का झोंपड़ा ,तारागढ़ ,आनासागर ,मेयो कॉलेज सुभाष उद्यान , संग्रहालय एवं नसियाँ आदि पर्यटन स्थल है।

3. मेवात एवं ब्रज क्षेत्र :-
                                   मेवात एवं ब्रज क्षेत्र में अलवर ,भरतपुर , एवं सवाईमाधोपुर जिलों के पर्यटन स्थल आते है। अलवर के पर्यटन स्थलों में बाला किला , विनय विलास महल ,मूसी महारानी की छतरी ,पुर्जन विहार ,गवर्नमेंट म्यूजियम आदि। अलवर के समीपवर्ती स्थलों  सिलीसेढ़ ,जयसमंद ,पांडुपोल ,भृतहरि ,वैराठ नगर एवं नारायणी माता मंदिर है। अलवर में सरिस्का टाइगर प्रोजेक्ट भी है।

    भरतपुर केवलादेवी पक्षी अभयारण्य के जगप्रसिद्ध है। यहां के अन्य पर्यटन स्थलों में लोहागढ़ ,गवर्नमेंट म्यूजियम ,जवाहर एवं  फतह झील है। भरतपुर के निकट डीग के महल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

4. हाड़ौती क्षेत्र :-
                            इसमें कोटा, बूंदी ,बारां ,झालावाड़ , के पर्यटन स्थल आते है।  कोटा चंबल के किनारे बसा प्रुमख औद्योगिक नगर है। यहां के दर्शनीय स्थलों में गढ़ ,सिटी पैलेस ,चंबल गार्डन ,जगमंदिर ,उम्मेदभवन ,ब्रज विलास पैलेस ,छत्र विलास ,कोटा बैराज , गांधी सागर डेम और रावतभाटा परमाणु विद्युत केंद्र है। झालावाड़ के पर्यटन स्थलों में गागरोन का किला ,रेन बसेरा ,झालरापाटन के मंदिर ,डाग ,काकुनी, और भीम सागर प्रमुख है। बारां में भण्डदेवरा और सीतामाता दर्शनीय स्थल है।

 5. मरु क्षेत्र :-
                   मरु क्षेत्र के पर्यटन स्थलों में जोधपुर ,जैसलमेर ,बीकानेर और बाड़मेर के पर्यटन स्थल आते है। जोधपुर सूर्यनगरी के नाम से विख्यात है। यहां पुरातन ऐतिहासिकता वाला मेहरानगढ़ का किला है। इनके अलावा यहां उम्मेद भवन ,जसवंत थड़ा ,गिरदी कोट ,सरदार मार्केट ,मंडोर ,कायलाना झील ,ओंसिया ,सरदार समंद झील रमणीय स्थल है।

6. मेवाड़ क्षेत्र :-
                       मेवाड़ क्षेत्र में उदयपुर ,राजसमंद ,चित्तौड़गढ़ ,के पर्यटन स्थल आते है। अपूर्व प्राकृतिक छटा और सौंदर्य के गोद में सिमटा उदयपुर ' झीलों की नगरी ' के नाम से जाना जाता है ,यहां अनेक रमणीय स्थल है। पिछौला झील के मध्य स्थित जग मंदिर व जग निवास अपनी सौंदर्य और फव्वारों की अद्भुत छटा के लिए प्रसिद्ध है। वृक्षों और पुष्पों से लदे पौधे की अनुपम छटा से युक्त सहलियों की बाड़ी राजस्थान के प्रसिद्ध उद्यानों में एक है।

 7. शेखावाटी क्षेत्र :-
                             इस क्षेत्र में सीकर ,झुंझुनू एवं चूरू के पर्यटन स्थल आते है। चूरू में ढोला - मारु की चित्रकारी देखने योग्य है। अन्य स्थलों में सालासर ,हनुमान मंदिर ,पिलानी व तालछापर आकर्षक स्थल है। सीकर व झुंझुनू की हवेलियाँ दर्शनीय है। चूरू का तालछापर अभयारण्य काले हिरणों के लिए प्रसिद्ध है।

8. बागड़ क्षेत्र :-
                       इस क्षेत्र में डूंगरपुर व बांसवाड़ा के पर्यटन स्थल आते है। डूंगरपुर में जूना महल ,बैणेश्वर ,गेल सागर झील तथा बांसवाड़ा में माहि बाँध ,बादल महल , त्रिपुर सुंदरी मंदिर ,रंगजी मंदिर , कागदी झील आदि पर्यटन स्थल है।

9. गोडावण क्षेत्र :-
                            इस क्षेत्र में राजस्थान का प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल माउंट आबू तथा देलवाड़ा जैन मंदिर है।  यहां अन्य पर्यटक स्थलों में नक्की झील , सनसेट पॉइंट ,गुरुशिखर मुख्य है।  रणकपुर में प्रसिद्ध मंदिर हैं।

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Friday, October 5, 2018

राजस्थान में पर्यटन

राजस्थान में पर्यटन :-
                                    भारत के पर्यटन में राजस्थान का विशेष स्थान है। राजस्थान एक ओर जहां योद्धाओं की शौर्य गाथाओं से परिचय कराता है ,वहीं दूसरी ओर शिल्पियों ,दस्तकारों ,कवियों पर भी गर्व करता है। राजस्थान के दुर्ग ,हवेलियां ,स्तम्भ ,इसके गौरवपूर्ण अतीत की याद दिलातें है। यहां की वास्तु शिल्प ,कला ,संगीत ,त्योहार एवं लोक कलाएं पुरे विश्व में पर्यटकों का आकर्षण केंद्र है। राजस्थान अपने प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्ता के कारण देशी - विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है। राजस्थान मंदिर ,मस्जिद ,दुर्ग ,अभ्यारण्य ,झीलें ,मरुस्थल आदि के कारण सुरम्य और मनमोहक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो सका है।

राजस्थान के पर्यटक स्थलों का वर्गीकरण :-

1. प्राकृतिक स्थल -
                             राजस्थान को पृकृति ने अनेक सुरम्य स्थलों से संवारा है ,जिन्हें देखने का आकर्षण पर्यटकों में होता है। इसमें पर्वतीय क्षेत्र -माउन्ट आबू ,रेगिस्तानी बालुका स्तूपों का दृश्य -जैसलमेर में ,पर्वतीय घाटियाँ -आमेर की घाटी ,अलवर की काली घाटी ,देसूरी की नाल आदि।
प्राकृतिक वनस्पति एवं जीव - जन्तुओं के केंद्र -राष्ट्रीय उध्यान ,अभयारण्य ,जलप्रपात जैसे मैनाल आदि। अनेक प्राकृतिक स्थल ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों के केंद्र भी है।

2. ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक स्थल :-
                                                        राजस्थान का इतिहास समृद्ध रहा है और यहाँ के ऐतिहासिक स्थलों को पर्यटन केन्द्रों के रूप में विकसित किया गया है,इनमे प्रमुख है -
(क ) ऐतिहासिक दुर्ग - चितौड़गढ़ ,कुम्भलगढ़ (उदयपुर), नाहरगढ़ ,आमेर,जयगढ़(जयपुर ),मेहरानगढ़ (जोधपुर ),जूनागढ़ और लालगढ़ (बीकानेर ),रणथम्भौर (सवाई माधोपुर ),जैसलमेर ,जालौर ,नागौर ,शेरगढ़ के किले ,तारागढ़ (अजमेर ),लोहागढ़ (भरतपुर )आदि।

(ख)  पुरातात्विक स्थल - कालीबंगा (हनुमानगढ़ ),आहड़ और बालाथल (उदयपुर),बैराठ (अलवर),बूंदी के गुफा चित्र ,बागौर (भीलवाड़ा) आदि।

( ग ) महल और हवेलियाँ -   जयपुर ,जोधपुर ,उदयपुर ,बीकानेर ,भरतपुर,डीग,बूँदी,अलवर,सामोद के राजमहल और जैसलमेर की हवेलियाँ पर्यटकों के आकर्षण केंद्र है। शेखावाटी के अनेक किले और हवेलियाँ भी देश - विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करते है।

( घ )  धार्मिक स्थल - राजस्थान के धार्मिक स्थलों में नाथद्वारा ,पुष्कर ,कोलायत ,रामदेवरा ,एकलिंग जी ,साँवरिया जी ,गलता ,केसरियाजी ,कैलादेवी ,सालासर ,खाटू श्याम जी ,जयपुर के गोविन्द देव जी का मन्दिर ,बिड़ला मन्दिर,मोती डूंगरी का गणेश मन्दिर आदि। जैन मन्दिरों में राणकपुर ,देलवाड़ा मन्दिर ,महावीर जी का मन्दिर नाकोड़ा ,पदमपुरा आदि। मुस्लिम दरगाह में अजमेर स्थित ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह सर्वाधिक प्रसिद्ध है।

( च )  सांस्कृतिक केन्द्र -  इनके रूप में ऐतिहासिक स्थलों के अतिरिक्त उत्कृष्ट स्थापत्य कला और वास्तुकला के केन्द्र राजस्थान में अनेक स्थलों पर स्थित है ,जैसे -
* जयपुर - हवामहल ,जंतर -मंतर ,चंद्रमहल ,आमेर के राजाओं की छतरी एवं मन्दिर आदि।
* जैसलमेर - पटवों की हवेली ,नथमल जी हवेली ,रामगढ़ की हवेलियाँ आदि।
* जोधपुर - जसवंत थड़ा।
* डीग -  महल।
* अजमेर - अढ़ाई दिन का झोपड़ा।
* बूँदी - चौरासी खम्भों की छतरी ,रानी जी की बावड़ी ,क्षार बाग़ की छतरियाँ।
* चितौड़गढ़ - विजय स्तम्भ ,कीर्ति स्तम्भ तथा किले पर स्थित मन्दिर।
* टोंक - 'स्वर्ण कोठी ' ,अरबी - फ़ारसी शोध संस्थान।
* कोटा - जल मंदिर के पास छतरियाँ।
* झालरापाटन - चंद्रभागा नदी के किनारे मंदिर एवं सूर्य मंदिर।
* माउण्ट आबू - देलवाड़ा के मंदिर।
* रणकपुर - जैन मंदिर।
* डूंडलोद - इमारतें ,हवेलियाँ।

(छ)  मेले -  राजस्थान के मेले सांस्कृतिक धरोहर है ,जो आज भी परम्परागत रूप में लगते है ,अतः पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है।  यहाँ के प्रसिद्ध मेले है  - पुष्कर (अजमेर), तिलवाड़ा (बाड़मेर), जसवन्त मेला (भरतपुर), करणीमाता और कपिलमुनि मेला (बीकानेर), गोगामेड़ी (हनुमानगढ़), रामदेवरा (जैसलमेर), परबतसर एवं मेड़ता मेला (नागौर), दशहरा मेला (कोटा), त्रिनेत्र गणेश रणथम्भौर (सवाई माधोपुर), केलादेवी (करौली), तीज एवं गणगौर (जयपुर), जाम्बेश्वर (मुकाम), सती मेला एवं लोहरगढ़ मेला (झुंझुनू), खाटू श्याम जी सीकर ,बैणेश्वर (डूंगरपूर) ,उर्स (अजमेर)आदि।

इनके अतिरिक्त हस्त कला के केन्द्र तथा पर्यटन विभाग द्वारा विकसित शिल्प ग्राम आदि भी पर्यटकों को राजस्थान में आकर्षित करते है।
                                 
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जियो केंद्र कथा का सिद्धांत

बीसवीं शताब्दी में कई प्रसिद्ध वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे की मात्र भौतिक गुणों के आधार पर सूची के संचालन को नहीं समझा जा सकता है उन्हें लगा कि संपूर्ण संपूर्ण हमारे होने का ज्ञान या चेतना उसी पदार्थ से उत्पन्न हुई है वैज्ञानिकों का एक समूह स्वीकार करना करना लगा कि विश्व की सबसे वस्तु अलग अलग दिखाई देती है मगर वास्तव में एक दूसरे से जुड़ी होती है सबका अस्तित्व महासागरों की बूंद की तरह इस बात को स्पष्ट करते हुए नोबेल पुरस्कार विजेता चिकित्सा स्त्री रोग अदनान जाने का कौन सा स्तर बहुत भ्रमण के साथ और साथ में जेव केंद्रित का सिद्धांत प्रतिपादित किया इसी गांव के अनुसार विश्व का अस्तित्व जीवन के कारण रूप में कैद तो जीवन के सर्जन विकास हेतु ही विश्व की रचना हुई है तथा सृष्टि के स्वरूप की समझ एकता के सिद्धांत में दर्शन शास्त्र से लेकर भौतिक शास्त्र के सिद्धांतों को सम्मिलित किया गया है मानव की स्वतंत्र इच्छा शक्ति को निश्चित और अनिश्चित जा दोनों के भौतिक स्वरूप को निश्चित स्की जगत में जीव निश्चित अनिश्चितता का प्रदर्शन स्वरूप से करता रहता है केंद्र द्वारा समझा जा सकता है ना के विचार को प्राचीन जैसे विचारों से प्रभावित मानकर कोई इच्छा नहीं दिया बाद में कई वैज्ञानिक वैज्ञानिक तथ्यों के समझाने का प्रयास किया यही कारण है कि विपुल विरोध के बाद भी जब केंद्र का सिद्धांत अभी भी विचार का विषय बना है बना हुआ है जब केंद्र का सिद्धांत के अनुसार इनकी स्थान व समय की अवधारणा का कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है अपितु यह सब मानव चेतना की अनुभूति माता का मानना है कि चेतना को केंद्र में रखकर ही भौतिक की कोई अबूझ पहेली उज्जैन का अनिश्चितता का सिद्धांत और प्रयोग वैज्ञानिक आइंस्टीन के समय से ही यूनिफाइड फील्ड थ्योरी के रूप में संपूर्ण व्यक्ति को 1 साल आने के लिए प्रयास करते हैं मगर सफलता अभी तक नहीं मिली रोबोट लांचा का कहना है कि जीवन को केंद्र रखने में समस्या हल हो सकती है जेल का सिद्धांत की प्रकृति की घटना घटित हुई भौतिकभौतिक साथियों का कहना है कि
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अपशिष्ट से होने वाले नुकसान निम्न है

अपशिष्ट पदार्थ मानव के साथ-साथ पेड़-पौधे जंतु व पर्यावरण को भी हानि पहुंचाते अनियंत्रित तरीके से फेंका गया बच्चा किसी भी स्थान के प्राकृतिक सौंदर्य को प्रभावित करता है जब निम्नीकरण अपशिष्ट अनेकों हानिकारक सू कि अब घटने की जा के दौरान वेतन कार्बन डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक ग्रीन हाउस गैस से उत्सर्जित होती है जो वातावरण को प्रदूषित करती है जांच किस चीज का ध्यान आते हैं अस्पतालों से निकलने वाले दूसरे बल्लेबाज लंबे समय तक वायु मृदा एवं जल के संपर्क में रहने वाले प्रीतम अजय निम्नीकरण वर्सेस 10th क्लास के गाने का नाम इसलिए पड़ा दिल का जल के स्रोत तक पहुंच जाते हैं जिसमें कई प्रकार के रोग होने की संभावना बढ़ जाती है पॉलीथिन कचरा ज्यादा संपर्क में रहने से खून में थे लेटेस्ट की मात्रा बढ़ जाती है इससे गर्भवती महिलाओं के शिशु का विकास रुक जाता है और प्रजनन अंगों को नुकसान पहुंचाता है प्लास्टिक के पदों में प्रयोग होने वाला मधुमेह और को सेंड कर देता शिक्षण जीवनशिक्षण जीवन के बाद की शिक्षण जीवन खा ली जातीखा ली जाती है जो उनके अतुल शक्ति है जिससे उनकी मृत्यु हो तक हो जाती है इसी तरह पॉलीथिन कचरा जलाने में कार्बन डाइऑक्साइड कार्बन मोनोऑक्साइड डायोक्सीन आशंका बढ़आशंका बढ़ जाती हैनगरों में जहां से ज्यादा देखते रहते हैं वहां समिति नदी बस्तियों का विस्तार हो जाता है यहां रहने वाले लोग नौकरी एनीबनी व्यतीत करते हैं यह बस्तियां हमारे नगरीय विकास पर एक कलंक है दिल्ली मुंबई कोलकाता चेन्नई राजधानी में आज गंदी बस्तियां हैं और उनका विस्तार होता जा रहा है यही नहीं राजस्थान के नगरों जैसे जयपुर जोधपुर कोटा बीकानेर साथ ही नगर पालिकाओं के सीमित साधनों उदासीनता के कारण आज सभी नगरों में अवशिष्ट पदार्थो का मेला की राई से शत्रु में हो जाए जो तेरी चिंता का विषय पाठ भारत में ही नहीं बल्कि वैश्विक समस्या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूड़ा के प्रति सावधानी को गंभीरता से लिया गया है औरसाथ भारत में नगरों के सौंदर्य को बिगाड़ने में यह कूड़ा अहम भूमिका निभाते हैं नगर समस्या को और आकर्षित होते हैं मध्यवर्गीय ग्रामीण डाक सेवकों की अवधि में भर्ती होती है तो यह नगर के प्रति भी होते हैं रूम में से घोष की क नहीं होतीनहीं होती है ठेकेदारों का प्रभाव होता है उनके समय पर भुगतान के प्रतिष्ठित नहीं होने के कारण यह भी उत्पन्न हो उत्पन्न हो जाती है अपने अपने शत्रु से निस्तारित कूड़े को अलग कर कूड़े से जैविक खाद वर्मी कंपोस्ट बनाने का रास्ता और आवश्यक प्रबंध विकसित करना अधिक आसान है रासायनिक खाद के बढ़ते दुष्प्रभाव घोड़े काघोड़े का प्रबंधन व्यक्तित्व संभोग यात्री पुणे चक्र ऑफिस के गांव में प्रयोग की जाने वाली सामग्री का अशिष्ट पदार्थों के एकीकरण एवं विस्तार की समस्या गंभीर समस्या आज बड़े नगरों में कल छोटे नगरों में होगी यही नहीं अपितु नगरीय विकास के साथ शादी है 1 विकेट होती जाएगी विकास एनिवर्सरी की प्रक्रिया है जिसे रोका नहीं जा सकता है उसे उचित दिशा देने जिस सरकारीजिस सरकारी तंत्र नागरिक सहयोग से किया जा सकता है सरकार सर शिवरामन शिवरामन समिति का इस कार्य हेतु किया जिसके झुकाव थे बड़े-बड़े कूड़ा कूड़ेदान की स्थापना मानव द्वारा से संबंधित निष्कासन की उचित व्यवस्था नगरों में कूड़ा करकट उठाने की समुचित व्यवस्था कूड़े के ढेर को जलाकर भस्म करना आदि अपशिष्ट पदार्थों के नेतृत्व में दिए जाते हैं
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प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन

मनुष्य अपने जीविकोपार्जन के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करता है आदिमानव अपने बयानों से प्राप्त वनस्पति एवं पशुओं पर निर्भर था उस समय जनसंख्या का घनत्व कम था मनुष्य की आवश्यकता से मित्रता पर औद्योगीकरण का स्तर नीचे था उस समय आरक्षण आरक्षण की समस्या नहीं थी कालांतर में मनुष्य संसाधनों के विकास के वैज्ञानिक तथा तकनीकी संसाधन के कारण मनुष्य की प्राकृतिक संपदाप्राकृतिक संपदा ओं का उपयोग किया जाए तो उनसे अधिक दिनों तक लाभ उठाया जा सकता है भविष्य के लिए सुरक्षित रह सकता है प्राकृतिकप्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग योग में कंजूसी की जाए उनकी आवश्यकता के बावजूद उन्हें भविष्य के लिए बचा कर रखा जाए वरुण सरक्षण से हमारा आर्थिक संसाधनों का अधिकाधिक अधिकाधिक मनुष्य की आवश्यकता की पूर्ति हेतु उपयोग करें संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता मानवीय प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए खाद्य पदार्थों की पूर्ति के लिए और शक्ति के विकास के लिए विश्व की विश्व की वर्ष पूर्ण होने दो औरत थी वह 5:15 तक पहुंच चुकी हमारी भोजन वस्त्र आवास परिवहन के साधन विभिन्न प्रकार के यंत्रों की कच्चे माल की खपत कई गुना बढ़ गई है इस कारण हम प्राकृतिक संसाधनों का तेजी से गलत है उसका शोषण करते जा रहे हैं जिससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने लगा हुआ तो मानव का अस्तित्व खतरे में पड़वर्ष पूर्व अतिथि एवं प्रगति के लिए प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण में प्रबंधन आवश्यक हो चला प्राकृतिक संपदा हमारी पूंजी है जिसका लाभ कारी कारी उपयोग होना चाहिए इसके लिए हमें किसी देश के संसाधनों की जानकारी होनी चाहिए हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि विभिन्न सत्यानाश हो तो उसका प्रयोग के आधार पर सीमित है उसे अंधाधुन समाप्त करना दूरदर्शिता है सीमित प्रभाव वन्य संपदा कोयला पेट्रोलियम के विक्रम की खोज करना चाहिए सारे संसाधनों के संरक्षण के लिए सरकारी तथा गैर सरकारी स्तर पर पूर्ण सहयोग करना आवश्यक है इस पृथ्वी पर जीवन का आधार है यह सत्य है जहां जीवन के विकास की किरणों से चलती है और वन केवल जल तथा वायु के कारणों से होने वाले कटाव से उपजाऊ मिट्टी की रक्षा करते हैं बल्कि वे सक्रिय जो चट्टानों से वेरा मिट्टी की रचना करने वाले महत्वपूर्ण कारकों में से एक वन पर्यावरण को स्वच्छ रखने तथा प्राकृतिक संतुलन को कायम रखने में सहायक होते हैं वनों के बिना संभव नहीं है पिछले कुछ वर्षों में लकड़ी के दामों में हुई है उस जहां कहीं पानी बरसता है पेड़ों के भाव में उपजाऊ मिट्टी पर जाती है पेड़ों की कटाई का असर पहाड़ों पर भी होने के कारण पानी बरसने पर वहां से मिट्टी बेकर नदियों में आ जाती है फिर शुरू हो ग थोड़ा सा जलस्तर बढ़ने पर बाढ़ आ जाती है जंगल की रक्षा का सवाल आज हमारे लिए जीवन और मौत का सवाल बन गए पिछले कुछ वर्षों में तेजी से हुए जंगलों के निवास के बावजूद वार्ड में लगभग 15000 स्पीशीज के पुष्पों की पहुंच एवं वनस्पति पाई जाती है जाती है वनोपज के रूप में इन से 35 लाख घन मीटर सिंबल आफ घन मीटर जलाऊ लकड़ी आसन के प्रकार के पौधे से बहुत सोच लिया गब्बर सुगंधित तेल तेल बीज की प्राथमिक अरे मैं जहां पर्ची के लगभग कितने प्रतिशत भू भाग पर वन थे वहां आज मनुष्य संदीपमनुष्य संदीप अर्बन उन्मूलन का एक कारण झूम खेती को भी माना जाता है
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पारितंत्र का अर्थ एवं महत्व

ऐसे स्थान के प्राकृतिक ऊर्जा स्वास्थ्य स्थानों से 700 मीटर से अधिक 1 किलोमीटर थोड़ा और ऊपर की तरफ से ऊपर के लेबाऊपर के लेबा को पर्वत की चोटी कहते हैं आपआप जानते हैं सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट है जो धरती की सी क्लास में पर्वत श्रंखला में स्थित है इसकी ऊंचाई 8848 मीटर है तो इससे रोशन करना कहतेइससे रोशन करना कहते यह शंकर दा समुद्रसमुद्र के प्रशांतप्रशांत महासागरल
आपने अनुभव किया होगा कि बहता हुआ पानी आपने सात बकरी की वस्तु को बाहर ले जाता है हम तेज आंधी में कहीं पेड़ उखड़ जाते हैं हम लकड़ी की सत्य के नंबर पकड़ी हुई कि पर हथौड़े से प्यार करते हैं तो की लकड़ी में भीतर तक चली जाती है तेज हवा के कारण पवन चक्की चलती है इनसे हमें पता है कि गतिमान वस्तु में कार्य करने की क्षमता होती है जब हम किसी वस्तु को एक निश्चित ऊंचाई तक आते हैं तो उसमें कार्य करने की क्षमता जाती है जब बच्चा खिलौने में चाबी भरता है तो क्यों न किसी समतल दर्पण जब कोई कार्य किया जाता है तो उसमें नहीं तोड़ सकता हैजब मन लगा सकती है एवं दूसरी वस्तु में अपनी कुछ अथवा संपूर्ण ऊर्जा स्थानांतरित कर सकती है दूसरी वस्तु ऊर्जा संघ ग्रहण करके कार्य करने की क्षमता हासिल कर लेती है एवं दूसरी वस्तु में गति आ सकती है इस प्रकार पहली वस्तु से कुछ ऊर्जा का स्थानांतरण दूसरी वस्तु में हो जाता है किसी वस्तु में कार्य करने की क्षमता को ही उठ जा कहते हैं किसी वस्तु में विद्यमान ऊर्जा का माफ किए जाने वाले कार्य करते हैं किसी भी कार्य को करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता है इस प्रकार कार्य का मापदंड ऊर्जा का मात्रक कार्य का मात्रक जूल ऊर्जा की मात्रा भूल होगी विभिन्न रूपों में विद्यमान है जैसे यांत्रिक ऊर्जा प्रकाश का विद्युत ऊर्जा उसमें ऊर्जा नाभिकीय ऊर्जा रासायनिक ऊर्जा अधिक सूर्य हमारे लिए ऊर्जा का सबसे बड़ा प्राकृतिक घटनाओं का अपराध उस्मा के कारण सूक्ष्म कणों द्वारा गतिमान ऊर्जा को सूचना ऊर्जा कहते हैं जैसे कि घर में आकर राजस्थानी कुरजा राजस्थानी क्रियाओं द्वारा प्राप्त ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा करते हैं बैटरी भजन कोयला रसोई गैस आदि सभी रासायनिक ऊर्जा के कारण विद्युत आवेश उत्पन्न ऊर्जा विद्युत ऊर्जा के रूप में बिजली की जो भी उपयोग में लेते हैं वह विद्युत ऊर्जा से ही चलती है किसी वस्तु की याद नहीं होता उसकी गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा के योग के बराबर होती है जिससे वह वस्तु कार्य करती है उदाहरण के लिए जब हम गुटके को खड़ी खेल पर प्यार करते हैं तो निम्न प्रक्रिया होती है थोड़े में बाढ़ के कारण उसमें मदर डे के ऊपर उठाते हैं तो हम थोड़े पर कार्य करते हैं थोड़े की चीज ऊर्जा बढ़ जाती है अब हम बलपूर्वक थोड़े से हमें खेल को लकड़ी के गुटके में भेजने के लिए थोड़े द्वारा अर्जित स्थिति एवं गतिज ऊर्जा के योग को जाति गुर्जर के इसी प्रकार खींचे हुए धनुष में प्रत्याशित ऊर्जा की कहानी आती प्रत्या एकएक चलती हुई कार में गतिज ऊर्जा होती है इसी को इसी प्रकार एक खिलौना पिस्तौल में जब डाट को दबाया जाता है तो पिस्तौल के अंदर लगी फिर सिंह संपीड़ित होती है उसमें शरीर ऊर्जा जाती है पिस्तौल के फिगर को दबाने पर जीत यात्री उर्जा के कारण 8 दूर तक चला जाता 
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प्रकाश का परावर्तन पढ़ने और जरूर देखें

प्रकाश की किरण ने किसी पृष्ठ पर गिरती है तो उनमें से अधिकांश कितने निश्चित 10 दिशाओं में गमन कर जाती है यह परिवर्तन है दैनिक जीवन में हम सभी दो प्रकार के परावर्तन देखते नियमित परावर्तन यदि हम दर्पण की दिशा को परिवर्तित करते हैं तो वे दर्पण अब अन्य दिशा से चमकीला दिखाई देता है इसी प्रकार प्रकाश गिरने की दिशा बदलने पर दर्पण हमें अन्य किस दिशा में चमकीला दिखाई देता है आप मध्य में एक विशेष दिशा में भेजने को नियमित परावर्तन क्या है जब किसी कैमरे में किसी खिड़की आदि से प्रकाश किसी दीवार पर गिरता है गिरता है तो दीवार समान रूप से प्रतीत दिखा देता है इसका कारण यह है कि प्रकाश एक निश्चित दिशा से दीवार पर गिरने के सामान्यसामान्य जीवन में जब सूर्य का प्रकाश वायुमंडल की गैसों के नाम से फर्जी नहीं होता है तो नीले रंग की तरंगे उनकेउनके पास से फाइनल के बाद से यदि हम आकाश को देखकर तो आकाश काला दिखाई देगा कर दे दो पृष्ठों द्वारा प्रकाश को सभी आठ दिशाओं में बिखरने के प्रभाव को विशेष परावर्तन के तहत सा मंत्र कहां से तू आबाद से पदार्थ के पीछे वाले भाग पर आघात लगा कर उन्हें प्राप्त किया जाता है प्रवर्तन प्रवर्तन के नियम प्रकाश जबजब प्रकाश की कोई किरण एक माध्यम दूसरे माध्यम के पेड़ से टकराकर उसी माध्यमिक निश्चित दिशा में चल दी जाती है तो यह घटना प्रकाश का परावर्तन के लाती है परावर्तन के लिए बहुत दर्पण उपयोग में ले सकते हैं समाज के कृष्ण फॉसिल वर्कर के प्रवर्तक बना दिया जाता है जो दर्पण कहलाता है समतल दर्पण में बनने वाला पति भी ना बासी होता है जो प्रतिदिन दर्पण के पीछे दर्पण से उतनी ही दूरी पर अधिकारी कितनी दूरी पर दर्पण के सामने खड़े होकर खड़े होकर जब हम अपने पति भीम को देखते हैं तो हम पाते हैं कि हमारा हमारा दाया बाया बन जाता है हम दर्पण में क्यों दिखाई देते क्या यदि हम गौर से अवलोकन करें तो पाएंगे कि दर्पण शिवम कुछ नहीं करता अपने हम अपने प्रतिनिधि को देखने के लिए दाएं से बाएं घूमना पड़ता है यदि हम अपना मुंह में दर्पण की दिशा में कर देते हैं तो हमारी पीठ दर्पण की ओर हो जाएगी वह एवं हम अपना पति नहीं देख पाएंगे इसी प्रकार यदि आपने सम्मुख दर्पण सरकार की जय हो आप अपने अपने हाथों को यदियदि आप एक कागज केकागज के गत्ते से काटकर बनाए आकार के खिलौने नुमार्क से खोले हुए एवं उसे अपने हाथ में रखते हुए दर्पण के सामने खड़े हो तो आप पाएंगे कि आपने अपने आकृति को पकड़ रखा
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अंग दान में दे दान का महत्व

जीवित या मृत व्यक्ति द्वारा अन्य व्यक्ति को कोई उत्तर ज्ञान का दान करना अंगदान के लाता है लाता द्वारा दान किया गया अब राई के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है इस तरह अनुदान से दूसरे व्यक्ति की जिंदगी को ना केवल बंद पाया जा सकता है भरण खुशहाल भी बनाया जा सकता है ज्यादातर अंग दान दाता की मृत्यु के पश्चात ही होते हैं इस वजह से करीब 50 जरूरतमंद लोगों की मदद की जा सकती है दाने-दाने करने में सक्षम हैअन्य परंतु यह करती किसी भी परिस्थिति में स्थाई नहीं है भारतीय दर्शन में कहा गया ह क्या कोई ऐसा तरीका है जिससे हमारे शरीर का अस्तित्व लंबे समय तक बनाए रखा जा सकता है कहां है अभी गया है कि पशु मेरे मनोज के 100 काम सहारे मनोज मेरे किसी के काम में आवश्यकता है कि मनुष्य मृत्यु पश्चात प्राणी मात्र के काम आ सके यह तभी संभव है जब मृत्यु उपरांत भी हम दूसरे व्यक्ति के जीवित है हमारी आंखें हमारी मृत्यु के पश्चात इस इस श्रेणी के भारतभारत में हर वर्ष करीब की आवश्यकता है जबकि मौजूदा समय में प्रतिवर्ष उत्तर हजार से 80000 गुर्दे ही मिल जा पाते हैं इसी प्रकार करीब 50000 लोग हर वर्ष हार्दिक प्रत्यारोपण की आस में रहते हैं परंतु उपलब्धता केवल 10 से 15 की प्रत्यारोपण के लिए हर वर्ष भारत में 50 गायक रितु के व्यक्तियों को यह मौका प्राप्त होता है यही स्थिति के साथ है एक अनुमान के हिसाब से मृत्यु को प्राप्त होता है अंगदान की दे दानदे दान भी एक ऐसा गांव है जो आज समाज के दे दान दो प्रमुख मनुष्य के यार पति करें पूर्ण रूप से कार्य करना है ऐसे मामलों में व्यक्ति का दिमाग पूर्ण रूप से कार्य करना बंद कर देता है परंतु शरीर के अंग कार्य करते रहते हैं सीधे-साधे व्यक्तियों में बढ़ती कीमतों में लिया जा सकता हैपूर खेद का विषय की प्राचीन रूढ़िवादी उम्मीदों के कारण महात्मा गांधी करने वाले लोगों की संख्या बढ़ती 1000000 व्यक्तियों में आते हैं जबकि विकसित देशों में 10 से 30 से मैं आ सकता है कि हम लोग दान देदे दान के महत्व को समझें और उन लोगों की मदद करें जिनका जीवन किसी के प्रभाव में बड़ा करने के लिए आगे जाकर समाज को मानवीय कार्य के लिए प्रेरित करना चाहिए इस पवित्र कार्य हेतु शिक्षा से समाज में व्याप्त अंधविश्वास को दूर करने के लाभ लोगों तक पहुंचाएं रक्तदान दिवस के रूप में 13 अगस्त 13 अगस्त का दिन मनातीमनाती है समाज में इस व्यक्ति को लिंक नित्य के लिए आगे आए 90 वर्ष की उम्र में कन्यादान कर कैप्टन लक्ष्मी सहगल जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस के संग आजादी की लड़ाई में शामिल थे दो लोगों की जिंदगी में उजाला भर दिया हाल ही में साइटिका डॉक्टर विष्णु प्रभाकर के परिजनों ने उनकी इच्छा अनुसार मृत्यु उपरांत उनकी डे का दान किया पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योतिष समाजसेवी श्री देव में भी उनकी इच्छा मृत्यु प्रदान करने की घोषणा की हैइस हम सभी को करते हुए बहुत के साथ रक्तदान महादान तथा दे दान के लिए संकल्प होना चाहिए ताकि हमारे इस पुनीत कार्य से हमारा कोई भाई बहन जिंदगी को जिंदगी की तरह भाई कौन कर सकता है अंग दान में दे दान कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी धर्म जाति या लिंग को हो अंग दान में दे दान कर सकता है 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति के लिए माता-पिता माता-पिता या कानूनी अभिभावक की सहमति आवश्यक है दाता को अपने जीवन काल में 2 गांव की उपस्थिति में लिखित सहमति प्रदान करनी चाहिए यदि मृत्यु पूरा नहीं किया गया दान में दे दान का अधिकार उस व्यक्ति के पास होता है जिसके पास शव का निवेदन कानूनी रूप से मान्य है
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प्रतिरक्षा एवं रक्त समूह

मानव शरीर हर दिन अन्नकूट गानों से बढ़ियाशरीर में प्रतिरोधक क्षमता है यह प्रतिरोध क्षमता जन्म आशियां उपार्जित हो सकती है रो गानो के अनुमोदन हेतु शरीर में होने वाली क्रीम तथा संबंधित अध्ययन प्रतिरक्षा विज्ञान का जंतु कोशिका रक्त तलाशी का में क्रियाशील होती है शरीर में दो प्रकार की प्रतिरक्षा विधियां कार्य करती है यह जन्मजात प्रतिरक्षा विधि है क्योंकिक्योंकि यह प्रतिरक्षा यस यश यश यश प्रति जनों के विरुद्ध समान तरीके से कार्य करती है स्वाभाविक प्रतिरक्षा के लिए निम्न कार्य के सहायक होते हैं बत्ती करो जैसे त्वचा नासिक का चित्र तथा अन्य भागों में पाए जाने वाले पक्ष शाम तक शाम से लैस में उपकला आदि राजस्थानी औरतों जैसे आमाशय में पाए जाने वाले अम्ल में योनि कमली वातावरण त्वचा पर पाए जाने वाले रासायनिक तत्व विभिन्न देशों में पाई जाती प्रतिजन है जो शरीर में प्रविष्ट होने के पश्चात भी लसीका कोशिका को प्रतिरक्षी उत्पादक प्लाज्मा कोशिका रूपांतरित कर प्रत्यक्ष उत्पादन हेतु प्रेरित करता है तथा विशेष रूप से उस पर ही प्रतिशत प्रोटीन होता साधारण रुप से यह बाहरी रोगन अथवा पदार्थ होते हैं जिनका आणविक भार इंद्रा साहनी संगठनों के हो सकते हैं जैसे प्रोटीन फोलिक एसिड क्लिप इंडिया निखिल कभी-कभी शरीर के अंदर के प्रधान तथा कोशिका जैसे विषय में शंकर में क्या कैंसर कोशिका विभाजन के तौर पर कार्य करती है शरीर में प्रवेश होने के पश्चात प्रतिदिन का सामना सर्पदंश से होता है प्रति प्रोटीन के अलावा अन्य नशीले पदार्थ प्रतिरक्षी के साथ किया कर तो कर सकते परंतु यह पटेल के निर्माण में अधिक सक्रिय नहीं होते हैं प्रतिदिन संपूर्ण अनु के रूप में परिवर्तित करने से जुड़
यह कैसी विधि है जिसमें एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के परिजन स्वतंत्र में रहती हैं रात आधारित उत्पादों जैसे प्लेट और प्लाज्मा आदि को स्थानांतरित किया जाता है सर्वप्रथम 1667 को फ्रांस के चिकित्सक डाक्टर ज्योतिष द्वारा संपादित किया गया उन्होंने 15 वर्षीय बालक में रक्तदान चोट लगने अधिकचोट लगने शरीर में गंभीर चिंता होने पर सेल चिकित्सा के दौरान रक्त में विमान और पिता की स्थिति में हीमोफीलिया के रोग रोगियों को दात्र कोशिका रखता के रोगियों को मतदान की प्रक्रिया रक्त संग्रह प्रक्रिया से पूर्व दाता के स्वास्थ्य का परिसंचरण किया जाता है स्वास्थ्य परिसंचरण के पश्चात उपयोग क्षमता वाली युक्त तेलों में दाता से रक्त का संगठन किया जाता है संगीत रक्त का प्रतिशत भंडारण किया जाता रोका तथा कोसी की तपस्या बच्चे को धीमा किया जाता है संगीत रक्त की कई प्रकार की जान से जैसे रक्त समूह रक्तदान संग्रहण के पश्चात दाता को कुछ समय तक चिकित्सक की निगरानी में रखा जाता है ताकि उसके शरीर में रक्त दान के कारण होने वाली किसी प्रतिक्रिया का उपचार किया जा सके साधारण तेरा ज्ञान के प्रसार शरीर में कोई ऐसा सामान्य भर्ती के लिए नहीं होती मनुष्य में रक्त दान के पश्चात प्लाज्मा की 2 - 3 दिवस में अपने पूर्ति हो जाती है तथा स्थान 36 दिवस पर रक्त कोशिकाएं प्रणाली में उपस्थि पश्चात इस प्रक्रिया के पश्चात यादन संपादित किया जाता है संगीत प्रक्रिया शुरू करने से केवल 30 मिनट पर ही भंडारण क्षेत्र से बाहर नहीं देता है यह करीब 4 घंटे तक चलने वाली प्रक्रिया है जो परेशानी के माध्यम से संपादित की जाती है रोगी मैदान संबंधित भर्ती की वजह से सायनोसिस हृदय की गति की अनियमितता आदि को
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राजस्थान में भारत छोड़ो आन्दोलन का सिंहावलोकन

राजस्थान में भारत छोड़ो आन्दोलन का सिंहावलोकन :-
                                                                                    रियासतों में जन आन्दोलनों के दौरान लोगों को अनेक प्रकार के जुल्मों एवं यातनाओं का शिकार होना पड़ा। किसान आंदोलनों,जनजातीय आंदोलनों आदि ने राष्ट्रीय जागृति के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। ये स्वस्फूर्त आन्दोलन थे। इनमे सामन्ती व्यवस्था की कमजोरियां उजागर हुई। यध्यपि इन आन्दोलनों का लक्ष्य राजनीतिक नहीं था ,परन्तु निरंकुश सत्ता के विरुद्ध आवाज के स्वर बहुत तेज हो गया ,जिससे तत्कालीन राजनीतिक व्यवस्था को आलोचना का शिकार होना पड़ा। यदि आजादी के पश्चात राजतंत्र तथा सामन्त प्रथा का अवसान हुआ ,तो इसमें इन आंदोलनों की भूमिका को ओझल नहीं किया जा सकता है। अनेक देशभक्तों को प्राणों की आहुति देनी पड़ी। शहीद बालमुकुन्द बिस्सा ,सागरमल गोपा आदि का बलिदान प्रेरणादायक स्रोत बने। प्रजामण्डल आंदोलनों से राष्ट्रीय  आंदोलन को संबल मिला। प्रजामण्डलों ने अपने रचनात्मक कार्यों के अंतरगर्त सामाजिक सुधर ,शिक्षा का प्रसार ,बेगार प्रथा के उन्मूलन एवं अन्य आर्थिक समस्याओं का समाधान करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाये। यह कहना उचित नहीं है कि राजस्थान में जनआंदोलन केवल  संवैधानिक अधिकारों तथा उत्तरदायी शासन की स्थापना के लिए था ,स्वतन्त्रता के लिये नहीं। डॉ एम् एस जैन ने उचित ही लिखा है ,स्वतन्त्रता संघर्ष केवल बाह्य नियंत्रण के विरुद्ध ही नहीं होता ,बल्कि निरकुंश सत्ता के विरुद्ध संघर्ष भी  इसी श्रेणी में आते है। चूँकि रियासती जनता दोहरी गुलामी झेल रही थी। अतः उसके लिये संवैधानिक अधिकारों की प्राप्ति तथा उत्तरदायी शाशन की स्थापना से बढ़कर कोई बात नहीं हो सकती थी। 

रियासतों में शासकों का रवैया की खादी प्रचार ,स्वदेशी शिक्षण संस्थाओं जैसे रचनात्मक कार्यों को भी अनेक रियासतों में प्रतिबंधित कर दिया गया था।  सार्वजनिक सभाओं पर प्रतिबंध होने के कारण जन चेतना के व्यापक प्रसार में अड़चनें आयी। ऐसी कठिन परिस्थितियों में लोक संस्थाओं की भागीदारी कठिन थी। जब तक कांग्रेस ने अपने हरिपुरा अधिवेशन (1938 )में देशी रियासतों में चल रहे आंदोलनों को समर्थन नहीं दिया ,तब तक राजस्थान की रियासतों में जन आन्दोलन को व्यापक समर्थन नहीं मिल स्का। हरिपुरा अधिवेशन के पश्चात रियासती आन्दोलन राष्ट्र की मुख्य धारा से जुड़ गया। 
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भारत छोड़ो आन्दोलन में राजस्थान की भूमिका

भारत छोड़ो आन्दोलन में राजस्थान की भूमिका :-
                                                                          भारत छोड़ो आंदोलन (प्रस्ताव 8 अगस्त शुरुआत 9 अगस्त 1942 ) के 'करो या मरो 'की घोषणा के साथ ही राजस्थान में गांधीजी की गिरफ्तारी का विरोध होने लगा। जगह - जगह जुलुस, सभाओं और हड़तालों का आयोजन होने लगा। विद्यार्थी अपनी शिक्षण संस्थानों से बाहर आ गए और आंदोलन में कूद पड़े। स्थान - स्थान पर रेल की पटरियां उखाड़ दी , तार और टेलीफोन के तार काट दिए। स्थानीय जनता ने समानांतर सरकारें स्थापित कर ली। उधर जवाब मे ब्रिटिश सरकार ने भारी दमनचक्र चलाया। जगह -जगह पुलिस ने गोलियाँ चलायी। कई मारे गये ,हजारों गिरफ्तार किये गये। देश की आजादी की इस बड़ी लड़ाई में राजस्थान ने भी कंधे से कंधा मिलाकर योगदान दिया।

जोधपुर राज्य में सत्याग्रह का दौर चल पड़ा। जेल जाने वालों में मथुरादास माथुर ,देवनारायण व्यास ,गणेशीलाल व्यास ,सुमनेश जोशी ,अचलेश्वर प्रसाद शर्मा ,छगनराज चौपासनीवाला ,स्वामी कृष्णानंद ,द्वारका प्रसाद पुरोहित आदि थे। जोधपुर में विद्यार्थियों ने बम बनाकर सरकारी सम्पति को नष्ट किया। किन्तु राज्य सरकार के दमन के कारण आन्दोलन कुछ समय के लिए शिथिल पड़ गया। अनेक लोगों ने जयनारायण व्यास पर आन्दोलन समाप्त करने का दबाव डाला ,परन्तु वे अडिग रहे। राजस्थान में 1942 के आन्दोलन में जोधपुर राज्य का महत्वपूर्ण योगदान रहा है ,इस आन्दोलन में लगभग 400 व्यक्ति जेल में गए। महिलाओं में श्रीमती गोरजादेवी जोशी ,श्रीमती सावित्री देवी भाटी ,श्रीमती सिरेकंवल व्यास ,श्रीमती राजकौर व्यास ने अपनी गिरफ्तारियां दी।

माणिक्यलाल वर्मा रियासती नेताओं की बैठक में भाग लेकर इंदौर आये तो उनसे पूछा गया की भारत छोड़ो आन्दोलन के संदर्भ में मेवाड़ की क्या भूमिका रहेगी ,तो उन्होंने उत्तर दिया ,"भाई हम तो मेवाड़ी है,हर बार हर -हर महादेव बोलते आये है ,इस बार भी बोलेंगे। " स्पष्ट था कि भारत छोड़ो आंदोलन  के प्रति उनका सकारात्मक रूख था। बंबई से लौटकर उन्होंने मेवाड़ के महाराणा को ब्रिटिश सरकार से संबंध विच्छेद करने का 20 अगस्त 1942 को अल्टीमेटम दिया।  परन्तु महाराणा ने इसे महत्व नहीं दिया। दूसरे दिन माणिक्यलाल गिरफ्तार कर लिये गये। उदयपुर में काम -काज ठप्प हो गया।  इसके साथ ही प्रजामण्डल के कार्यकर्ता और सहयोगिओं की गिरफ्तारियों का सिलसिला शुरू हुआ। माणिक्यलाल वर्मा की पत्नी नारायणीदेवी वर्मा अपने 6 माह के पुत्र को गोद में लिए जेल गयी। आन्दोलन के दौरान उदयपुर में महाराणा कॉलेज और अन्य शिक्षण संस्थाएं कई दिनों तक बन्द रहीं। लगभग 600 छात्र गिरफ्तार किये गये। मेवाड़ के संघर्ष का दूसरा केंद्र नाथद्वारा था। नाथद्वारा में हड़तालें और जुलूसों की धूम मच गयी। नाथद्वारा के अतिरिक्त भीलवाड़ा ,चितौड़ भी संघर्ष केंद्र थे।

जयपुर राज्य की 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में भूमिका विवादास्पद रही। जयपुर प्रजामण्डल का एक वर्ग भारत छोड़ो आन्दोलन से नहीं रहना चाहता था। इनमे बाबा हरिश्चन्द ,रामकरण जोशी ,दौलतमल भण्डारी आदि थे। ये लोग पं. हीरालाल शास्त्री से मिले। हीरालाल शास्त्री ने 17 अगस्त 1942 की शाम को जयपुर में आयोजित सार्वजनिक सभा में आंदोलन की घोषणा का आश्वासन दिया। यध्यपि पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सभा हुई ,परंतु हीरालाल शास्त्री ने आंदोलन की घोषणा के स्थान पर सरकार साथ हुए समझौता वार्ता पर प्रकाश डाला। हीरालाल शास्त्री ने सम्भवतः इसलिए किया कि उनके जयपुर के तत्कालीन प्रधानमंत्री मिर्जा इस्माइल से मैत्रीपूर्ण संबंध थे तथा जयपुर के महाराजा के रवैये एवं आश्वाशन से जयपुर प्रजामण्डल संतुष्ट थे। जयपुर राज्य के भीतर और बाहर हीरालाल शास्त्री की आलोचना की गई। बाबा हरिश्चंद और उनके सहयोगियों ने एक नया संगठन 'आजाद मोर्चा ' की स्थापना कर आन्दोलन चलाया। इस मोर्चे का कार्यालय गुलाबचंद कासलीवाल के घर स्थित जयपुर के छात्रों ने शिक्षण में हड़ताल करवा दी।
इनके अलावा राजस्थान  के भरतपुर ,शाहपुरा (भीलवाड़ा ), अजमेर ,बीकानेर ,अलवर ,डूंगरपुर ,प्रतापगढ़ ,सिरोही ,झालावाड़,आदि राज्यों में भी भारत छोड़ो आन्दोलन की आग फैली। सार्वजनिक सभाएं कर देश में अंग्रेजी शाषन का विरोध किया गया। कांग्रेस नेताओं की गिरफ्तारियां हुई। हड़तालें हुई ,जुलुस निकाले गये। 
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Thursday, October 4, 2018

राजस्थान में परंपरागत जल संरक्षण के रूप निम्न प्रकार का है

बावड़ी चतुष्कोण इवॉल्वड कलाकार में निर्मित जल स्रोत से प्रवेश मार्ग से मध्य मार्ग तत्वों का प्रयोग किया गया है इनके आगे आंगन में भागवत ने इन भवन तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनी रहती है इस वीडियो को क्लास में है राम है राम भजन ओके होते हैं इन देशों में स्थानीय जल देवता की मूर्तियां होती है राजस्थान में बढ़िया का निर्माण में उपयोग सामाजिक व राज्य के सभी जिलों में मिलती है बावरिया राज्य के सभी जिलों में मिलती है बंद इस शेर को बावरिया के अधिकता के कारण स्वयं सिटी ऑफ स्टेप वेल्स कहा जाता है इसके अलावा जोधपुर की ताप्ती बावड़ी दौसा की बावड़ी चित्तौड़ की बावड़ी आभानेरी की चांद बावड़ी तालाब में जल वर्षा जल को एकत्रित किया जाता है जो पशुधन तथा मानव के पेय जल का स्रोत राधिका शाला भवन निर्माण डालूंगा के समीप किया गया इन तालाबों के निर्माण में दारू तथा सामाजिक भावना जुड़ी रहती है इस कारण का शिक्षण तथा सुरक्षा सकती है इस कारण इनका शिक्षण तथा सुरक्षा आसानी से हो जाती है राजस्थान के प्रमुख तालाब जो तत्कालीन समय में जल स्रोत नेपाली में हेमावास आला शरी तथा में जब भीलवाड़ा में बांध किया तथा सेनापति तालाब चित्तौड़ जिले में गड़ीसर गज राज्य में बहते हुए जल का संरक्षण करने में सर्वाधिक है सर्वाधिक प्रचलित स्रोत रही है इन जिलों का निर्माण स्थानीय शासन सहकार में बंजारों के द्वारा किया गया था जो पेयजल के साथ सिंचाई के साधन के रूप में भी प्रचलित रही है इन जिलों से निकाल के बताएं यह जांच पेयजल के साथ-साथ सिंचाई के साधन के मेरे निकाल के समीप के बागों में सिंचाई कार्य किया जाता है यदि ले जाओ स्थानीय आर्थिक तथा सामाजिक वहीं अकाल तथा सूखे में जीवनदायिनी तथाकथित सागर चुरू की ताल छापर जालौर की बाकली बांध टोंक रोड नगर पालिका सरदार समंद बूंदी की नव नव लखा जेल तथा राजसमंद की झील प्रसिद्ध है प्रसिद्ध है सामान्य के तालाब का छोटा रूप होता है पश्चिमी राजस्थान में पाई जाती है मैदानी भाग में वर्षा जल को एकत्रित किया जाता है सामान्य रूप से चार से पांच कैदी होती है नदियों की मिट्टी पश्चिम राजस्थान में परंपरागत जल संग्रहण का जल स्त्रोतों की प्रत्येक ग्रह चक्र खेत में भूमि में हेरा गड्ढा खोदकर बनाया जाता है इस के ऊपरी भाग को पत्थरों अथवा स्थानीय उपलब्ध संसाधनों से ढक दिया जाता है इसमें गैरों की p नागौर से आने वाले वर्षा जल का संग्रहण कर दिया जाता है इस के आंतरिक भाग में राज तथा बावरी का ले कर दिया जाता है जो जल्दी सांवली के कटाव को राजस्थान में जल स्वालंबन योजना तथा अन्य योजनाओं में टांका निर्माण किया जा रहा है हरियाणा में वर्षा जल संग्रहण का साधन एस करो सामंती टांके के समान ही है परंतु उसका परिवार टांके से बड़ा तथा कलाकार और खुला होता है जिसमें बहुत हुए वर्षा जल को जल को इसके आग और के माध्यम से कटा किया जाता है यह जो हर वस्तु तथा मानव के लिए पेयजल का उत्तम होता है
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राजस्थान के प्रमुख जनपद निम्न है

वैदिक सभ्यता के विकास क्रम में राजस्थान में भी जनपदों का उदय देखने को मिलता है यूनानी आक्रमण के कारण पंजाब कुमारी अर्चना दी जाती है जो अपने सांचौर सॉरी के लिए पश्चिमी राजस्थान में आई और यहीं पर राज करने लगी इस पर का राजस्थान के पूर्वी भाग में गणपति शासन व्यवस्था का सूत्रपात हुआ प्रमुख जनपद थे जंगल वर्तमान बीकानेर और जोधपुर के जिले में जांगल देश का नाम छतरपुर थे जिससे इस समय नागौर कहते हैं बीकानेर के राजा इसी जांगल देश के स्वामी होने के कारण राज्य के राज सिंह में भी जंगल दरबार से लिखा मिलता है यह मंदिर वर्तमानवर्तमान जयपुर के आसप व्हाट्सएप मत्स्य महाजनपदमत्स्य महाजनपद के चंबल के पास की पहाड़ियों से लेकर सरस्वती आधुनिकआधुनिक अलवर और भरतपुर के इसकी राजधानीइसकी राजधानी विराटनगर मेरठ के नाम से जाना जाता है मोरी साथ-साथ बिंदुसार से पहले मत तक यह स्पष्ट जानकारी का अभाव में महाभारत में कहा गया है कि आज की राजनीति पर  मत्स्य पालन में चेदि राज्य का हाल और कालांतर में यह विशाल मगध साम्राज्य का अंग बन गया शूरसेन आधुनिक व क्षेत्र में यह स्थिति स्थिति स्थिति प्राचीन यूनान किस राज्य कोआधुनिक व तथा राजधानी को मथुरा कहते थे महाभारत के अनुसार यहां बिंदु यादव वंश का शासन था भरतपुर धौलपुर करौली जिले के अधिकार शूरसेन जनपद के अंतर्गत आते थे अलवर जिले का पूरी बाग मिशन के अंतर्गत आता था वासुदेव के पिता जनपद की राजधानीजनपद की राजधानी शिवपुर जनपद की राजधानी शिवपुर की तथा राज्य सूची ने उसे अन्य जातियों के साथ 10 राज्यों के युद्ध में पराजित किया था प्राचीन शिवपुर की पहचान वर्तमान पाकिस्तान ने के स्वर कोर नामक स्थान से की जाती थी कालांतर में दक्षिण पंजाब की जेसीबी जाति राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र में निवास करने लगी चित्तौड़ चि चित्तौड़ चित्तौड़ के पास स्थित नगरीनगरी इस जनपद की मोर के अनेक स्थानों से सीढ़ियों के सिक्के भी प्राप्त हुए मंदसौर के पास पांच वाले प्राचीन सचिव जनपद के पश्चात पश्चिम से लेकर दक्षिण पूर्व तक होना तथा गणतंत्र आत्मक शासन प्रणाली के बावजूद इन जनपदों को सत्ता कुल्लू इन परिवारों के हाथों में ही 3 परिवारों में प्रतिनिधि संस्था के प्रमुख के रूप में शासन की व्यवस्था का संस्था के सदस्य निर्धारित विषय पर अपने विचार व्यक्त राज्य की नीति के आधारभूत नियमों का निर्धारण तथा विशालगढ़ में केंद्रीय संस्थान राजस्थान चुरु की विस्तार राजनीति न्यू नातिन रूप से इन के पतन के लिए उत्तरदाई थी उत्तर दायि
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गुरु गोविन्द सिंह का संक्षिप्त परिचय

गुरु गोविन्द सिंह :- 
                             गुरु गोविन्द सिंह तेगबहादुर के पुत्र थे। ये सिखों के दसवें गुरु और अन्तिम गुरु थे। पंजाब पर औरंगजेब के अत्याचारों का विरोध करने हेतु उन्होंने शस्त्र और शास्त्र शिक्षा हेतु शिक्षण केंद्रों का विकास किया। इससे सिक्ख सम्प्रदाय सक्षम बना।
लाहौर के सूबेदार को ' नदौण के युद्ध ' में पराजित किया। सिक्खों को सुसंगठित करने ,उनकी कुरीतियां हटाने एवं नवचेतना जागृत करने के उद्देश्य से खालसा पंथ की स्थापना 1699 में की।
बलिदानी पांच भक्तों द्वारा पंज प्यारों ,पाहुल ( चरणामृत ) एवं अमृत छकाणा ( पतासे घुला पानी )की नई प्रथा प्रारम्भ की।
खालसा पंथ के सिक्खों को पांच ' ककार ' अर्थार्त कड़ा ,केश ,कच्छ ,कृपाण , और कंघा रखना आवश्यक था।
ओरंगजेब से युद्ध की आशंका के कारण उन्होंने 1699 में ही आनंदपुर साहिब में एक सैनिक केन्द्र खोल दिया।
गुरु गोविंद सिंह धार्मिक स्वंतत्रता एवं राष्ट्रीय उन्नति का ऊँचा आदर्श रखते हुए सिक्खों के उतकर्ष में लगे रहे। 1705 में मुगलों के आक्रमण के कारण उन्हें आनन्दपुर छोड़ना पड़ा। आनंदपुर में छूटे दोनों पुत्रों जोरावर सिंह व फतेह सिंह को कैद कर सरहिन्द के किले में दीवार में जिन्दा चुनवा दिया गया, परन्तु उन्होंने धर्म परिवर्तन नहीं किया।
चमकौर के युद्ध में अपने अन्य दो पुत्र अजीत सिंह व जुंझार सिंह शहीद हुए।
खुदराना के संघर्ष में चालीस सिक्खों ने वीरगति प्राप्त की ,उन्हें 'मुक्ता ' एवं स्थान को मुक्तसर कहा गया।
गुरु गोविन्द सिंह आनन्दपुर से अंततः तलवंडी पहुँचे जहाँ एक वर्ष तक उन्होंने साहित्यिक लेखन का कार्य।
ओरंगजेब के निमंत्रण पर वे मिलने जा रहे थे ,तभी ओरंगजेब की मृत्यु का समाचार मिला।
 1 अक्टूबर 1708 को गुरु गोविन्द सिंह परलोक सिधार गए।  
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संचार सेवा

संचार सेवा :-
                    जब से मानव पृथ्वी पर अवतरित हुआ है,उसने विभिन्न संचार माध्यमों का प्रयोग किया है। प्रगति के पथ पर मानव बहुत दूर चला आया है। जीवन के हर क्षेत्र में कई ऐसे मुकाम प्राप्त हो गए है जो हमे जीवन में सभी सुविधाएँ व आराम प्रदान करते है। आज संचार मानव की मुठ्ठी में समाया हुआ है तथा संचार क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम उठाये गये है। अनेक नये स्रोत ,नये साधन और सुविधायें प्राप्त कर ली गयी है जो हमें आधुनिकता के दौर में काफी ऊपर लाकर खड़ा करती है।

सन्देश प्राप्तकर्ता या सन्देश भेजने वाले के गतिविहीन रहते हुए भी लम्बी दूरी का संचार बहुत आसान है। निजी दूरसंचार तथा जन संचार में दूरदर्शन ,रेडियो,समाचार -पत्र  समूह ,प्रेस तथा सिनेमा ,इंटरनेट ,केबल ,मोबाइल उपग्रह आदि देश के प्रमुख संचार साधन है। भारत  डाक संचार तंत्र विश्व का वृहत्तम है यह पार्स्ल ,निजी पत्र व्यवहार ,स्पीड पोस्ट आदि को संचालित करता है। कार्ड व् लिफाफा ,बन्द चिट्ठी पहली श्रेणी की डाक समझी जाती है तथा इन्हें विभिन्न स्थानों तक बस ,रेल तथा वायुयानों व जल परिवहन की सहायता से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचायी जाती है।

आधुनिक संचार के साधन में प्रमुखतः -टेलीफोन ,इन्टरनेट व मोबाइल सेवाएं है।

इन्टरनेट :-
                  इंटरनेट  शुरुआत 1969 में हुई थी उस समय एक सिमित क्षेत्र में ही इन नेटवर्किंग का उपयोग सूचनाओं के आदान - प्रदान के लिए होता था 1972 में ई -मेल  शुरुआत ने संचार जगत में क्रान्ति की शुरुआत की। ई - मेल की सहायता से कोई भी संदेश सूचना इत्यादि कुछ ही सैकंड में विश्व के किसी  भी कोने में भेजी जा सकती है जहाँ इन्टरनेट सेवा  है।  . ई -मेल के द्वारा ही संदेश हजारों व्यक्तियों को एक साथ भेजा जा सकता है। इंटरनेट की सहायता से वीडियो कॉन्फ्रेंसिग भी की जाती है जो खर्चीली है तथा समय की बचत करती है इसके द्वारा देश विदेश के अलग जगह बैठे कई व्यक्ति श्रव्य दृश्य के माध्यम से आपस वार्तालाप कर सकते है।

इंटरनेट के माध्यम से चित्र एवं चलचित्र भी एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी व शीघ्रता से भेजे व देखे जा सकते है विश्व के किसी भी कोने में घटित प्रमुख घटना की जानकारी एक स्थान से दूसरे स्थान के व्यक्तियों तक शीघ्रता से पहुंच जाती है।

इंटरनेट सेवाएं टेलीफोन लाइनों के माध्यम से ब्रॉड बैंड सेवाओं तक मोबाइल सेवाओं के 2जी ,3जी ,4जी ,नेटवर्कों के माध्यम से प्राप्त होती है।


टेलीफोन :-
                 संचार का एक महत्वपूर्ण साधन टेलीफोन है इसका आविष्कार ग्राहमबोल ने किया इसके पश्चात इसकी कार्यप्रणाली में तेजी से सुधार आता गया। इसकी सहायता से अलग -अलग स्थानों पर बैठें व्यक्ति आपस में बात कर सकतें है तथा सूचनाओं का आदान प्रदान कर सकते है।  टेलीफोन सेवाओं में एस.टी.डी.व आई.एस.डी. सेवाओं में देशों व शहरों के अंकीय कोड निर्धारित है जिन्हें टेलीफोन नंबर के पहले डायल कर सीधे ही बिना किसी इन्तजार के बात की जा सकती है।


मोबाइल :-
                   टेलीफोन संचार सेवाओं के क्षेत्र में मोबाइल फोन सेवाओं के आविष्कार से एक महत्वपूर्ण क्रान्ति आ गई। मोबाइल सेवाओं से किसी भी व्यक्ति (जो मोबाइल फोन सेवा का उपयोग कर रहा है )से सीधे ही बात की जा सकती है मोबाइल सेवाओं द्वारा तीव्र गति की इंटरनेट सेवाएं 3जी व 4 जी उपलब्ध है जिनके द्वारा वीडियो कालिंग सुविधा उपलब्ध है विभिन्न मोबाइल ऐप्लिकेशन ने भी संचार सेवाओं को आसान व तीव्र बना दिया है तथा दिन प्रतिदिन इन सेवाओं में नई तकनीकी का आविष्कार हो रहा है।
              
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पारिभाषिक तौर पर सामान्य कीमत स्तर में सतत वर्दी की स्थिति मुद्रास्फीति के नाती

पारिभाषिक तौर पर सामान्य कीमत स्तर में सतत वर्दी की स्थिति मुद्रास्फीति के नाती है यह एक वस्तू अशी वस्तु समूह के लिए कीमत में औसत वृद्धि को बताती है यह संभव है कि बजे बाजार में आज सब्जियों की कीमतों में वर्दी वाला समाचार पत्र कम यह भी संभव है कि आप किसी वस्तु या कुछ वस्तुओं की कीमतों में कमी महसूस कर रहे हो लेकिन समाचार पत्र बढ़ती मुद्रास्फीति बता रहे हो या संबंधित वस्तुओं की कीमत स्तर में वृद्धि की किसी एक वस्तु की कीमत में वृद्धिकि आ सामान्य कीमत स्तर का तात्पर्य है वस्तु या एक वस्तु की समूह किस कीमत व्यवस्था किस तरह से सामान्य कीमत स्तर किसी एक वस्तु की कीमत को नहीं बताता अभी तो यह तो एक निश्चित समय को व्यक्त करता है मुद्रास्फीति के लिए अतः सभी अर्थव्यवस्था मुद्रास्फीति की दर के मापन हेतु विभिन्न प्रकार की कीमत सूचकांक बनाती है सामान्य कीमत स्तर में परिवर्तन को मापन के लिए बास में भी अनेक प्रकार की कीमत सूचकांक तैयार की जाते सूचकांकों में थोक मूल्य सूचकांक क्या है मुद्रा स्थिति को किसी निर्धारित से सूचकांक के समय साथ साथ होने वाले अनुभव परिवर्तनीय परिवर्तन सॉफ्टवेयर कैसे च के आकार में परिवर्तन को दर्शाते हैं बाद में मुद्रास्फीति की दर एक गंभीर समस्या रही है 1985 क्या क्या दश Apple 7 उन्नीस सौ साठ के दशक में यह फोन 4% हो गई है इस पर के दक्षिण में 9% से ऊपर पहुंच गई है उनकी मुद्रा स्फीति का यह दौर 1992 तक चलता रहा इस स्थिति में कुछ कमी देखने को मिलीउ 45 मुद्रा का तात्पर्य मुद्रा की क्रय शक्ति से जो की मुद्रा द्वारा वस्तुओं और सेवाओं को काले करने की क्षमता बताता मुद्रा स्थिति के कारण निश्चित वेतन तथा मजदूरी प्राप्त करने वाले वर्गों की हानि होती है ईश्वर को उनके सामान कार्य सेवाओं के लिए प्राप्त सम्मान राशि की मुद्रा का मूल्य कम हो जाता है उसकी मुद्रास्फीति के कारण इस मित्रता मजदूरी प्राप्त करने वाले वर्ग को भी हानि होती है इस पर को उनके सामान कार्य सेवाओं के लिए एक समान मुद्रा का मूल्य कम हो जाता है मुझे सही कहा जाता है क्योंकि सच का मूल्य मुद्रा स्पीति का प्रभाव आर्थिक विकास की दर गरीबी बेरोजगारी आई एम धन के वितरण आदि पर भी पड़ता है जिसका दिल आगे की कक्षाओं में किया जाएगा सारे रूप में यह कहा जा सकता है कि मुद्रास्फीति विकास के दावों को समाप्त कर देती है तो इससे नियंत्रण में रखे जाने की आवश्यकता थी मुद्रास्फीति का मांग प्रेरित तथा लागत पर एक्स कभी कम तो कभी ज्यादा होती है इन सभी प्रश्नों को सजाने के लिए सामान मांग तथा समझ पूर्ति की अवधारणा के द्वारा मुझे भर्ती के रिक्त पदों को समझ ना सके देश में उत्पादित वस्तुओं का का योग संबंधका योग संबंध में ख्याल आता है सलमा को पूर्ति का तात्पर्य उत्पादन की मात्रा से हटने से दिए गए आवर्ती होती है या सम आपूर्ति में कमी आती है यहां दोनों स्थितियां एक साथ उत्पन्न हो जाती है टॉर्च तो इसे मॉल बरेली मुद्रास्फीति के तलाक तूने वरती के कारण समझ पूर्ति में गिरावट से जो मुद्रा स्थिति उत्पन्न होती है उसे लागत प्रेरित मुद्रास्फीति कहते हैं मुद्रास्फीति के कारण मुद्रास्फीति का कोई एक स्थान निश्चित का नहीं है यह कानों का संयुक्त परिणाम होती है मुद्रास्फीति के लिए उत्तरदाई कुछ प्रमुख कारण है मुद्रा की पूर्ति का सर्वाधिक यहयह नए कानूनों सेम परिणाम आज वेस्टर्न में जब वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन की तुलना में मुद्रा की पूर्ति तेजी से बढ़ती है तो देती मुद्रा अपेक्षाकृत कम अस्तु के पीछे दौड़ती है से दिए गए कीमत स्तर पर समाज गांव का इस्तमा संभल पूर्ति से अधिक हो जाता है और कीमतों में वृद्धि की प्रवृत्ति उत्पन्न हो जाती है धोती तथा कृषि उत्पादन में धीमी वर्दी स्वतंत्रता के पश्चात अधिकांश वर्षों में भारत में औद्योगिक विकास की दर से कम रही है 1965 से लेकिन उद्योग इस मांग को संतुष्ट करने में सफल रहे उद्योग के क्षेत्र में मांग कर आदित्य ने कीमतों को तेजी से बड़ा या अन्य सुधारो और कहानियों के बावजूद भारतीय कृषि की उत्पादकता बहुत नीची है इसका इसके साथ भारती का शिकार उत्पादन मांग को संतुष्ट करने में सफल रहा है ऐसी स्थिति में उनकी टीम को लगातार तेजी से बढ़ रही है
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राष्ट्रीय आय का सामान्य परिचय के बारे में देखें और पढ़ें

प्रतिदिन के जीवन में अनेक बार आज शब्द का प्रयोग करते हैं किसी भी व्यक्ति या परिवार के कल्याण को देखने हेतु सर्वाधिक उपयोगी कार्य काल को माना जाता है हम सब यह जानते हैं कि आखिर जाने कमाते निर्धारित नहीं है जिससे व्यक्ति के कल्याण के अंदर यह व्यक्ति या परिवार की और बड़ी सीमा तक उसके भौतिक जीवन सामाजिक परिस्थितियों तथा आर्थिक प्रगति के परिवार की बनती है कि रास्ते की आज्ञा शक्ति राष्ट्रीय आय की गणना की आर्थिक प्रगति का ज्ञान होता है अर्थव्यवस्था में विभिन्न क्षेत्रों का योगदान एवं उनके साथ पिक्चर में थोड़ी जानकारी मिलते राष्ट्रीय आय के अनुमान के आधार पर राष्ट्रीय आय का अर्थ यह था कि आरती निष्पादित का मंदिर कहां पर है इससे देश के उत्पादन के साधनों द्वारा एक निश्चित अवधि के दौरान उत्पादक समस्त अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के मोदी मुरली के रूप में परिभाषित किया जाता है ध्यान रहे कि राष्ट्रीय आय में देश की अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के मुझे कोई शामिल किया जाता है अंतिम वस्तु या सेवा व्यवस्था होती है जिसका उत्पादन प्रक्रिया पूर्ण नहीं किया जा सकता है इसका उत्पादन प्रक्रिया पुणे पर शंकर नहीं किया जा सकता है साथ ही यह भी महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रीय आदेश के उत्पादन के सभी साधनों की आय का यो होती है कि देश के व्यक्तियों की आएगा 1 अप्रैल से 30 मार्च तक होता हैइ उत्पादन उत्पादन होता है देश के सभी साधन अपने संयुक्त प्रयास दवारा मूल्य के अंतिम वस्तु है तथा सेवाएं उत्पादित करते हैं देश में उत्तर ही सही मूल्य की मूर्ति का निर्माण होता है इसलिए वर्तिका सभी साधनों के स्वामियों को विस्तारित किया जाता है साधनों का मुख्य उनकी सेवाओं का पुरस्कार दिया जाता है उनको मजदूरी भुगतान मूर्ति के समान होता मूर्ति के समान होता है इस प्रकार घरेलू साधनाए का तालू देश की घरेलू शिव मंदिर पर होने वाली से आई है राष्ट्रीय आय के नए रूप होते हैं जिन्हें राष्ट्र एक रिक्वेस्ट है कि नहीं पदार्थों को मापने हेतु प्राइस सकल उत्पाद को अधिक उपयोग में लिया जाता है वित्त वर्ष दौरान देश की घरेलू सीमाओं में उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के मोदी मूल्यों का योग सकल घरेलू उत्पादन प्रति व्यक्ति आयएक अर्थ यह जनसंख्या में परिवर्तन के प्रभाव को सुनाया जाए फिर नहीं कर सकता जनसंख्या में परिवर्तन के प्रभाव को गणना में शामिल गाना में शामिल करना प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय आय की तुलना में आर्थिक कल्याण एवं आर्थिक विकास का उपयोग में अज्ञात राष्ट्रीयराष्ट्रीय आय बता गण जनसंख्या स्वतंत्रतास्वतंत्रता से पूर्व भार भारत में राष्ट्रीय आय की प्रथम गणना श्री दादा भाई नौरोजी द्वारा से 868 ईसवी में की गई है इन के पश्चात दादा डॉक्टर वीके आरवी राव आदि इत्यादि के द्वारा भी राष्ट्रीय आय के अनुमान लगाए जाते हैं इन सभी दोनों ने राष्ट्रीय आय की गणना
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राजस्थान की अन्य परियोजना निम्न प्रकार की है

कम परियोजना यह बहुत से जल परियोजना सिचाई में पेयजल योजना में टोंक जिले के टोडारायसिंह के पास भी स्थान पर बनारस नदी हम अपने दैनिक जीवन में विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं में उपयोग करता है इसमें से कुछ हमारे आस पास उपलब्ध होती है तथा कुछ अन्य आवश्यक दूसरे स्थान पर प्राप्त कर लेना की जाती है कुछ और स्थान समस्या कुर्ते स्थान मांगो संसाधनों का वर्गीकरण की परिभाषा आधारभूत का दुशासन सुना है तथा परिवहन देश के सतत विकास में सुव्यवस्थित परिवहन प्रणाली के एकमात्र भूमिका निभाती है पिछले कुछ वर्षों में परिवहन के क्षेत्र में बड़े पैमाने विकास देखने को मिला जिसके पश्चात सुदूर क्षेत्रों का क्षेत्र विस्तार हुआ एवं लोगों को इसका लाभ भी प्राप्त हुआ आर्थिक विकास में परिवहन का महत्वपूर्ण स्थान है औद्योगिक विकास के लिए आवश्यक हैपरिवहन देश के साधनासाधना को हिंदी सड़क परिवहन ने भारत के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है इसमें मध्यम दूरी तय करने के लिए यह यातायात का सर्वाधिक सुगम एवं संस्था साधन भी है यातायात में यह सेवा परिवहन के साधनों की सड़क सहायता है सहायक है क्योंकि इसकी विश्वसनीयता शीघ्रता लचीलापन एवं द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है भारत में भौतिक विशेषताओं के कारण जेल किया जा सकता है सड़कों का महत्व अपने आप बढ़ जाता है भारत में मार्च 2015 में सड़क की कुल लंबाई बढ़ गई है राष्ट्रीय राजमार्ग रेल परिवहन की अपेक्षा सड़क एवं परिवहन से बढ़ती वर्ती कारणों से है रेलवे लाइन की अपेक्षा सड़कों के निर्माण लागत बहुत कम है अपेक्षाकृत उबड़ खाबड़ विभिन्न भागों में सड़के बनाई जा सकती है अधिक बल पर हड़ताल तथा पहाड़ी क्षेत्रों में भीषण के निर्मित की जा सकती अपेक्षाकृत कम व्यक्तियों कम दूरी एवं वस्तु में परिवहन के सेट किए हैं यह घर घर सेवाएं उपलब्ध कराता है तथा सामान्य उतारने की लागत
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बंदा बैरागी का जीवन प परिचय देखें और पढ़ें

बंदा बैरागी बात दूर का मूल नाम आधार कार्ड 1617 में राजपूत परिवार में जन्म हुआ था और गोदावरी तट के पर आसमान में निवास करते थे गुरु गोविंद सिंह के दक्षिण में उन्होंने उनको गुरु का बंदा बैरागी के नाम से पहचाने यहयह सब भी बंदा के नेतृत्व धावा बोला वजीर धावा बोला वजीर खान ने मुस्लिम से बंदा का मुकाबला करने का आह्वान किया समाजा केसु जायल जाटों के सहयोग से छप्पर चिरी नामक स्थान पर वजीर खा के टुकड़े-टुकड़े कर दिया 36 साल वर्षीय राजस्व मध्यप्रदेश शासन करने लगा किसानों को राहत देने के लिए बंधने जमीदार प्रथा समाप्त कर दिया रे सरहिंद की विशेषताएं अमृतसर बटाला रोड पर अधिकार कर लियामु पंजाब में मुगल प्रशासन समाप्त हो गया मुगल सम्राट बहादुर शाह को पंजाब में सेना बेचनी पड़ी बंदा मनोहर गढ़ के पहाड़ी दुर्ग में चला गया उसने मुगल सैनिकों पर भरोसा छापामारी के आक्रमण किया बहादुर की 28 फरवरी 1712 में मृत्यु हो गई रणजीत सिंह का जन्म 13 नवंबर 1780 मेरा वाला में उन 1803 में कल घर पर कब्जा कर लिया 1840 में गुजरात के साहिब सिंह पर हमला कर पराजित किया था 18 फ्लिपकार्ट मलेरकोटला तबला को जीत लिया परंतु डासना से अमृतसर की संधि स्वीकार कर लिया ड 64080 में64080 में रंजीत की मृत्यु हो गई गुरु रामदास ने धार्मिक केंद्रों की संख्या को बढ़ाया और 500 बीघा जमीन पर विश्वास नगर बनाया जो अमृतसर किराया सिखों का विज्ञान नगर अमृतसर के नाम से है यहां के शक्तिशाली समित किसान सिख धर्म के 9 गुरु राम दास के कहने पर हरिद्वार यात्रा पर लगने वाले कारक बनता रख क पर्सनलपर्सनल किया
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वायु परिवहन

वायु परिवहन :-
                         वायु परिवहन तीव्रतम ,आरामदायक व प्रतिष्ठित परिवहन का साधन है। तीव्रगामी साधन का महत्व भारत जैसे भौतिक दृष्टि से विविधता पूर्ण तथा विशाल देश में स्वतः स्पष्ट है इसके द्वारा अति दुर्गम स्थानों जैसे - ऊँचे पर्वत ,मरुस्थल ,घने जंगलों व लम्बे समुद्री रास्तों को सुगमता से पार किया जा सकता है।  वायु परिवहन देश के दुर्गम भागों को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।  वायु परिवहन का प्राम्भ देश में 1911 में हुआ जब इलाहाबाद से नैनी के बीच विश्व की सर्वप्रथम डाक सेवा का परिवहन किया गया। सन 1953 में वायु परिवहन का राष्ट्रीयकरण किया गया। इंडियन एयर लाइंस ,एलांस एयर (इंडियन एयर लाइंस की अनुषांगी )तथा कई निजी एयर लाइंस घरेलू विमान सेवाएं उपलब्ध कराती है। एयर इंडिया अंतरार्ष्ट्रीय वायु सेवाएं उपलब्ध कराती है। पवन हंस हेलीकॉप्टर लिमिटेड ,तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग को आपात आपाःतिक संक्रियाओं में तथा अगम्य व दुर्गम भू-भागों जैसे उत्तरी पूर्वी राज्यों तथा जम्मू कश्मीर ,हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड के आंतरिक क्षेत्रों में हेलीकॉप्टर सेवाएं उपलब्ध करवाता है।
इंडियन एयर लाइंस देश के आंतरिक भागों के अतिरिक्त समीपवर्ती देशों -नेपाल ,बांग्लादेश,पाकिस्तान, अफगानिस्तान, श्रीलंका, म्यामांर तथा मालद्वीप को भी अपनी सेवाएं उपलब्ध करवाता है।

भारत में अंतरार्ष्ट्रीय विमान पतन प्राधिकरण देश के चार बड़े हवाई अड्डों -मुंबई ,कोलकत्ता ,दिल्ली व चेन्नई का प्रबंध करता है जबकि राष्ट्रीय विमान पतन प्राधिकरण देशी हवाई अड्डों और रक्षा हवाई अड्डों पर असैनिक उड़ान पट्टियों का प्रबंध करता है

देश के विमान पत्तनों को उनके कार्य ,विशेषता ,महत्व तथा उनके द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं  के आधार पर चार श्रेणियों में रखा जाता है -

1  अंतराष्ट्रीय विमान पतन :-
                                            यहां अंतराष्ट्रीय विमान सेवाएं उपलब्ध है। देश में निम्न पतन अंतराष्ट्रीय विमान सेवाएं उपलब्ध कराते है -जवाहरलाल नेहरू विमान पतन (सांताकुंज हवाई अड्डा मुंबई ) , सुभाष चंद्र बोस विमान पतन (दमदम हवाई  अड्डा ,कोलकाता ) ,इन्दिरा गांधी अंतराष्ट्रीय विमान पतन (दिल्ली ), मीनाम्ब्कम (चेन्नई ) तला तिरुअनन्तपुरम।
इनके अतिरिक्त बैंगलोर ,हैदराबाद ,अहमदाबाद ,कोच्चि ,तिरुअनंतपुरम ,कैलिकट ,कोयंबटूर ,नागपुर ,पुणे ,जयपुर ,लखनऊ ,श्रीनगर ,गोवा ,अमृतसर ,गुवाहाटी और नेदुमबसरी में अंतराष्ट्रीय विमान पतन है।

2 प्रधान श्रेणी के विमान पतन :-
                                                ये छोटे बड़े सभी प्रकार के वायुयानों को उतारने एवं उड़ान भरने की सुविधा प्रदान करते है। ये निम्न है - अगरतला ,अहमदाबाद ,राजसेसी (अमृतसर ), अामौसी(लखनऊ) , पटना ,बेगम पेट (हैदराबाद ) , सेन्ट थामस (चेन्नई), सफदर जंग (दिल्ली ), गुवाहाटी ,जयपुर ,नागपुर ,तिरुचिरापल्ली ,बढ़ापानी (शिलांग )आदि।

इनके अतिरिक्त देश में 38 मध्य श्रेणी व 28 छोटी श्रेणी के विमान पतन व  सहायता प्राप्त उड्यन क्लब भी है जहां चालकों को प्रशिक्षण दिया जाता है।

राजस्थान में जयपुर सांगानेर स्थित विमान पतन प्रधान श्रेणी का हवाई अड्डा है। यहां दो टर्मिनल है जहां से देश व कुछ विदेशी विमान सेवाओं का संचालन सरकारी एवं निजी विमान कम्पनियों द्वारा किया जाता है।  यहां से देश के सभी प्रमुख शहरों के लिए  विमान सेवाएं उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त रातानाडा (जोधपुर )एवं डबोक (उदयपुर )तथा  किशनगढ़ (अजमेर )  में मध्यम श्रेणी के विमान पतन है जहां से देश के कुछ प्रमुख शहरों के लिए विमान सेवाएं उपलब्ध है। 
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