प्रतिदिन के जीवन में अनेक बार आज शब्द का प्रयोग करते हैं किसी भी व्यक्ति या परिवार के कल्याण को देखने हेतु सर्वाधिक उपयोगी कार्य काल को माना जाता है हम सब यह जानते हैं कि आखिर जाने कमाते निर्धारित नहीं है जिससे व्यक्ति के कल्याण के अंदर यह व्यक्ति या परिवार की और बड़ी सीमा तक उसके भौतिक जीवन सामाजिक परिस्थितियों तथा आर्थिक प्रगति के परिवार की बनती है कि रास्ते की आज्ञा शक्ति राष्ट्रीय आय की गणना की आर्थिक प्रगति का ज्ञान होता है अर्थव्यवस्था में विभिन्न क्षेत्रों का योगदान एवं उनके साथ पिक्चर में थोड़ी जानकारी मिलते राष्ट्रीय आय के अनुमान के आधार पर राष्ट्रीय आय का अर्थ यह था कि आरती निष्पादित का मंदिर कहां पर है इससे देश के उत्पादन के साधनों द्वारा एक निश्चित अवधि के दौरान उत्पादक समस्त अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के मोदी मुरली के रूप में परिभाषित किया जाता है ध्यान रहे कि राष्ट्रीय आय में देश की अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के मुझे कोई शामिल किया जाता है अंतिम वस्तु या सेवा व्यवस्था होती है जिसका उत्पादन प्रक्रिया पूर्ण नहीं किया जा सकता है इसका उत्पादन प्रक्रिया पुणे पर शंकर नहीं किया जा सकता है साथ ही यह भी महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रीय आदेश के उत्पादन के सभी साधनों की आय का यो होती है कि देश के व्यक्तियों की आएगा 1 अप्रैल से 30 मार्च तक होता हैइ उत्पादन उत्पादन होता है देश के सभी साधन अपने संयुक्त प्रयास दवारा मूल्य के अंतिम वस्तु है तथा सेवाएं उत्पादित करते हैं देश में उत्तर ही सही मूल्य की मूर्ति का निर्माण होता है इसलिए वर्तिका सभी साधनों के स्वामियों को विस्तारित किया जाता है साधनों का मुख्य उनकी सेवाओं का पुरस्कार दिया जाता है उनको मजदूरी भुगतान मूर्ति के समान होता मूर्ति के समान होता है इस प्रकार घरेलू साधनाए का तालू देश की घरेलू शिव मंदिर पर होने वाली से आई है राष्ट्रीय आय के नए रूप होते हैं जिन्हें राष्ट्र एक रिक्वेस्ट है कि नहीं पदार्थों को मापने हेतु प्राइस सकल उत्पाद को अधिक उपयोग में लिया जाता है वित्त वर्ष दौरान देश की घरेलू सीमाओं में उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के मोदी मूल्यों का योग सकल घरेलू उत्पादन प्रति व्यक्ति आयएक अर्थ यह जनसंख्या में परिवर्तन के प्रभाव को सुनाया जाए फिर नहीं कर सकता जनसंख्या में परिवर्तन के प्रभाव को गणना में शामिल गाना में शामिल करना प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय आय की तुलना में आर्थिक कल्याण एवं आर्थिक विकास का उपयोग में अज्ञात राष्ट्रीयराष्ट्रीय आय बता गण जनसंख्या स्वतंत्रतास्वतंत्रता से पूर्व भार भारत में राष्ट्रीय आय की प्रथम गणना श्री दादा भाई नौरोजी द्वारा से 868 ईसवी में की गई है इन के पश्चात दादा डॉक्टर वीके आरवी राव आदि इत्यादि के द्वारा भी राष्ट्रीय आय के अनुमान लगाए जाते हैं इन सभी दोनों ने राष्ट्रीय आय की गणना
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