Free job alert,join indian army,sarkari ruselt,job alert,news,news hindi, news in hindi,aaj tak,aaj tak live,new movies

Saturday, September 29, 2018

मारवाड़ के गाँधी नाथूराम मिर्धा का जीवन परिचय

नाथूराम मिर्धा ,राजस्थान  में यह नाम कोई अनजाना नहीं है। 

नाथूराम मिर्धा एक राजनीतिज्ञ ,समाज- सेवक और स्वंतत्रता सेनानी थे। मारवाड़ के किसानों के दिलों पर नाथूराम मिर्धा ने वर्षों तक राज किया है।
उनका जन्म 20 अक्टूबर 1921 को राजस्थान  नागौर जिले के कुचेरा गांव में हुआ था। उनके पिता का थानाराम मिर्धा था।
उनकी पत्नी का नाम केशर देवी था जिनके 2 पुत्र और 2 पुत्रियां थी। जोधपुर के दरबार हाई स्कूल से उन्होंने शिक्षा ग्रहण की और अर्थशास्त्र में मास्टर्स की।  1944 में लखनऊ विश्विद्यालय से वकालत (एलएलबी )की डिग्री भी ली।
नाथूराम मिर्धा एक ग्रामीण परिवेश में पले - बढ़े थे ,इसलिए किसानों में उनका झुकाव पहले से ही था।
वकालत के दो साल बाद उन्होंने किसान सभा नाम की एक किसान इंस्टिट्यूट में सेकेटरी पद पर ज्वाइन किया और बाद में जोधपुर जिले के रेवेन्यू मंत्री बना दिए गए।
15 अगस्त 1947 के बाद किसान सभा एक प्रसिद्ध मिनिस्ट्री बन चुकी थी और नाथूराम जी उसके जनरल सेकेर्ट्री।
उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव 1952 में मेड़ता सिटी से लड़ा और भारी मतों से जीत हासिल की। राजस्थान सरकार में उन्होंने 1952 से लेकर 1967 और 1984 से लेकर 1989 तक का समय बिताया और कई मंत्री पदों पर काम किया। अपने कार्यकाल में नाथूराम मिर्धा राजस्थान के पहले वित मंत्री भी रह चुके है।

मिर्धा अब तक राजस्थान में कृषि और उद्योग के रहनुमा के तौर पर जाना जाने लगे थे।  1972 तक उन्होंने 6 बार राज्यसभा की सदस्यता भी ग्रहण की थी। 1979 - 80 और 1989 -90 में मिर्धा यूनियन काउंसलिंग मिनिस्टर भी रहे।
नेशनल एग्रीकल्चर प्राइसेस कमीशन के चेयरमैन के तौर पर भी उन्होंने काम किया है ,इस पद पर रहते हुए उन्होंने किसानो के लिए कई योजनाओं का निर्माण किया था। मिर्धा ने 10 साल तक महाराजा सुरजमल इंस्टिट्यूट ,नई दिल्ली में बतौर चेयरमैन पदभार संभाला।
1975 में इंदिरा गाँधी से कुछ मतभेदों के चलते उन्होंने कांग्रेस पार्टी को छोड़ लोकदल पार्टी का दामन थाम लिया जिसके मुखिया चौधरी चरण सिंह थे। यहां से उन्होंने 1971 और 1977 के चुनावों में भारी मतों से जीत हासिल की। अपनी मेहनत व लगन के दम पर उन्होंने लोकदल पार्टी को राष्ट्रीय स्तर की प्रसिद्धि दिलाई।  1988 में उन्हें लोकदल पार्टी का राज्य अध्यक्ष बनाया गया।

1991 में उन्होंने 14 साल बाद फिर से कांग्रेस पार्टी का हाथ थाम लिया और 1991 और 1996 में चुनाव जीता। 5 साल तक उन्होंने कांग्रेस -1 पार्लियामेंट के उपाध्यक्ष के तौर पर कार्यभार संभाला। 1996 में उन्होंने लोकसभा चुनाव जीता।
उनकी प्रसिद्धि का आलम यह था कि उन्होंने बीजेपी के एच कुमावत को एक लाख साठ हजार वोटों से सीधी पटखनी दी।  इसी पद  पर रहते हुए 30 अगस्त 1996 में  75 वर्ष की आयु में उनकी मौत हो गयी। इसी सीट पर उपचुनावों में बीजेपी ने उनके पुत्र भानू प्रकाश मिर्धा को टिकट देकर चुनाव लड़वाया और सीट अपने नाम कर  ली।
  

नाथूराम मिर्धा ने राज्य सिंचाई मंत्री ,फाइनेंस ,फूड एंड सिविल सप्लायर्स मंत्री के साथ पार्लियामेंट कमेटी के चेयरमैन पद पर कार्यभार संभाला था। उन्होंने किसानों ,अनुसूचित जनजातियों और समाज के अन्य कमजोर वर्गों के कारण सेवा की। पेशे से एक वकील ,उन्होंने कई शैक्षणिक संस्थानों और छात्रावासों की स्थापना करके शिक्षा के क्षेत्र में भी सेवा की।
आज नाथूराम मिर्धा हमारे बीच नहीं है लेकिन हमेशा ही किसानों के मसीहा के रूप में जाने जाते है और आगे भी जाने जायेंगे।
Share:

Friday, September 28, 2018

पीटी आई भर्ती में आसान मुकाबला ,एक सीट के लिए 5 अभ्यर्थियों में होगी टक्कर

जयपुर

           राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से होने वाली शारीरिक प्रशिक्षण अनुदेशक ग्रेड तृतीय (पीटी आई)भर्ती में अभ्यर्थियों के बीच आसान मुकाबला होगा। इस भर्ती में पदों की संख्या तो अधिक है,लेकिन आवेदक कम है।

बोर्ड ने मई में पीटीआई के 4500 पदों पर भर्ती निकाली थी ,इसके लिए 23819 आवेदन जमा हुए। इसके हिसाब से देखा जाये तो एक सीट के लिए महज 5 अभ्यर्थियों के बीच मुकाबला होगा।

रविवार को होगी परीक्षा 

बोर्ड की ओर से पीटीआई के इन पदों पर भर्ती के लिए रविवार 30 सितंबर को भर्ती परीक्षा का आयोजन किया जायेगा।  अभ्यर्थियों की कम संख्या के कारण भर्ती परीक्षा मात्र एक ही जिले में आयोजित की जा रही है।  यह परीक्षा  जयपुर में होगी। परीक्षा के लिए 71 परीक्षा केंद्र बनाये गए है। दो पारियों में होने वाली इस परीक्षा की पहली पारी सुबह 10 से 12 बजे तक और दूसरी पारी  दोपहर 3 से 5 बजे तक होगी।

 बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. बीएल जाटावत ने बताया कि इस भर्ती की तैयारी पूरी कर ली गयीं है। कड़ी जाँच के बाद ही अभ्यर्थी परीक्षा केंद्र में प्रवेश कर पांएगे।  
Share:

किसान केसरी बलदेव राम जी मिर्धा का जीवन परिचय

किसान केसरी स्व. बलदेव राम जी मिर्धा राजस्थान में किसान जागृति के प्रेरणा श्रोत माने गए है।
राजस्थान में जोधपुर जिला की स्थापना से पूर्व सन 1456 से पूर्व यहा जनपद और पंचो द्वारा समाज की यवस्था होती थी। 
पशु पालन और कृषि मुख्य धंधा था। ये लोग सिंधु नदी के किनारे से 2030 ई. के बाद आये। जोधा जब आये तो बार -बार जोधपुर से पांच किमी पूर्व तत्कालीन सता के केंद्र पर हमला करते और आदमी आदमी और घोड़े मरवा कर भाग जाते ऐसे में एक बार किसी किसान के घर उतरे और भूख से व्याकुल होने के कारण सेंगटी (खीचड़ा )के बीच रखे घी में हाथ जीमने के लिये डाला तो हाथ जल गया। घर की स्वामिनी जाटनी ने कहा -थू तो जोधा री ताई नीरो गंवार पूछ्यो जोधा किया ? तो कहियो कि बो सीधो राजधानी पर हमलो कर - मिनख अर गोड़ा करवावे है। धीरे - धीरे सू खींच खावै तो हाथ न बळे और किनारे रा गांव काबू करे तो राज भी हाथ हावे। सीख मानकर जोधा ने राज्य स्थापित किया परन्तु 509 साल तक किसान राजा और जमींदारी से पीड़ित रहे। श्री बलदेव राम जी मिर्धा ने पुलिस सेवा में रहते हुए किसानो के दर्द को समझा और उन्हें संगठित किया। 
किसान छात्रावास बनाकर शिक्षा प्रारम्भ की। ओसर - मोसर बंद करवाने की भरपूर कोशिश की। तम्बाकू ,बीड़ी ,खारा -पानी ,शराब बंद करवाने का अभियान चलाया।      सीकर के किसानों को जागृति की प्रेरणा दी और पंजाब के मंत्री श्री छोटूराम जी के साथ मिलकर समन्वयवादी दृष्टिकोण अपनाकर समजौता करवाया की हाथी की सवारी पर पंडित जी और रामायण को बिठाया जाये। वो कालखंड 1934 का ऐसा था कि : नोटों की दुनिया में ,सोटो का राज था। वतन हमारा था ,उनका ताज था। चमन हमारा था ,उनका राज था। जुल्म - सितम। करते,उनको नाज था। 
ऐसे अत्याचारी युग में किसान ,मजदूर ,गरीब और दीन - हीन को ,समाज सेवी मिर्धाजी ने सहारा दिया ,प्रेरित किया अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए बलदेवराम जी पुलिस में डी.आई.जी.थे। वे तामसिक प्रवर्ति के सामंतो को भी समजाकर सत की राह पर चलने को प्रेरित करते थे। वक्त आया कि ,जोते उसकी जमीन नारा सफल हुआ ,कुबुद्धि बदल गये ,ऐसी हुई जीत रे ,सुराजी हवाऐं बनी ,विश्व्यापी रीत रे। 
जमींदार 24 से 33 प्रतिशत खेत का धान,हासल या हिस्से का लेते थे। किसानो को निडर ,निर्भीक और अधिकारों के लिए जुझारू होना स्व.श्री बलदेव राम जी मिर्धा ने सिखाया कृषकों ने हासल की जगह बिगोड़ी देना प्रारंभ कर  दिया।  

उनका जन्म 17 जनवरी १८८९ को कुचेरा में हुआ और नागौर में 24 वर्ष की आयु  में थानेदार बने ,34 वर्ष की आयु में पुलिस इंस्पेक्टर और 36 वर्ष की आयु में एसपी ,जोधपुर और सन 1934 के प्रारम्भ में डिप्टी - इंस्पेक्टर -जनरल(DIG ) ,जोधपुर में पदोन्नत हुए। 
राष्ट्रभाव के कारण अापने स्वेछा से सेवा निवृति 1946 में ली और पूर्ण रूप से समाज सेवा में सलंग्न हो गए। डाबड़ा कांड में हिंसा का दौर चला जहां जागीरदारों ने कृषको  को गोलिंयो से भूना। निडर मिर्धा जी सामना करने की प्रेरणा दी और सामन्ती जुल्मों से किसानों को उभारा। 
समाज की सेवा करते हुए लाडनूं में 2 अगस्त 1953 को स्वर्गवास हो गया। 
उनके सुपुत्र श्री रामनिवास जी मिर्धा भी चिंतनशील राजनेता थे और उनके पौत्र श्री हरेंद्र जी मिर्धा भूतपुर्व मंत्री है और राजस्थान के भावी नेतृत्व के सबल कर्णधार है। 

Share:

Thursday, September 27, 2018

हनुमान बेनीवाल का जीवन परिचय

                                                       हनुमान बेनीवाल
                  संक्षिप्त परिचय
नाम =हनुमान बेनीवाल
पिता = स्व. श्री रामदेव जी बेनीवाल
माता = श्रीमती मोहनी देवी
जन्म दिनांक =2 मार्च 1972
शिक्षा - एलएलबी व को -ऑपरेटिव में डिप्लोमा राजस्थान विश्वविद्यालय से
पत्नी का नाम - श्रीमती कनिका बेनीवाल (बी एस सी ,मोहनलाल सुखाड़िया विवि उदयपुर )
संताने 1 पुत्री दीया बेनीवाल
             पुत्र  आशुतोष बेनीवाल
ननिहाल -पिंडेल गोत्री जाट ,सिलगांव ,मुंडवा
ससुराल -श्री कृष्ण जी गोदारा ,सरदारपुरा जीवन (श्री गंगानगर )

राजनैतिक विवरण -

1994 में राजस्थान कॉलेज के अध्यक्ष बने
1995 में दोबारा राजस्थान कॉलेज के अध्यक्ष बने
1996 में राजस्थान विधि कॉलेज के अध्यक्ष बने
1997 में राजस्थान विश्वविध्यालय के अध्यक्ष बने

2003 में मुंडवा विधानसभा से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े मगर 2000 वोटो से हार गए।

2008 में बीजेपी के टिकेट पर नवगठित विधानसभा खींवसर से चुनाव लड़ा और नागौर जिले की सभी सीटों में सबसे बड़ी जीत हासिल की।

2013 में \निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खींवसर विधानसभा सीट से अपने निकटतम प्रतिद्व्न्दी बसपा के दुर्गसिंह चौहान को 24600 वोटों से हराकर दूसरी बार खींवसर के विधायक बने।

आपके पिता स्व. चौधरी रामदेव जी बेनीवाल 3 बार मुंडवा (नागौर )विधानसभा से विधायक रहे।
मूल निवास - बरणगांव ,जिला नागौर
ववर्तमान निवास -B 7 ,एमएलए क्वार्टर ,जालूपुरा थाने के पास ,जयपुर
इ-मेल -mlahanumanbeniwal@gmail.com

आज राजस्थान ही नहीं अपितु पुरे देश में आपको किसान कौम के सच्चे साथी एवं हक के लिए लड़ने वाले ,अन्याय के खिलाफ अपनी दबंग आवाज एवं निडरता से झंडा गाड़ने वाले से जाना जाता है।

आपकी इसी विशेषता के कारण आज आप राजस्थान प्रदेश के युवाओं की पहली पसंद बन चुके हो ,एवं आपकी लोकप्रियता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं।

आपकी बढ़ती लोकप्रियता से जलकर कुछ समाज कंटको ने 23 सितम्बर 2015 को आप पर अचानक जानलेवा हमला कर दिया ,पर ईश्वर की कृपा से सकुशल बच गये।
आपकी लोकप्रियता एवं दिल में बसने वाली छवि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आप पर हुए हमले के विरोध में समुचे राजस्थान में 200 से अधिक जगहो पर प्रदर्शन हुए , राजस्थान यूनिवर्सिटी में भी प्रदर्शन हुआ ,पुलिस ने निर्दोष युवाओं पर लाठियां बरसाई जिससे 87 युवा घायल हुए ,आज भी जयपुर के थानों में आपके प्रशंसक बंद है।

इसके अलावा भी अनेकों बातें है जिनको लिखते लिखते शायद बरस गुजर जाये।

अंत में इतना ही कहना चाहूंगा आप आप जैसा नेता आज तक इस प्रदेश में नहीं हुआ ,राजस्थान की जनता को आपसे बहुत आस -उम्मीद है ,ईश्वर आपको सकुशल रखें।।

Team Hanuman -Beniwal
           
Share:

Wednesday, September 26, 2018

पूर्व सांसद स्व. श्रीमान रामरघुनाथ चौधरी की जीवनी

पूर्व सांसद स्व. श्रीमान रामरघुनाथ चौधरी का जन्म डेगाना के पुंदलोता गांव में किसान परिवार में हुआ। इनके पिता का नाम पुसाराम चौधरी के घर 18 अगस्त 1933 को हुआ था। उनके पिता पुसाराम चौधरी व किसान केसरी बलदेवराम मिर्धा के किसान आंदोलन से जुड़े हुए थे। वहीं से रामरघुनाथ चौधरी में किसानो  के लिए राजनैतिक संघर्ष की भावना जागी। रामरघुनाथ चौधरी ने पंचायत स्तर से राजनीती शुरू की व पंचायती राज व्यवस्था का शुभारम्भ होने के बाद 1959 में पंचायत समिति डेगाना से पहले प्रधान बने,व 1965 से 1972 तक दूसरे कार्यकाल के लिए प्रधान रहे व कांग्रेस पार्टी से जुड़े और तीन बार डेगाना विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने। इसके बाद वे लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे।
चौधरी ने अमेरिका के कृषि आदान प्रदान कार्यक्रम में हिस्सा लिया और युथ एक्सचेंज अंतरराष्ट्रीय मंच से साल भर प्रोग्राम कोर्स भी किया था। रामरघुनाथ चौधरी सदैव किसानो से जुड़े रहते थे। वे राष्ट्रीय किसान शिक्षा जागृति समिति के अध्यक्ष रहे।
इसके अलावा राजस्थान युवा किसान मंच के अध्यक्ष रहकर उन्होंने किसान हित  के मुद्दे उठाये।
रामरघुनाथ चौधरी भूमि विकास बैंक के अध्यक्ष रहे ,अब पुत्र माननीय श्रीमान अजय सिंह किलक उसी विभाग से मंत्री है।
किलक कहते है की वे मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ मिलकर स्व. रामरघुनाथ चौधरी द्वारा किसान हित में देखे गए सपनो को कर रहे है और किसानो को सहकारिता के जरिये मजबूत बनाने के हर संभव प्रयास कर रहे है।
Share:

आधार कार्ड हुआ जरूरी

आधार कार्ड अब कहा  हुआ जरूरी और कहा नहीं ,ये है सुप्रीम कोर्ट का आदेश

                  सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को संवैधानिक वैधता प्रदान की है और कहा है आधार गरीबो की पहचान है | सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले मे  ये भी साफ किया की आधार नंबर को कहा देना जरूरी है और कहा नहीं ,आइये जानते है
                           आधार की कानूनी मान्यता बरकरार रखी है ,लेकिन आधार एक्ट के कई प्रावधानों में बदलाव किए गए है। सुप्रीम कोर्ट ने आधार एक्ट की धारा 57 को रद्द कर दिया। प्राईवेट कम्पनिया आधार की मांग नहीं कर सकती है। आधार को बैंक खाता नंबर से लिंक करने की अनिवार्यता को भी सुप्रीम कोर्ट ने खत्म कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा की आयकर दाखिल करने और PAN को आधार के साथ लिंक करना जरूरी है। .

आधार को पैन के साथ लिंक करना जरूरी =
आधार की अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनते हुए आधार की क़ानूनी मान्यता बरकरार रखी है ,साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा की इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए आधार को PAN कार्ड के साथ लिंक करना होगा।
क्या था विवाद ~  सरकार ने सोशल वेलफेयर स्कीम्स कर लाभ उठाने के लिए आधार को अनिवार्य किया था ,इसके अलावा बैंक अकाउंट खोलने ,पैन कार्ड बनवाने ,मोबाइल सिम कार्ड ,पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस आदि बनवाने के लिए भी आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया गया था। सरकार का कहना है कि इससे लोग बिना किसी गड़बड़ी और जालसाजी के सरकारी स्कीम्स और अन्य सुविधाओं का लाभ ले सकते है। इससे आधार कार्ड को आईडी और एड्रेस प्रूफ के तौर पर मान्यता दी गयी है ,वहीं याचिकाकर्ता इसे नागरिको की निजता के अधिकार का उल्लंघन मानते है। 
Share:

Monday, September 3, 2018

जयपुर एयरपोर्ट पर पकड़ा गया सोना

सांगानेर एयरकार्गो पर तीन दिन पहले आयकर विभाग की ओर से पकड़ी गई सोने की 200 किलो और चांदी की करीब 3500 किलो ज्वेलरी के मामले में लगातार तीसरे गुरुवार को भी जांच जारी रही।
आयकर विभाग ने करीब 70 व्यापारियों को जांच के दायरे में लिया है। इनमें से 9 बड़े व्यापारियों के व्यवसायिक ठिकानों पर तीन दिन तक आयकर सर्वे किया गया है। इस दौरान किए गए स्टाँक वेरिफिकेशन में 12 करोड़ रुपए की ज्वैलरी का फर्क मिला है। शेष बचे 61 छोटे- मोटे ग्रुप व फर्मो को आयकर विभाग ने नोटिस भेजा है। इसमें कहा गया है कि सोने- चांदी से संबंधित स्टाँक के दस्तावेज दिखाकर वे अपना माल छुड़वा सकते हैं। इन 61 ग्रुपों के स्टाँक वेरिफिकेशन में कमी निकली तो आयकर विभाग नियम अनुसार अघोषित आय का केस बना सकता है।
सोने- चांदी की ज्वैलरी में बेहतरीन कारीगर व नगीने का काम है। ऐसे में कीमत 90 से 100 रु.आंकी जा रही है।पहले कीमत करीब 76 करोड़ रुपए आंकी गई थी।हालांकि विभाग ने इसका मूल्यांकन नहीं कराया है सिर्फ कागजों व व्यापारियों के बयानों के आधार पर वजन व कीमत का अंदाज लगाया जा रहा है।
देश के सबसे बड़े ज्वैलरी शो में की थी डिस्प्ले जयपुर के करीब 150 ज्वैलर देश के सबसे बड़े ज्वैलरी शो इंडियन इटरनेशनल में भाग लेने मुंबई गए थे। 8 अगस्त से 12 अगस्त तक आयोजित आईआईजेएस के लिए ज्वैलर्स ने कोरियर कंपनियों द्वारा करीब तीन कंसाईनमेंट एयरकार्गो से भेजे थे।इनमें से दो तो डिलीवरी कर दिए गए, लेकिन आखिरी कंसाईनमेंट, जिसमें 200 किलो सोना और साढ़े तीन हजार किलो चांदी की ज्वैलरी थी, उसे जांच के लिए आयकर विभाग ने रोका लिया। इतनी बड़ी मात्रा में ज्वैलरी भेजने के लिए ये ज्वैलर्स कोरियर कंपनियों से टाइअप करते हैं।
विभाग के अफसरों का कहना है कि जो स्टाँक मुंबई भेजा था, उसकी मात्रा जयपुर पह

Share:

मोदी का ऐलान-रवांडा में भारत उच्चायोग खोलेगा

रवांडा के गांव को मोदी ने 200 गाएं गिफ्ट की 3 अफ्रीकी देशों की यात्रा पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को रवांडा में बड़ा ऐलान किया।मोदी ने कहा कि रवांडा में भारत जल्द ही अपना उच्चायोग खोलेगा।उन्होंने रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कागमे के साथ प्रतिनिधिस्तर की वार्ता के बाद भारत और रवांडा ने रक्षा, कृषि, डेयरी उत्पाद, चमड़ा और संबद्ध क्षेत्रों समेत आठ समझौतों पर हस्ताक्षर किए।अभी रवांडा के लिए भारतीय उच्चायुक्त का आवास युगांडा में है।मोदी का रवांडा दौरा किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला दौरा है।इसके बाद मोदी मंगलवार को रवांडा में किगाली नरसंहार स्मारक गए।पूर्वी अफ्रीकी देश में तुत्सी लोगों के खिलाफ 1994 में हुए नरसंहार के दौरान मारे गए 2.5 लाख से अधिक लोगों को यहीं दंफनाया गया था।तत्कालीन बहुमत वाली हुतु सरकार ने 100 दिनों के अंदर तुत्सी समुदाय के लाखों लोगों की हत्या कर दी थी।इससे पहले मोदी रवांडा सरकार के गिरिंका कार्यक्रम के तहत बुगेसेरा में रुवरु मॉडल गांव पहुंचे।वहां उन्होंने 200 परिवारों को गायों का उपहार दिया।गिरिंका ने रवांडा में एक सदियों पुरानी सास्कृतिक प्रथा का वर्णन किया है जिसमें सम्मान और कृतज्ञता के संकेत के रूप में एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को गाय देता है।मोदी ने कहा ये पहल रवांडा में शुरू हुए सुलह की अनुकरणीय और सराहनीय प्रक्रिया का प्रतीक है।
रवांडा से युगांडा पहुंचे मोदी ने गाय देने के अलावा रवांडा को 2100 करोड़ रुपये का कर्ज देने का ऐलान भी किया है।रवांडा से ही मंगलवार को पीएम मोदी युगांडा भी पहुंच गए।उनहोंने वहां पर नरेन्द्र मोदी व युगांडा के राष्ट्रपति से मुलाकात की ओर विदेश नीति के रूप में धारण दी।

Share:

आद हिन्दुस्तान में बाढ़ का कहर जारी है।

इस साल सभी देशों में भीषण बाढ़ झेलना पड़ रहा है।हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड,उत्तर प्रदेश, केरल,बिहार, व सिक्किम आदि राज्यों के सभी नदियों के किनारे स्थित जिलों में ज्यादा खतरा बढ़ रहा है।इन सभी राज्यों में बचाव के लिए बीएसएफ और राज्यों के सभी लोगों को बचाने के लिए और रात में भोजन व रहने के लिए स्थानोंपर पहुंचाना तथा सही स्थान प्रधान करना चाहिए था।और आद हिन्दुस्तान में बाढ़ का कहर मंडरारा है।आद हिन्दुस्तान में गंगा, झलम, यमुना, चनाब, इडुक्की आदि नदियों का बाढ़ क्षेत्र से उपर चल रही है।और सभी राज्यों की बहुत ही ज्यादा मात्रा में कृर्षि क्षेत्र प्रभावित हुआ है।और सिमात किसानों के लिए बहुत ही बड़ा गाटा लेगा है।केरल में 40 साल का रिकोर्ड तोड़ दिया गया है।और केरल के 8 जिले सबसे अधिक प्रभावित हैं।उत्तराखंड में गंगा नदी सबसे ज्यादा बाढ़ के निशान से उपर चल रही है।और उत्तराखंड में गंगा घाट सबसे ज्यादा प्रभावित कर रही है।जहाँ पर गंगाघाट पर पुजा होती थी वहां पर गंगा नदी उसे पवित्र स्थान से उपर चल रही है जो वहां पर रहने वाले लोगों के लिए खतर का निशाना बने हुई है।और हिमाचल प्रदेश में भी नदी के किनारे स्थित जिले प्रभावित हो गया है।इस कारण से वहां पर रहने वाले लोगों के लिए प्रसानी हो रही है।बिहार में भी गंगा, यमुना दोनों नदियां उफान पर है।और बिहार के लोगों को वहां पर रहने वाले लोगों को दुसरे स्थान पर पहुचाया जा रहा है।और दो दिन से हो रही लगातार बारिश से बिहार में यमुना, गंगा नदी दोनों ही खतर के निशाना पर बेह रही है।सिक्किम के कही जिले बाढ़ से प्रभावित हो गया है।जो कि यहां पर रात कार्य के लिए कमांडो भेज गये है।जो लोग बाढ़ में फस है उनको भोजन व रहने का स्थान दिया जा रहा है।और महाराष्ट्र, गुजरात,कर्नाटक,तमिलनाडु आदि राज्यों में भी वर्षा हो रही है।उत्तराखंड में पहाड़ों से पथ्थर व सलाब आदि जो सड़कों पर आ कर जमा होता जा रहा है।

Share:

नौसेना व थलसेना दोनों के लिए खरीद की हरी झंडी दिखाई

46 हजार करोड़ के रक्षा सौंदों को मंजूरी दी है। रक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद(डीएसी)ने नौसेना और थलसेना के लिए 46 हजार करोड़ रुपये की बड़ी हथियार खरीदी को मंजूरी दी है।इसमें नौसेना के लिए 111 बहुउद्देशीय हेलिकॉप्टर और थलसेना के लिए 150 तोपें शामिल हैं।हेलीकॉप्टर सौंदें पर लगभग 21 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे।सामरिक भागीदारी के तहत रक्षा मंत्रालय की यह पहली परियोजना हैं जिसका मुख्य उद्देश्य मेक इन इंडिया प्रोग्राम को बढ़ावा देना है।बाकी खरीद प्रस्तावों पर लगभग 24879 करोड़ रुपये खर्च होंगे।थलसेना के खरीदी जाने वाली तोपों को देश में डीआरडीओ ही विकसित करेगा।इसपर लगभग 3364 करोड़ रुपये खर्च होंगे।इसके साथ 14 लंबवत दागी जाने वाली कम दूरी के युद्धपोत रोधी मिसाइल  में से 10 सिस्टम भी स्वदेशी होंगे।यह खरीदी काफी लंबे वक्त से लटकी हुई है।पिछले साल अगस्त में नेवी हेलिकाप्टरों की खरीद के लिए रिक्केस्ट फॉर इन्फॉर्मेशन दिया था।इससे पहले भी इसी खरीदी के लिए 2011 और 2013 में भी आरएफआइ जारी हुआ था।नौसेना के लिए 111 यूटिलिटी हेलीकॉप्टर 24 बहुद्देशीय हेलीकॉप्टर पनडुब्बियों कें शिकार के लिए 14 लंबवत दागी जाने वाली कम दूरी के युद्धपोत रोधी मिसाइल सिस्टम 10 मिसाइल सिस्टम देश में ही विकसित किए जाएंगे।जल सेना के लिए ही बहुत बड़ी मात्रा में पनडुब्बियों विदेशों से आयात करगी।और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश यात्रा पर अपनी सेना के लिए बहुत ही बड़ा निर्णय लिया है।जल,थलसेना, वायुसेना तीनों के मुख्य सचिव होते हैं।थलसेना के लिए 150 स्वदेशी 155 एमएस की खींची जाने वालीउन्नत तोपें खरीदी गई है।


Share:

रूस में चल रहा एससीओ देशों का संयुक्त अभ्यास

शांति के लिए दुश्मनी भूले, पहली बार भारत-पाकिस्तान का एक साथ सैन्याभ्यास किया जा रहा है। 4 देशों को अॉब्जर्वर 6 को डायलॉग पार्टनर का दर्जा दिया गया है।200 सैनिक भारत के और 110 पाकिस्तान के दल में शामिल किया गया है। दुश्मन भूलाकर शांति स्थापना के लिए भारत और पाकिस्तान की सेना एक साथ सैन्याभ्यास कर रही है।शांति मिशन 2018 नामक यह अभ्यास शुक्रवार को रूस के चेब्राकुल में शुरू हुआ।
इस सैन्याभ्यास में भारत, रूस, चीन और पाकिस्तान समेत शंघाई को-अॉपरेशन अॉर्गनाइजेशन(एससीओ)में शामिल देश हिस्सा ले रहे हैं।यह अभ्यास 29 अगस्त तक चलेगा।यह पहला मौका है जब भारत और पाकिस्तान की सेना एक साथ किसी सैन्य अभ्यास में हिस्सा ले रही हैं।यूएन मिशनों में दोनों देशों के सैनिक साथ काम करते रहे हैं।
इस अभ्यास में मेजबान रूस ने 1700 सैनिकों को उतारा है।चीन ने 700 और भारत ने 200 सैनिक भेजे गए हैं।भारत से राजपूत रेजीमेंट के 167 सैनिक और वायुसेना के 33 जवान गए हैं।इसमें चार महिला अधिकारी भी है।वहीं पाकिस्तान की ओर से भेजे गए दल में सेना के 10 जवान और अधिकारी शामिल हैं।
ये होगा फायदा भारतीय सैन्य प्रवक्ता ने बताया इससे एससीओ देशों को आतंकरोधी अभियानों के लिए प्रशिक्षण मिल सकेगा।समन्वय और आतंकी खतरों से निपटने को लेकर मॉक ड्रिल जैसे अभ्यास होंगे।
भारत-पाकिस्तान पिछले साल बने पूर्णकालिक सदस्य शंघाई को-अॉपरेशन अॉर्गनाइजेशन की स्थापना 2001 में हुई।तब कजाखिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, चीन और ताजिकिस्तान इसमें शामिल थे।अब 8 देश इसे सदस्य हैं।इसमें भारत, पाकिस्तान और उज्बेकिस्तान भी शामिल हैं।इसके अलावा 4 देशों को अॉब्जर्वर और 6 देशों को डायलॉग पार्टनर का दर्जा दिया गया है।भारत और पाकिस्तान को पिछले साल जून में पूर्णकालिक सदस्य बनाया गया है।

Share:

195 देशों में शराब के शोध का नतीजा

कई बार लोगों को यह कहते हुए सुना जाता है कि मैं कभी- कभी ही पीता हूं या फिर बहुत कम पीता हूं। कई बार तो कुछ शोध के हवाले से यह भी कहा जाता है कि थोड़ी- थोड़ी शराब स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। लेकिन शराब पर अब तक के सबसे बड़े शोध के अनुसार थोड़ी शराब भी जानलेवा है।
195 देशों में शराब पीने पर एक शोध के अनुसार हर साल इसकी वजह के अनुसार हर साल इसकी वजह से करीब 28 लाख मौतें होती हैं। शोध में शामिल ‘वाशिंगटन स्थित द इंस्टीट्यूट फाँर हेल्थ मेट्रिक्स ऐंड इवैल्यूएशन’ के अनुसार शराब की कोई भी मात्रा सुरक्षित नहीं होती। दरअसल हाल ही में आई एक रिसर्च में दावा किया गया था कि एक सीमित मात्रा में शराब का सेवन करने से दिल की बीमारियां कम हो जाती हैं। इस नए शोध ने दावा किया है कि कम शराब भी सही नहीं है। शराब सहत के लिए बहुत हानिकारक होती है, इसलिए हमें शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।

दिन में 5 ड्रिंक से 37 फीसदी बढ़ा खतरा : मेडिकल जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित शोध के अनुसार जो लोग दिन में दो ड्रिंक्स लेते हैं, उनमें बीमारियों का खतरा 7 फीसदी बढ़ जाता है, वहीं जो लोग दिन में 5 ड्रिंक्स लेते हैं उनमें गंभीर बीमारियों का खतरा 37 फीसदी तक बढ़ जाता है। औसतन  2 फीसदी महिलाओं और 6.8 फीसदी पुरूषों की मौत प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शराब की वजह से होती है।
2016 में पुरूष में शराब पीने के मामले में टाँप पर डेनमार्क था और इसके बाद नाँर्वे, अर्जेंटीना, जर्मनी और पोलैंड जैसे देश शामिल थे। डेनमार्क में 97.3 फीसदी पुरूष शराब पीते हैं जबकि भारत में 20 फीसदी पुरूष और 4.1 फीसदी महिलाओं को शराब की लत है। पाकिस्तान के मात्र 0.8 फीसदी पुरूष शराब पीते हैं।
200 से ज्यादा बीमारियों का खतरा- ज्यादा शराब पीने से अल्कोहल की वजह से 200 से ज्यादा बीमारियां हो सकती है। लीवर और यकृत को नुकसान पहुंचाता है। मुंह और गले में अल्कोहल भी कफ झिल्ली, भोजन नलिका पर असर डालता है। स्तन कैंसर और आंत के कैंसर के लिए अल्कोहल भी जिम्मेदार होता है। पेट में अल्सर भी हो सकता है, अत्यधिक शराब के सेवन से पाचन तंत्र पर काफी बुरा असर होता है।
Share:

लंदन में बोले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी

सिख विरोधी दंगे बेहद दुखद त्रासदी, लेकिन कांग्रेस उसमें शामिल नहीं थी। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 1984 सिख विरोधी दंगों को बेहद दुखद त्रासदी बताया है।लंदन स्कूल अॉफ इकनॉमिक्स में एक सत्र के दौरान दंगों पर पूछे एक सवाल पर उन्होंने कहा वे हिंसा में शामिल लोगों को सजा देने का 100 फीसदी समर्थन करते हैं।हालांकि उन्होंने इससे असहमति जताई कि हिंसा में कांग्रेस शामिल थी।
उधर, भाजपा ने बर्लिन में एक संबोधन के दौरान गुरूनानक देव का नाम लेने और सिख विरोधी दंगों के लिए राहुल से अकाल तख्त के समक्ष माफी मांगने को कहा है। इससे पहले उन्होंने ब्रिटेन के सांसदों और नेताओं की सभा में शुक्रवार को कहा था कि यह घटना त्रासदी थी और बहुत दुखद अनुभव था। लंदन स्कूल आँफ इकनाँमिक्स में उन्होंने कहा, 'जब मनमोहन सिंह ने इस त्रासदी पर जो कुछ कहा था तो वह हम सभी के लिए बोले। जैसा मैंने पहले कहा था कि मैं हिंसा का पीड़ित हूं और मैं समझता हूं कि यह कैसा लगता है।'  राहुल 1991 में लिट्टे द्वारा उनके पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या का जिक्र कर रहे थे।उन्होंने कहा में इस धरती पर किसी के खिलाफ किसी भी तरह की हिंसा के विरुद्ध हूं।
राहुल को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता चिदंबरम कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी.चिदंबरम ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के विवादास्पद बयान का बचाव किया गया है. पी.चिदंबरम ने कहा 1984 में कांग्रेस सत्ता में थी।तब बेहद दुखद घटना हुई और डॉ.मनमोहन सिंह इसके लिए संसद में माफी मांग चुके हैं।इसके लिए राहुल गांधी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।उस दौरान वह महज 13 या 14 साल के थे।उन्होंने किसी को दोषमुक्त करार नहीं दिया है।
मनमोहन ने मांफी मागी थी माफी गौरतलब है कि 2013 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 1984 में हुई हिंसा के लिए संसद में माफी मांगी थी।उनके साथ यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी हिंसा पर अफसोस जताया था।
Share:
Copyright © Free job alert | Powered by Blogger Design by ronangelo | Blogger Theme by NewBloggerThemes.com