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Friday, October 5, 2018

प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन

मनुष्य अपने जीविकोपार्जन के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करता है आदिमानव अपने बयानों से प्राप्त वनस्पति एवं पशुओं पर निर्भर था उस समय जनसंख्या का घनत्व कम था मनुष्य की आवश्यकता से मित्रता पर औद्योगीकरण का स्तर नीचे था उस समय आरक्षण आरक्षण की समस्या नहीं थी कालांतर में मनुष्य संसाधनों के विकास के वैज्ञानिक तथा तकनीकी संसाधन के कारण मनुष्य की प्राकृतिक संपदाप्राकृतिक संपदा ओं का उपयोग किया जाए तो उनसे अधिक दिनों तक लाभ उठाया जा सकता है भविष्य के लिए सुरक्षित रह सकता है प्राकृतिकप्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग योग में कंजूसी की जाए उनकी आवश्यकता के बावजूद उन्हें भविष्य के लिए बचा कर रखा जाए वरुण सरक्षण से हमारा आर्थिक संसाधनों का अधिकाधिक अधिकाधिक मनुष्य की आवश्यकता की पूर्ति हेतु उपयोग करें संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता मानवीय प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए खाद्य पदार्थों की पूर्ति के लिए और शक्ति के विकास के लिए विश्व की विश्व की वर्ष पूर्ण होने दो औरत थी वह 5:15 तक पहुंच चुकी हमारी भोजन वस्त्र आवास परिवहन के साधन विभिन्न प्रकार के यंत्रों की कच्चे माल की खपत कई गुना बढ़ गई है इस कारण हम प्राकृतिक संसाधनों का तेजी से गलत है उसका शोषण करते जा रहे हैं जिससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने लगा हुआ तो मानव का अस्तित्व खतरे में पड़वर्ष पूर्व अतिथि एवं प्रगति के लिए प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण में प्रबंधन आवश्यक हो चला प्राकृतिक संपदा हमारी पूंजी है जिसका लाभ कारी कारी उपयोग होना चाहिए इसके लिए हमें किसी देश के संसाधनों की जानकारी होनी चाहिए हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि विभिन्न सत्यानाश हो तो उसका प्रयोग के आधार पर सीमित है उसे अंधाधुन समाप्त करना दूरदर्शिता है सीमित प्रभाव वन्य संपदा कोयला पेट्रोलियम के विक्रम की खोज करना चाहिए सारे संसाधनों के संरक्षण के लिए सरकारी तथा गैर सरकारी स्तर पर पूर्ण सहयोग करना आवश्यक है इस पृथ्वी पर जीवन का आधार है यह सत्य है जहां जीवन के विकास की किरणों से चलती है और वन केवल जल तथा वायु के कारणों से होने वाले कटाव से उपजाऊ मिट्टी की रक्षा करते हैं बल्कि वे सक्रिय जो चट्टानों से वेरा मिट्टी की रचना करने वाले महत्वपूर्ण कारकों में से एक वन पर्यावरण को स्वच्छ रखने तथा प्राकृतिक संतुलन को कायम रखने में सहायक होते हैं वनों के बिना संभव नहीं है पिछले कुछ वर्षों में लकड़ी के दामों में हुई है उस जहां कहीं पानी बरसता है पेड़ों के भाव में उपजाऊ मिट्टी पर जाती है पेड़ों की कटाई का असर पहाड़ों पर भी होने के कारण पानी बरसने पर वहां से मिट्टी बेकर नदियों में आ जाती है फिर शुरू हो ग थोड़ा सा जलस्तर बढ़ने पर बाढ़ आ जाती है जंगल की रक्षा का सवाल आज हमारे लिए जीवन और मौत का सवाल बन गए पिछले कुछ वर्षों में तेजी से हुए जंगलों के निवास के बावजूद वार्ड में लगभग 15000 स्पीशीज के पुष्पों की पहुंच एवं वनस्पति पाई जाती है जाती है वनोपज के रूप में इन से 35 लाख घन मीटर सिंबल आफ घन मीटर जलाऊ लकड़ी आसन के प्रकार के पौधे से बहुत सोच लिया गब्बर सुगंधित तेल तेल बीज की प्राथमिक अरे मैं जहां पर्ची के लगभग कितने प्रतिशत भू भाग पर वन थे वहां आज मनुष्य संदीपमनुष्य संदीप अर्बन उन्मूलन का एक कारण झूम खेती को भी माना जाता है
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