किसानों के ह्रदय सम्राट , आमजन हितैषी , नैक निर्भीक ,
स्वाभिमानी , राजनीति में ईमानदारी के प्रतिमान ,
सादगी एवं सच्चाई की प्रतिभूति , कठोर व रौबदार
आवाज के धनी , स्पष्ट व बेबाक वक्ता , कुशल प्रशासक ,
उच्च कोटि के विधिवेत्ता , सहकारिता के पुरोधा परम्
आदरणीय स्व.#परसराम_मदेरणा"साब"#को उनकी जयन्ती पर #पुर्व_संध्या पर सादर #श्रध्दांजलि अर्पित करते हैं ।
अपने स्वाभिमान व किसान हितों को ताक पर रखकर
उन्होंने कभी भी किसी भी पद अथवा प्रलोभन के साथ
समझौता नहीं किया और अपने पूरे जीवन में राजनीति के
स्थान पर लोकनीति को अपनाते रहे ।
जो #परसराम_मदेरणा ने कह दिया - सो कह दिया"
इस सिध्दान्त को जीवन मे, समाज मे, राजनीति मे
निर्वाह करने वाले धुन के पक्के, कथनी को करनी मे
बदले वाले, दल मुक्त राजनीति मे विश्वास कर जीवन
भर निस्वार्थ किसानो की सेवा करने वाले
ईमानदार, औजस्वी आवाज व रोबदार चेहरे से प्रशासन
पर अपनी मजबूत पकङ रखने वाले युवाओ के प्रेरणा पुंज
है |
प्रदेश कि राजनीति के लोह्पुरुष परसराम मदेरणा 16
फरवरी 2014 को सदा सदा के लिए मौन हो गए !
लेकिन वे स्मृतियों में सदैव एक युग पुरूष , निस्पृह
कर्मयोगी और कर्मठ जनसेवक के रूप में याद किए
जायेगे !
बहुत कम लोगो को मालूम होगा कि परसराम
जी मदेरणा प. जवाहरलाल जी नेहरू के गहरे संपर्क में थे ,
नेहरू जी के साथ मदेरणा साब ने अनेक दौरे किए !
इंदिरा गांधी ने सदैव उनकी शख्सियत को अहमियत
दी !
राजीव गांधी ने इस रिवायत को निभाया !
मदेरणा साब संभवतया देश के इकलौते राजनेता थे ,
जिन्होंने अपनी जिंदगी में से करीब सतर वर्ष
महात्मा गांधी के दृढ उसूलो पर चलते हुए हरेक रविवार
को मौन रखा !
'श्वेत गांधी टोपी' आजीवन साब के व्यक्तित्व
कि पहचान रही !
संभवतः साब राजस्थान के पहले ऐसे नेता थे जिनसे कांग्रेस
के तीन अध्यक्ष इन्दिरा गांधी , राजीव गांधी व
सोनिया गांधी खुद मिलने जयपुर आवास पर आए ।
साब की दिल्ली तक सीधी एन्ट्री थी ।
साब आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके प्रखर
व्यक्तित्व का सौरभ , कालजयी व्यक्तित्व व दिव्य स्मरण
जन मानस को प्रेरणा देता रहेगा ।
उनकी अभिव्यक्ति का दंबग लहजा प्रजातंत्र में आस्था
रखने वाली भारतीय जनता को सदैव अपनी आवाज़ बुलंद
करने की प्रेरणा देता रहेगा ।
यादों में अमर रहेगें "साब "
शत् शत् नमन् .... ।
#नोट:- #मदेरणा_परिवार की और से #साहब_की_जयन्ती पर कल #पारिवारिक_शोक के कारण किसी भी प्रकार का कार्यक्रम नहीं रखा गया है।
किसा राजनीति को परिभाषित करने वाले परम् आदरणीय श्री परसरामजी मदेरणा साहब की जयंती पर आपको श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए,
"साब" की लम्बी सोच एवं उच्च विचारों को शब्दों में लिखना तो दूर की बात है हम तो आपकी सोच को समझ ले तो ही किसान वर्ग के लिए उपलब्धि से कम नही है।
देश मे लोकतंत्र को अमलीजामा पहनाने वाले मदेरणा साहब राजनीति से परे सिद्धान्तों पर अडिग रहनेवाले है, जब धौलपुर महाराजा मानसिंह की हत्या से आक्रोशित किसान समुदाय को शांत करने के लिए आलाकमान ने साब को मुख्यमंत्री की कुर्सी ऑफर की गई थी लेकिन साब ने यह कहते हुए कुर्सी ठुकरा दी कि एक जाट की हत्या हुई है, कुर्सी से ज्यादा हमारे जाट भाई से प्रेम है।
आज राजनीति की एक एक नशे किसानपुत्रों की बदौलत चलती है उसकी वजह मदेरणा साहब है, उस जमाने मे संसाधनों की कमी थी ही साथ ही सामंती ताकते हावी थी, लोग वोट देने से डरते थे, तब आपने ऊँटो पर घर घर जाकर किसान वर्गों जागरूक एवं संगठित किया। परिणामस्वरूप वह समय भी आ गया जब सेठ, साहूकार एव ठाकुर लोग भी साहब के दर्शन करने दरवाजे पर खड़े मिलते थे।आप सरकार रहते हुए किसानों के ऐसे कई कानून बना दिए। जो युगों युगों नहीं भूल पाएंगे।आप कुशल राजनेता के साथ एक अच्छे विधिवेता थे जो किसानों के हक के लिए अधिनियम बनाये।वो खुद ड्राफ्टिंग करते थे।ऐसे नेता बहुत कम ही मिलते हैं।आजकल तो कानून आईएएस अधिकारी बनाते हैं।तभी तो भूमि अधिकरण जैसे बिल लेकर आ गए।काश वहां ऐसे नेता होते तो किसान विरोधी कानून नहीं बना पाते।
इतना ही नही, साहब अपने हुलिए से हाई कमान को हिलाकर रख देते थे। राजस्थान के एकमात्र नेता थे जिनके घर आकर हाईकमान हाजरी लगाते थे।
किसान वर्ग आपका जन्मों जन्मों तक ऋणी रहेगा।
कल 6,10,18 सुबह 10,30am पर श्री महिपाल जी मदेरणा जोधपुर से कृष्णनगर चाडी जाते समय ओसियां मैं चाडी चौराया ओसियां पर कार्यकर्ता से रूबरू होंगे आप जरूर पधारे,,, अपने मिलने वाले मित्रगण व कांग्रेसी कार्यकर्ता को भी समाचार करके साथ लाये,,,,,,,एक दूसरे को आगे से आगे कॉल या मेसेज करके बोले सा,,,,,,,
स्वाभिमानी , राजनीति में ईमानदारी के प्रतिमान ,
सादगी एवं सच्चाई की प्रतिभूति , कठोर व रौबदार
आवाज के धनी , स्पष्ट व बेबाक वक्ता , कुशल प्रशासक ,
उच्च कोटि के विधिवेत्ता , सहकारिता के पुरोधा परम्
आदरणीय स्व.#परसराम_मदेरणा"साब"#को उनकी जयन्ती पर #पुर्व_संध्या पर सादर #श्रध्दांजलि अर्पित करते हैं ।
अपने स्वाभिमान व किसान हितों को ताक पर रखकर
उन्होंने कभी भी किसी भी पद अथवा प्रलोभन के साथ
समझौता नहीं किया और अपने पूरे जीवन में राजनीति के
स्थान पर लोकनीति को अपनाते रहे ।
जो #परसराम_मदेरणा ने कह दिया - सो कह दिया"
इस सिध्दान्त को जीवन मे, समाज मे, राजनीति मे
निर्वाह करने वाले धुन के पक्के, कथनी को करनी मे
बदले वाले, दल मुक्त राजनीति मे विश्वास कर जीवन
भर निस्वार्थ किसानो की सेवा करने वाले
ईमानदार, औजस्वी आवाज व रोबदार चेहरे से प्रशासन
पर अपनी मजबूत पकङ रखने वाले युवाओ के प्रेरणा पुंज
है |
प्रदेश कि राजनीति के लोह्पुरुष परसराम मदेरणा 16
फरवरी 2014 को सदा सदा के लिए मौन हो गए !
लेकिन वे स्मृतियों में सदैव एक युग पुरूष , निस्पृह
कर्मयोगी और कर्मठ जनसेवक के रूप में याद किए
जायेगे !
बहुत कम लोगो को मालूम होगा कि परसराम
जी मदेरणा प. जवाहरलाल जी नेहरू के गहरे संपर्क में थे ,
नेहरू जी के साथ मदेरणा साब ने अनेक दौरे किए !
इंदिरा गांधी ने सदैव उनकी शख्सियत को अहमियत
दी !
राजीव गांधी ने इस रिवायत को निभाया !
मदेरणा साब संभवतया देश के इकलौते राजनेता थे ,
जिन्होंने अपनी जिंदगी में से करीब सतर वर्ष
महात्मा गांधी के दृढ उसूलो पर चलते हुए हरेक रविवार
को मौन रखा !
'श्वेत गांधी टोपी' आजीवन साब के व्यक्तित्व
कि पहचान रही !
संभवतः साब राजस्थान के पहले ऐसे नेता थे जिनसे कांग्रेस
के तीन अध्यक्ष इन्दिरा गांधी , राजीव गांधी व
सोनिया गांधी खुद मिलने जयपुर आवास पर आए ।
साब की दिल्ली तक सीधी एन्ट्री थी ।
साब आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके प्रखर
व्यक्तित्व का सौरभ , कालजयी व्यक्तित्व व दिव्य स्मरण
जन मानस को प्रेरणा देता रहेगा ।
उनकी अभिव्यक्ति का दंबग लहजा प्रजातंत्र में आस्था
रखने वाली भारतीय जनता को सदैव अपनी आवाज़ बुलंद
करने की प्रेरणा देता रहेगा ।
यादों में अमर रहेगें "साब "
शत् शत् नमन् .... ।
#नोट:- #मदेरणा_परिवार की और से #साहब_की_जयन्ती पर कल #पारिवारिक_शोक के कारण किसी भी प्रकार का कार्यक्रम नहीं रखा गया है।
किसा राजनीति को परिभाषित करने वाले परम् आदरणीय श्री परसरामजी मदेरणा साहब की जयंती पर आपको श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए,
"साब" की लम्बी सोच एवं उच्च विचारों को शब्दों में लिखना तो दूर की बात है हम तो आपकी सोच को समझ ले तो ही किसान वर्ग के लिए उपलब्धि से कम नही है।
देश मे लोकतंत्र को अमलीजामा पहनाने वाले मदेरणा साहब राजनीति से परे सिद्धान्तों पर अडिग रहनेवाले है, जब धौलपुर महाराजा मानसिंह की हत्या से आक्रोशित किसान समुदाय को शांत करने के लिए आलाकमान ने साब को मुख्यमंत्री की कुर्सी ऑफर की गई थी लेकिन साब ने यह कहते हुए कुर्सी ठुकरा दी कि एक जाट की हत्या हुई है, कुर्सी से ज्यादा हमारे जाट भाई से प्रेम है।
आज राजनीति की एक एक नशे किसानपुत्रों की बदौलत चलती है उसकी वजह मदेरणा साहब है, उस जमाने मे संसाधनों की कमी थी ही साथ ही सामंती ताकते हावी थी, लोग वोट देने से डरते थे, तब आपने ऊँटो पर घर घर जाकर किसान वर्गों जागरूक एवं संगठित किया। परिणामस्वरूप वह समय भी आ गया जब सेठ, साहूकार एव ठाकुर लोग भी साहब के दर्शन करने दरवाजे पर खड़े मिलते थे।आप सरकार रहते हुए किसानों के ऐसे कई कानून बना दिए। जो युगों युगों नहीं भूल पाएंगे।आप कुशल राजनेता के साथ एक अच्छे विधिवेता थे जो किसानों के हक के लिए अधिनियम बनाये।वो खुद ड्राफ्टिंग करते थे।ऐसे नेता बहुत कम ही मिलते हैं।आजकल तो कानून आईएएस अधिकारी बनाते हैं।तभी तो भूमि अधिकरण जैसे बिल लेकर आ गए।काश वहां ऐसे नेता होते तो किसान विरोधी कानून नहीं बना पाते।
इतना ही नही, साहब अपने हुलिए से हाई कमान को हिलाकर रख देते थे। राजस्थान के एकमात्र नेता थे जिनके घर आकर हाईकमान हाजरी लगाते थे।
किसान वर्ग आपका जन्मों जन्मों तक ऋणी रहेगा।
कल 6,10,18 सुबह 10,30am पर श्री महिपाल जी मदेरणा जोधपुर से कृष्णनगर चाडी जाते समय ओसियां मैं चाडी चौराया ओसियां पर कार्यकर्ता से रूबरू होंगे आप जरूर पधारे,,, अपने मिलने वाले मित्रगण व कांग्रेसी कार्यकर्ता को भी समाचार करके साथ लाये,,,,,,,एक दूसरे को आगे से आगे कॉल या मेसेज करके बोले सा,,,,,,,
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