शब्बीर माता भक्त संत ने होकर बड़े समाज सुधार करते हैं उन्होंने समाज में फैली कुरीतियां का डॉक्टर विरोध किया जनसाधारण की भाषण में उन्होंने बताया कि प्रभु सब के उनके पर किसी वर्ग जाति धर्म जाति का अधिकार नहीं थे कभी धार्मिक क्षेत्र में सच्ची भक्ति का संदेश लेकर प्रकट हुए थे महात्मा बुद्ध की जा सभी कर्म के संस्थापक जी बल देते थे और एकता के संदेश विरोध किया समकालीन समाज में धर्म के क्षेत्र में उनकी बातों कवि के उपदेशों हमें हम उनके साथ में पति उससे मिलते हैं कबीर ने बाहरी आडंबर का कड़ा विरोध कियाकबी कबीर क जानकारी बहुत कम है मान्यता है कि 15वीं सदी सदी में आए थे उनका पालन बनारस या उसके पास पास रहने वालेजा कबीर क अभी के बारे में ऐतिहासिक जानकारी बहुत कम है मान्यता है कि मैं 15 साल में उनका कभी ने गुरु को ईश्वर से भी अधिक महत्व दिया और कहा है कि गुरु गोविंद दोनों खड़े काके लागू पाय बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए कबीर के समान मध्यकालीन समाज को प्रभावित करने वाले संतों में गुरु नानक का नाम भी में कबीर की तुलना में गुरु नानक के बारे में जानकारी ज्यादा मिलती है गुरु नानक का जन्म हुआ था आजकल यह पाकिस्तान ननकाना नाम से जाना जाता है यह सिख पंथ के संस्थापक थे तथा निर्गुण नानक ने अंधविश्वासों और गलत मान्यताओं को दूर करने का प्रयास किया वह हिंदू मुसलमानों को समान दोस्ती तेरे नाना ने अपनी बातें सीधी और सरल भाषा में कई मुस्लिम संतों का उत्सव तभी उन्होंने किया गुरु नानक मत समझना और उसके की एकता को पहचानने में सहायता से नई दिल्ली रैदास जाति पांति के भेद भाव में विश्वास नहीं करते थे अब वृंदावन को व्यर्थ समझते हैं और मन की शुद्धता मानव समाधान का प्रमुख सिद्धांत और उनका कहना था ऐसा था और आज में जहां मिले सावन वर्क संतों में बंगाल के चित्र नीमा पूर्व प्रमुख संत माने जाते थे चटनी कृष्ण के बहुत बड़े भक्त हैं इनके अनुसार यदि कोई व्यक्ति औरऔर गुरु की सेवा करता है तो बताया कि व्यक्ति भक्ति में लीन होकर संकुचित भावना से मुक्त हो जाता है महाराष्ट्र में ज्ञान सरोवर नामदेव तुकाराम और समर्थ गुरु रामदास जैसे संत वे यहीं पर सकू बाई नामक महिला और चौक महिला का परिवार भी लोग भी तेरे महाराष्ट्र में इस काल में गुरु नाम की जगह की बड़ी मान्यता थी पंढरपुर का नाम यूनानी देवता के साथ जुड़ा है भक्तगण विट्ठल की पूजा करते थे यहां भी जाति और समुदाय के लोग इकट्ठे होकर अपने आजकल यात्रा पर हजारों लोग हर साल पैदल कर जल जाते हैं संतों के विचार आज भी समाज में सच्ची में भक्ति धारा से संबंधित स्थानों पर आज भी लोग बड़ी तादाद में यात्रा करने लगे समर्थक गुरु स्वामी राम दास का जीवन भक्ति में वैराग्य से ओतप्रोत था उनके मुख से सदैव राम नाम का जाप चलता रहता वह संगीत के उत्तम दान करते
ऐसा माना जाता है
कि स्वामी रामदास प्रतिदिन e1200 सूर्य नमस्कार के लिए उनका शरीर बलवान का स्वरूप मत कीजिए छत्रपति शिवाजी छत्र जय गुरुदेव भक्ति में शक्ति बढ़ती हनुमान जी के उपासक थे महाराष्ट्र में जिन संतों में जाति जाति का भेदभाव मिटाकर भगवान की भक्ति में उनमें संत चोखमेला का नाम बड़े आदर से लिया जाता है उन्हें विठ्ठल कृपा प्राप्ति संत ज्ञानेश्वर की संत मंडली में चौक का मेला का बड़ा आधार जाति के थे जो कि उनके तंतुजा सब जीने की इच्छा थी विट्ठल दर्शनों के लिए वे प्राय पंढरपुर जाते रहते हैं उन दिनों पंढरपुर संत नामदेव का बड़ा प्रभात आर्बिटल के मंदिर में भजन गाया करते थे नामदेव के भजन सुन कर चुका मला इतने प्रभावित हुए कि उन्हें अपना गुरु मानने लगे उनके पूरे परिवार ने संत नामदेव दीक्षा ली थी उनकी संख्या क बताई जाती थी उनके उनकी पत्नी सोयराबाई ने भक्ति सोयराबाई के गबन का अर्थ है प्रभु तेरे दर्शन करने से मेरे हृदय की सभा सुनाएं नष्ट हो गए सामाजिक परिवर्तन के आंदोलन में चौथा महीना पहले संत थे जिन्होंने भक्ति काव्य के दौर में सामाजिक बराबरी को समाज के सामने रखा अपनी रचनाओं में वंचित समाज के लिए खासे चिंतित दिखाई पड़ते भारत के बड़े प्रेम से सुनते हैं
ऐसा माना जाता है
कि स्वामी रामदास प्रतिदिन e1200 सूर्य नमस्कार के लिए उनका शरीर बलवान का स्वरूप मत कीजिए छत्रपति शिवाजी छत्र जय गुरुदेव भक्ति में शक्ति बढ़ती हनुमान जी के उपासक थे महाराष्ट्र में जिन संतों में जाति जाति का भेदभाव मिटाकर भगवान की भक्ति में उनमें संत चोखमेला का नाम बड़े आदर से लिया जाता है उन्हें विठ्ठल कृपा प्राप्ति संत ज्ञानेश्वर की संत मंडली में चौक का मेला का बड़ा आधार जाति के थे जो कि उनके तंतुजा सब जीने की इच्छा थी विट्ठल दर्शनों के लिए वे प्राय पंढरपुर जाते रहते हैं उन दिनों पंढरपुर संत नामदेव का बड़ा प्रभात आर्बिटल के मंदिर में भजन गाया करते थे नामदेव के भजन सुन कर चुका मला इतने प्रभावित हुए कि उन्हें अपना गुरु मानने लगे उनके पूरे परिवार ने संत नामदेव दीक्षा ली थी उनकी संख्या क बताई जाती थी उनके उनकी पत्नी सोयराबाई ने भक्ति सोयराबाई के गबन का अर्थ है प्रभु तेरे दर्शन करने से मेरे हृदय की सभा सुनाएं नष्ट हो गए सामाजिक परिवर्तन के आंदोलन में चौथा महीना पहले संत थे जिन्होंने भक्ति काव्य के दौर में सामाजिक बराबरी को समाज के सामने रखा अपनी रचनाओं में वंचित समाज के लिए खासे चिंतित दिखाई पड़ते भारत के बड़े प्रेम से सुनते हैं
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