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Thursday, October 4, 2018

सम्राट कनिष्क जाट बादशाह। राजस्थान

गुर्जर महासभा अपना ध्यान इधर लगावे और जाट गुर्जर भाईचारे में की आड़ में जो जाट इतिहास के और जाट राजाओं के सेध लगाई जा रही है उसे बचे और हम आपसे खुली बहस के लिए तैयार हैं.

 संक्षिप्त परिचय- सम्राट कनिष्क का जन्म पेशावर पाकिस्तान में हुआ और मृत्यु 144 ad में हुई दूसरी शताब्दी में कनिश्क़ कुशान कास्वान  जाट वंश भारत में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है.

parents -विमा कद्फिसेस
successor -हुविश्का
predecessor -विमा कद्फिसेस
religion -महायान  Buddhist

race -जाट.

clan -कास्वान.

रामस्वरूप जून के कथन के अनुसार दूसरी शताब्दी का महान नायक भारत में सम्राट कनिष्क कास्वान जाट हुए इनके सेनापति का नाम हागा था जिनके आगे आज जाटों में हगा चौधरियों के नाम पर लगभग डेढ़ सौ गांव हैं जिनमें से 80 गांव तो अकेले मथुरा जिले में है.  उनके पूर्वज मिहिर अर्थार्थ सूर्य को मानने की वजह से सूर्यवंशी भी कहलाते थे. इन्होंने बाद में बौद्ध धर्म मान लिया और इनके टाइम पर ही महायान और हीनयान नाम के दो बौद्ध संप्रदाय बन गए अर्थात बौद्ध धर्म के दो हिस्से हुए थे. इनको पूरी दुनिया युची यायुची या yuti लिखती है और भारत में इन चाइनीस शब्दों का अर्थ जाट है. according to grimms language law of variation.

आज इन के नाम से जो कासवान गोत्र जाटों में हैं उसके लगभग 350 गांव राजस्थान में आज भी मौजूद है और इनके सेनापति हागा चौधरी के नाम से हागा जाटों के डेढ़ सौ गांव  मौजूद  डेढ़ सौ गांव में से 80 गांव अकेले मथुरा में मौजूद हैं.

हगा चौधरियों जाटों की वंशावली Bhagam शाह को शांत राजवंश से शुरू होती है आगे इन हगा जाटों के 30किले थे जोह अब 22 किले बचे हैं ,जिसमें सबसे बड़े बिसावर का और अन्ता की गढ़ी का किला है. जाट राजा महाराजा कुल चंद्र सिंह हगा ने यहां पर कुषाण जाट वंश का एक मंदिर भी निर्मित करवाया था जो आज तक इन्ही हगा जाटों के गांव में है.

गुज्जर भाइयो कनिश्क़ का जोह गुज्जर होने का सबूत देते है , वह है सिख जाट इतिहास लेखक अलेक्जेंडर कनिंघम की लिखी किताब की अलेक्जेंडर कनिंघम लिखते हैं कि कनिष्क कुषाण गुर्जर थे ,जबकि सच्चाई यह है इस किताब में सर अलेक्जेंडर कनिंघम लिखते हैं कनिष्क युची जाट वंश के थे ,जिनकी बाद में एक शाखा बनी पांचवी शताब्दी में उसको गुज्जर बोला गया और आज भी जाटों में राजस्थान और अफगानिस्तान में  गुर्जर जाट गोत्र पाया जाता है  ,परंतु गुर्जरों में कोई जाट गोत्र नहीं मिलता. उनकी द्वारा लिखी गई किताब का हवाला मैं पूरा नीचे लिखने जा रहा हूं.

गुजरात का नामकरण - इतिहासकार मानते हैं कि गुजरात का नाम गुर्जर भूमि से आया है से आया है ,गुर्जरों का साम्राज्य या गुर्जर भूमि के नाम से जाना जाता था .इस तथ्य की विवेचना आवश्यक है कि कुछ गुज्जर इतिहास का लेखक चेची गुर्जर गोत्र का संबंध सीधे-सीधे युची कुषाणों से जोड़ते हैं ,जब की चेची और क्षयरात तथा नहपान  गोत्र गोत्र शन्को के थे. जिनको को कुशानो और गुप्त जाटो ने हराया था ,कुशान का मूल चीनी नाम युची है ,जिसका भारतीय रूपांतर जेटी या जाट बनता है. अकॉर्डिंग टू ग्रीम्स लो ऑफ वेरिएशन. जाटों में ही कस्वान और कुश गोत्र आज भी मिलते हैं. जो सीधे कुशान से जुड़ते हैं, जाट शासकों सम्राट हर्षवर्धन और उनसे पूर्व यशोवर्धन विर्क ने हुणो और गुर्जरों को मालवा में परास्त कर उनको सुदूर  कन्नौज और कश्मीर में बसने के लिए बाध्य कर दिया, तभी से उनकी आवास भूमि या तो राजस्थान का मरुस्थल या जम्मू कश्मीर का पर्वतीय क्षेत्र अथवा यमुना और गंगा के खादर का इलाका है. किसी भी वैदिक साहित्य अथवा संस्कृत साहित्य ग्रंथों में भारत में गुर्जरों का उल्लेख नहीं मिलता. महाभारत के अर्जुन के द्वारा या रघुवंश महाकाव्य में राम के द्वारा किवा को पाटल प्रदेश किवा अफगानिस्तान में पाराचीत दिखाया है  ,यह दोनों 5 वी  शताब्दी  की हैं  अतअव इस काल के पश्चात ही हुनो और गुर्जरों का प्रवेश भारत वर्ष में हुआ ,गुजरात के कुर्मी अधिकांश में शंक हैं ,यहां पर ज्ञात हो कि कर्नल टॉड ने राजस्थान के राज्पुत इतिहास में लिखा कि शंक और kushaaan  दोनों ही कैस्पियन सागर के पूर्वी तट से चलकर इरान के शकस्थान में बसने वाली मेसागेटे messagettae अर्थात महाजाट जाति के ही अंग भूत हुए हैं ,उनको किसी भी इतिहास में और पूरी दुनिया की किसी भी यूनिवर्सिटी में कहीं गुर्जर नहीं लिखा गया है बल्कि जाट लिखा गया है.

और आगे प्रोफेसर विंगले ने तोह जाटों की एक शाखा का ही नाम गुज्जर बताया है ,जो अफगानिस्तान के रास्ते से पंजाब होते हुए गुजरात में आए थे ,पुण वहीं से राजस्थान के मार्गो से उसने सौराष्ट्र को विजित किया था. और वहां का नाम गुजरात किया था ,इसी आधार पर ठाकुर देशराज अपने पेज नंबर 23 पर लिखते हैं कि कि अफगानिस्तान में बसने वाली गुर्जर शाखा को जाट जाति का ही एक अभिन्न अंग माना जा सकता है ,आज तक जाटों में गुर्जर जैसे गोत्र हैं, जबकि गुर्जर जाति में कोई जाट जैसा गोत्र नहीं है ,संस्कृत साहित्य में जाटों को जर्त अथवा जट्ट जैसे गणों ने महागणों का नामकरण मिलता है जैसे कि पानणी के अष्ट धातु में जट झट संगाते सूत्र से परिलक्षित होता है .
गुर्जर भूमि या गुज्जर जातिसूचक ना होकर क्षेत्र सूचक है ,ब्राह्मण इतिहास का डी आर bhandaarkar के अनुसार गुजरात में राजस्थान के नागौर जिले के डीडवाना और पर्वतसर क्षेत्रों को सम्मिलित किया गया है, और गुज्जर का संधि विच्छेद करें तो इस प्रकार बनता है गुरु+ जर्त=गुज्जर, यहां गुरु का अर्थ होता है बड़ा या महा और जर्त का अर्थ होता है जाट .इस प्रकार गुज्रत का अर्थ है प्राचीन महा जाट. अर्थार्थ हेरोडोटस जो 484bc में जाटों को messagetaae मत्लब महा जाट लिख चुका है.

दुनिया की 25 से ज्यादा यूनिवर्सिटी ,हिंदुस्तान के सभी लेखक ,अंग्रेजी लेखक, मुस्लिम लेखक ,मुंबई gazette, चीनी यूनिवर्सिटी ,रशियन यूनिवर्सिटी इंग्लैंड की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी सैकड़ों लेखक एक स्वर में कहते हैं कि युची का भारतीय रूपांतरण जाट है और भारत के पार्चिण जाट राजवंशो में   कनिष्क का नाम समान सहित जोड़ा जाता है. पहले तो हम लोग किताबों के नाम देते थे .आज उन किताबों की स्क्रीनशॉट ले ली गई हैं ताकि कोई भी जाट या नॉन जाट को कोई शक ना रह जाए ,20 से ज्यादा सबूत देने के बावजूद भी जिसको शक रहता है इसका मतलब उसका खुद का अलग राज्नितिक या कोई स्वार्थ  या जाटों से कोई जलन हो सकती है. निसंदेह  ऐसे स्वार्थियों में जाट भी हो सकता है और कुछ नहीं.

कुशाणो के युची जाट राजवंश होने के निम्नलिखित सबूत है.
1.history of sikhs, from the origin of the nation.
लेखक joseph davey cunnigham 1853. जाटों को डिक्लेयर करता है युची जाट.
2.A history of all nations from earlist jat page no 313. सभी  राष्ट्रों का प्राचीन इतिहास पेज नंबर 313 पर युची कनिष्क जाट को भारत में जाट बनता है.लेखक जोन हेनरी राइट.

3.index des rajahs -लेखक लुइस रोससेल्ट 1882मे तोम्रिस दहिया जाट रानी persiaa के वक़्त 3-4सताब्दी मे युची जाट का राज होने के संकेत देता है सिधा issaraa कुशाण राज्वन्श के  उतरा -अधिकारियों की ओर.

4.रोमा pushtak edition कनिश्क़ जाट getae युची लिख्ती है.
5.the cycleopaedia of india and of eastern and and southern asia मे लेखक edward balfour kanishkaa कनिश्क को युची जाट राजा लिख्ता है.

6 the indian review

G.A natesan 1915के edition मे कनिश्क को जाट राजा पुर्वी पंजाब का लिख्ता है.

7. भारतीय हिस्टोरिकल रिकॉर्ड कमीशन 1922 में लेखक सर एलियट प्राचीन race अपनी किताब के वॉल्यूम 1 पेज 135 पर और लेखक जंकसन मुंबई गजट वॉल्यूम 1 पार्ट 1 पेज नंबर दो और लेखक जेम्स campbell मुंबई गजट वॉल्यूम 9 ,पार्ट1 ,पेज 461 यहां पर यह सब लेखक कुशाण को युची जाट लिखते हैं.

7. हिंदुस्तान की कटिंग की जाट कुशाण और शक जोह पार्चिण क्षत्रिया आर्य से तालुकात रखते हैं जबकि गुज्जर सफेद हुणों से.

8. कर्नल टॉड का पाली इंस्क्रिप्शन जो पाली से 3 कोस अर्थात 6 किलोमीटर दूर है रामचंद्रन जाट गांव से मिला है जो एशियाटिक सोसाइटी लंदन को भेज दिया गया है जिस पर साफ-साफ लिखा है की य्ह युची जाट कबिला इलाका है.

इन कुशाणो का जाट वंश का यूनान से जो संबंध रहा है भाषा के आधार पर यूनानी जाट गोत्र और भारतीय जाट गोत्र अकॉर्डिंग टू ग्रींम्स लो ऑफ लैंग्वेज साइंसेस.

युनानी गोट.        भारतीय जट गोट
1.गोगिअय्रि - खोखर जाट
2.ओपिल -उप्पल जाट
3.मुर -मयुर मौर्य या मोर जाट गोट

4.किर्किल -कल्कल जाट गोट

5.chol - चहल जाट गोत्.
6.hiung haa -हेगा हगा जाट गोट.

6allan -ahlaawat जाट गोट

7anta -आन्तल जाट गोट.

8.timir -तोमर जाट गोट

9वोयन -नयन नैन जाट गोट

10वर्क -विर्क जाट गोट.

ऐसी 100 से ज्यादा लिस्ट जाट गोत्रों की आज भी मौजूद है हमारे पास👆.

कुषाण वंश के वक्त जो उनके साथ बाकी के साथी लगे हुए थे जो अन्य जाट वंश जिनके पिलर inscription मिले हैं और सिक्कों पर  शिव भी मिला है जिसे स्पष्ट होता है यह budhist से पेहले वेदिक जाट और शिव के उपासक भी रहे हो .नीचे निम्नलिखित इंस्क्रिप्शन की थोड़ी सी डिटेल दे रहा हूं जो अन्य जाट गोत्र कनिष्क जाट राज्य के वक्त उनके साथ लगे हुए थे. जो कनिष्क के वक्त के इंस्क्रिप्शन मिली है वह निम्नलिखित है अन्य जाट गोट की .

1. पहले inscripation तोह है कास्वान जाट गोट कुशाण की.  तक्षशिला Takshila copper inscription जहा कास्वेना लिखा हुआ जोह except जाट कास्वान के कुछ नही. कास्व्ना पाली आज का कास्वान जाट गोत्र. 
2. एक seal इंस्क्रिप्शन जिस पर शिव की सेना अंकित है और जनरल कनिंघम ने इसको अत्री जाट गोत्र से माना है आज भी जाटों में अत्री जाट गोत्र मौजूद है. और वैसे भी हिंदुस्तानी साहित्य में जाटों का वजूद प्राचीन ग्रंथों में बार-बार शिव से बताया जाता है शिव गण के रूप में जट गण बोला गया है ,जिसको कुछ पाखंडी शिव की जटा से बोल देते हैं वास्तव में वोह जटाये नही नहीं शिवगण थे .उनको जटाएं बोला गया है.
3.manikiela स्टोन inscripation  यहां एक व्यक्ति का नाम अंकित है सीमा नाम से जिसको सीमा जाट के रूप में इतिहासकारों ने माना है जिनमें जनरल कनिंघम भी शामिल हैं.

4.manikialala bronze casket inscription - जिस पर अंकित है satrap यानी अत्रि जाट  द्वारा वर्क लोगो को uphaar देना यहा य्ह वर्क विर्क जाट गोट है.

5.pathyar inscripation - भाई यहां पर मेंशन है ययुला राठी, राठी जाट गोत्र.

6.pathyar inscription - भाई इस इंस्क्रिप्शन पर मेंशन है पातिका कज़ुला युची म्त्ल्ब काज्ला जाट.
7.the zeda rock inscripation - शंकरा के 11 साल में एक कुए की खुदाई की मेंशन है यहां पर जो कनिष्क जाट राजा के वक्त पर हुई जहां पर hippea dhia को upphaar मेंशन करता है,dhia कुछ नही फ़रिश्ता herodotus अल बेरौनी के दहिया जाट है.

8.famous surkh kotal inscription - सम्राट कनिष्क कासवान पीरियड के शंक एरा के 31 वें साल की मशहूर इंस्क्रिप्शन है जहा दो व्यक्तियों की आपस में वार्तालाप करते हुए दिखाया गया है इनमें एक का नाम फोर और एक का नाममिहिर मान अन्कित है  अर्थार्थ मान और फॉर जाट गोत्  जो कि ग्रीक भाषा में लिखे गए हैं
9. Era inscription near अटोक -written in kharosthi script in the year 41. इस इंस्क्रिप्शन पर लिखित है एक व्यक्ति दसवांहारा अपने ऑनर अपने माता-पिता और फैमिली के वेलफेयर के लिए और उसकी बीवी और चार बच्चों के लिए कुआं खोदते हुए यह देशवाल जाट गोत्र इतिहासकारों ने माना है.
10 Lucknow museum inscripation script 9th era off saka era. एक लेडी एक औरत अपनी बेटी को गिफ्ट करते हुए जो की बीवी है इक्रा dhall की dhall /dhull जाट गोट denotes kartaa है.

पोस्ट अत्यधिक लंबी हो जाएगी इसके अलावा भी 50 सबूत और हमारे पास कि य्ह सिवा जाट के कुछ नही, इंटरनेशनल पैमाने पर सम्राट कनिष्क कुछ और नहीं थे. यहां तक कि जाटों के 70 गोट जो बाद में थोड़े वक्त के लिए गुज्जर राजा या उनमें जहां मिले थे उसकी वजह से गुर्जर और जाट काफी हद तक गोत्र भी मिलते हैं. एक बात यहां पर बता देना बहुत जरूरी है कि पाकिस्तानी लेखक रिटायर्ड जनरल राणा हसन अली चौहान गुर्जर ने पाकिस्तान में रखी जाट इतिहास bs दहिया का उर्दू अनुवाद से थोड़ी सी डिटेल गुर्जरों की मिलाकर वहां से जाट नाम हटाकर गुजर लिख  हिस्ट्री चिपकायी है, गुज्जर नाम लिख दिया और उसी का हिंदी ट्रांसलेशन आज हिंदुस्तान में गुर्जर भाई पढ़ रहे हैं ,गुर्जर महासभा से रिक्वेस्ट करेंगे 22 मार्च का प्रोग्राम जो वह करने जा रहे हैं वह सरासर भाईचारे को गलत मोड़ पर ले जाएगा ,अन्यथा ना लें यह हमारे जाट सम्राट और हमारे पूर्वज थे अगर आपने और आयोजकों ने ऐसी गलती कि यह सब  किया तो कोर्ट का नोटिस 23 तारीख को आपके नाम भेज दिया जाएगा .
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