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Tuesday, October 23, 2018

भारत की महत्वपूर्ण शब्दावली ओं का संक्षिप्त वर्णन

 शून्यकाल
               संसद के दोनों सदनों में प्रश्नकाल के ठीक बाद के समय को शुन्यकाल कहा जाता है यह 12:00 बजे प्रारंभ होता है और एक बच्चे दिन तक चलता है शून्यकाल का लोकसभा या राज्यसभा की प्रक्रिया तथा संचालन नियम में कोई उल्लेख नहीं है इस काल अर्थात 12:00 से 1:00 तक के समय को सुनने काल का समय समाचार पत्र द्वारा दिया गया इस काल के दौरान सदस्य और लंबित मामलों को उठाते हैं पर तुरंत कार्रवाई जाते हैं
नोट वर्तमान में शून्य काल 1:00 बजे से 2:00 बजे तक चलता है
सदन का स्थगन सदन का स्थगन द्वार सदन के कामकाज में विनिर्दिष्ट समय के लिए स्थगित कर दिया जाता है यह कुछ घंटे दिन या सप्ताह का भी हो सकता है जबकि सत्रावसान द्वारा क्षेत्र की समाप्ति हो
 विघटन विघटन केवल लोकसभा का ही हो सकता है इसलिए लोकसभा का अंत हो जाता है
अनुपूरक प्रश्न
                   सदन में किसी सदस्य द्वारा अध्यक्ष की अनुमति में किसी विषय जिसके संबंध में उत्तर दिया जा चुका है कि स्पष्टिक कराने हेतु अनुपूरक प्रश्न पूछने की अनुमति प्रदान की जाती
तारा किंग प्रश्न जिन प्रश्नों का उत्तर दीजिए तुरंत सदन में चाहता है उसे तारा की पसंद आ जाता है तारा की प्रश्नों का उत्तर मुखी किया जाता है तथा तारा किट प्रश्नों के अनुपूरक प्रश्न भी पूछे जा सकते हैं इससे प्रसन्न का ताला लगाकर अन्य प्रश्नों से इसका भेद किया जाता है
ए तारा कीट पर्सन जिन प्रश्नों का उत्तर सदस्य लिखित चाहता है उन्हें तारा के तारा कीट पर्सन कहा जाता है ऐसा राखी प्रश्न का उत्तर सदन में नहीं दिया जाता है और इन प्रश्नों का अनुपूरक प्रश्न नहीं पूछे जाते हैं
स्थगन प्रस्ताव स्थगन प्रस्ताव पेश करने का मुख्य उद्देश्य किसी और लव फिल्म में नहीं है लोक महत्व के मामले की वह सदन का ध्यान आकर्षित करना है जब इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जाता है तब सदन एल आई विल बी न लोकमत वैकेंसी मामले पर चर्चा करने के लिए सदन का नियमित कार्य रोक देता है इस प्रस्ताव को पेश करने के लिए न्यूनतम 50 सदस्यों की स्वीकृति आवश्यक है
अल्प सूचना प्रश्न जो पर्सन विलंबित लोग मैच में क्या हुआ था वह साधारण पर्सन के लिए निर्धारित 10 दिन की अवधि से कम सूचना देकर पूछा जा सकता है उन्हें अल्प सूचना प्रश्न कहा जाता है
संचित निधि संविधान के अनुच्छेद 266 में संचित निधि का प्रावधान है संचित निधि में धन संसद में प्रस्तुत अनुदान मांगों के द्वारा ही वे किया जाता है राज्यों को करो एवं शुल्क में से उनका अंश देने के बाद जो धन बढ़ता है निधि में डाल दिया जाता है राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक आदि के वेतन तथा भत्ते इसी निधि पर भारित होता है
आकस्मिक निधि संविधान के अनुच्छेद 267 के अनुसार भारत सरकार एक कश्मीर नीति की स्थापना करेगी इसमें जमा धनराशि का विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार किया जाता है संसद की स्वीकृति के बिना इस मंत्र से धन नहीं निकाला जा सकता है विशेष परिस्थितियों में राष्ट्रपति अग्रिम रूप से इस निधि से धन निकाल सकता है
आधे घंटे की चर्चा जिन प्रश्नों का उत्तर सदन में दे दिया गया हो उन प्रश्नों से उत्पन्न होने वाले मामलों पर चर्चा लोकसभा में सप्ताह में 3 दिन दिया था सोमवार बुधवार तथा शुक्रवार को बैठने के अंतिम आधे घंटे में की जा सकती है राज्यसभा में ऐसी चर्चा किसी दिन जिस सभापति नियत करें सामान्य 5:00 से 5:30 के बीच की जा सकती है ऐसी चर्चा का विषय पर्याप्त लोकमत वे का होना चाहिए तथा विषय हाल के किसी तारा के तारा की योजना का पंजा हो और जिनके उत्तर में के किसी अज्ञात मामला का स्पष्टीकरण आवश्यक हो ऐसी चर्चा को उठाने की सूचना कम से कम 3 दिन पूर्व दी जानी चाहिए
अल्पकालीन चचाई भारत में इस प्रथा की शुरुआत 1953 ईस्वी के बाद हुई इसमें लोक साहित्य के प्रश्न पर सदन का ध्यान आकर्षित किया जाता है इस चर्चा के लिए स्पष्ट कारणों सहित सदन के महासचिव को सूचना देना आवश्यक है आता है इस सूचना पर कम से कम दो अन्य सदस्यों के हस्ताक्षर होना भी जरूरी है
विनियोग विधेयक विनियोग विधेयक में भारत की संचित निधि पर भारित व्यय की पूर्ति के लिए संघ से पिक धन तथा सरकार के खर्चे तो अनुदान की मांग शामिल होती है भारत की संस्कृति में से कोई धन विनियोग विधेयक जीन ही निकाला जा सकता है
लेखा अनुदान जैसा की विधित है विनियोग विधेयक के पारित होने के बाद ही भारत की संचित निधि से कोई रकम निकली जा सकती है किंतु पर सरकार को इस विधेयक के प्रयोग होने के पहले भी रुपयों की आवश्यकता हो सकती है अनुच्छेद के अंतर्गत लोकसभा लेखानुदान पारित कर सरकार के लिए राशि मंजूर कर सकती है जिसके बारे में विवरण देना सरकार के लिए

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