सड़क परिवहन : -
भारत में 3.3 लाख किमी. तक सड़कों का एक विशाल जाल है जो विश्व में दूसरा सबसे बड़ा है। परिवहन के क्षेत्र में सड़कों का स्थान अग्रणीय है। वर्तमान अनुमान के अनुसार सड़क परिवहन पर लगभग 65 प्रतिशत ढोया जाता है और 80 प्रतिशत यात्री यातायात होता है । सड़कों पर यातायात प्रतिवर्ष 7 प्रतिशत से 10 प्रतिशत की दर से बढ़ता है जबकि वाहनों की संख्यां में वृद्धि दर विगत वर्षों में 12 प्रतिशत रही है।
सड़क परिवहन ने भारत के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कम एवं मध्यम दूरी तय करने लिए यह यातायात का सर्वाधिक सुगम सस्ता साधन भी है। वास्तव में यह सेवा परिवहन में अन्य साधनों की सहायक है ,क्योंकि इसकी विश्वसनीयता ,शीघ्रता ,लचीलापन एवं द्वार तक प्रदान की जाने वाली सुविधा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारत में भौतिक विशेताओं के कारण रेल परिवहन एक सीमा तक ही तय किया जा सकता है अतः सड़कों का महत्व अपने आप बढ़ जाता है।
भारत में मार्च 2015 में सड़कों की कुल लम्बाई बढ़कर 54 लाख 72 हजार किमी. हो गयी है। इनमे राष्ट्रिय राजमार्ग ,राज्य मार्ग ,मुख्य जिला सड़कें ,अन्य जिला और ग्रामीण सड़कें शामिल है। राष्ट्रीय राजमार्गों में एकल लेन ,मानक दो लेन और 4 लेन तथा उससे भी ज्यादा चौड़ी सड़कें है।
रेल परिवहन की अपेक्षा सड़क परिवहन की बढ़ती महत्ता निम्न कारणों से है -
* रेलवे लाइन अपेक्षा सड़कों की निर्माण लागत बहुत कम है।
* अपेक्षाकृत उबड़ खाबड़ व विच्छिन्न भू भागों पर सड़कें बनाई जा सकती है।
*अधिक प्रवणता (ढाल)तथा पहाड़ी क्षेत्रों में भी सड़कें निर्मित की जा सकती है।
* अपेक्षाकृत कम व्यक्तियों ,कम दूरी व कम वस्तुओं में परिवहन सड़कें मितव्ययी है।
* यह घर-घर सेवाएं उपलब्ध कराता है तथा सामान चढ़ाने व उतारने की लागत अन्य परिवहन साधनों की अपेक्षाकृत कम है।
* सड़क परिवहन ,अन्य सभी परिवहन साधनों के उपयोग में एक कड़ी के रूप में कार्य करता है ,जैसे सड़कें ,रेलवे स्टेशन वायु व समुद्री पत्तनों को जोड़ती है।
महानगर व बड़े शहर सामान्यतः रेल और वायु यातायात से जुड़ें होते है किन्तु गांवों के परिवहन का मुख्य साधन सड़कें ही है। सड़कें परिवहन के क्षेत्र में मानव शरीर की धमनी व शिराओं की भाँती है।
राजस्थान में जनसंख्या का 3/4 भाग गांवों में ही बस्ता है। राज्य के गांवों में जहां -जहां सड़कें पहुंचती है ,समृद्धि स्वतः ही नजर आने लगती है। सड़कों में विकास के बिना गाँव अधूरे दीखते है। सड़कों के अभाव में गांवों का सामाजिक व आर्थिक विकास गति नहीं पकड़ पाता है।
राजस्थान की योजनाबद्ध विकास में यातायात विकास पर निवेश में वृद्धि हुई है। विभिन्न पंचवर्षीय योजना में यातायात विकास पर खर्च ने उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है। वर्तमान में सड़क परिवहन राज्य का महत्वपूर्ण प्राथमिकता वाला विकास शीर्ष है।
राज्य राजमार्ग :-
राज्यों के भीतर वे सड़कें जो राज्य राजधानी ,महत्वपूर्ण शहरों ,कस्बों तथा जिला मुख्यालय को आपस में तथा राष्ट्रीय राजमार्गों व पड़ौसी राज्य से जुड़ने वाले मुख्य राजमार्गों से जोड़ती है ,राज्य राजमार्ग कहलाती है। राज्य तथा केंद्रशासित प्रदेशों में इनकी व्यवस्था तथा निर्माण का दायित्व राज्यों के सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD )का होता है। देश में राज्य राजमार्गों की कुल लम्बाई 1,31,899 किमी. हैं।
राजस्थान में कुछ मुख्य राज्य राजमार्गों को मेगा हाईवे प्रोजेक्ट से जोड़ा गया है तथा उन्हें मेगा हाईवे के रूप में विकसित कर 2 लेन से 4 लेन में भी परिवर्तित किया जा रहा है। वर्तमान में मेगा हाईवे तथा राजमार्गों को निर्माण व उनकी देखरेख के अनुबंध के आधार पर किया जा रहा है। इस हेतु अनुबंधित फर्म उन मार्गों पर चलने वाले वाहनों से शुल्क जिसे टोल कहा जाता है ,वसूल करती है। सरकारी वाहनों व अन्य आपातकालीन वाहनों तथा दुपहिया वाहनों को इस टोल शुल्क से मुक्त रखा जाता है।
*राजस्थान रोड विजन 2025 :-
राजस्थान में सड़क तंत्र की काया पलट के लिए राजस्थान रोड विजन 2025 तैयार किया। सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा इक्कीसवीं सदी से पहले 25 साल राज्य में सड़कों के विकास के लिए एक दीर्घावधि "विजन"तैयार किया गया। इसमें सड़कों के विकास के साथ -साथ ,सड़कों के रखरखाव और सड़कों की गुणवत्ता पर बल दिया गया है। रोड विजन 2025 में पहले 15 साल में सभी गांवों को सड़कों से जोड़ने के बाद अगले 10 साल में एक्सप्रेस वे ,फ्लाई ओवर ,चार लेन के राजकीय मार्ग पर जोर दिया गया है। इस विजन में धार्मिक महत्व के स्थानों ,पर्यटन ,खनन और औधौगिक क्षेत्रों के लिये नये सड़क सम्पर्क विकसित करना जरूरी माना गया है। सड़क परिवहन के संबंध में राजस्थान को "मॉडल स्टेट" माना जा सकता है।
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