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Thursday, October 4, 2018

राजस्थान में परंपरागत जल संरक्षण के रूप निम्न प्रकार का है

बावड़ी चतुष्कोण इवॉल्वड कलाकार में निर्मित जल स्रोत से प्रवेश मार्ग से मध्य मार्ग तत्वों का प्रयोग किया गया है इनके आगे आंगन में भागवत ने इन भवन तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनी रहती है इस वीडियो को क्लास में है राम है राम भजन ओके होते हैं इन देशों में स्थानीय जल देवता की मूर्तियां होती है राजस्थान में बढ़िया का निर्माण में उपयोग सामाजिक व राज्य के सभी जिलों में मिलती है बावरिया राज्य के सभी जिलों में मिलती है बंद इस शेर को बावरिया के अधिकता के कारण स्वयं सिटी ऑफ स्टेप वेल्स कहा जाता है इसके अलावा जोधपुर की ताप्ती बावड़ी दौसा की बावड़ी चित्तौड़ की बावड़ी आभानेरी की चांद बावड़ी तालाब में जल वर्षा जल को एकत्रित किया जाता है जो पशुधन तथा मानव के पेय जल का स्रोत राधिका शाला भवन निर्माण डालूंगा के समीप किया गया इन तालाबों के निर्माण में दारू तथा सामाजिक भावना जुड़ी रहती है इस कारण का शिक्षण तथा सुरक्षा सकती है इस कारण इनका शिक्षण तथा सुरक्षा आसानी से हो जाती है राजस्थान के प्रमुख तालाब जो तत्कालीन समय में जल स्रोत नेपाली में हेमावास आला शरी तथा में जब भीलवाड़ा में बांध किया तथा सेनापति तालाब चित्तौड़ जिले में गड़ीसर गज राज्य में बहते हुए जल का संरक्षण करने में सर्वाधिक है सर्वाधिक प्रचलित स्रोत रही है इन जिलों का निर्माण स्थानीय शासन सहकार में बंजारों के द्वारा किया गया था जो पेयजल के साथ सिंचाई के साधन के रूप में भी प्रचलित रही है इन जिलों से निकाल के बताएं यह जांच पेयजल के साथ-साथ सिंचाई के साधन के मेरे निकाल के समीप के बागों में सिंचाई कार्य किया जाता है यदि ले जाओ स्थानीय आर्थिक तथा सामाजिक वहीं अकाल तथा सूखे में जीवनदायिनी तथाकथित सागर चुरू की ताल छापर जालौर की बाकली बांध टोंक रोड नगर पालिका सरदार समंद बूंदी की नव नव लखा जेल तथा राजसमंद की झील प्रसिद्ध है प्रसिद्ध है सामान्य के तालाब का छोटा रूप होता है पश्चिमी राजस्थान में पाई जाती है मैदानी भाग में वर्षा जल को एकत्रित किया जाता है सामान्य रूप से चार से पांच कैदी होती है नदियों की मिट्टी पश्चिम राजस्थान में परंपरागत जल संग्रहण का जल स्त्रोतों की प्रत्येक ग्रह चक्र खेत में भूमि में हेरा गड्ढा खोदकर बनाया जाता है इस के ऊपरी भाग को पत्थरों अथवा स्थानीय उपलब्ध संसाधनों से ढक दिया जाता है इसमें गैरों की p नागौर से आने वाले वर्षा जल का संग्रहण कर दिया जाता है इस के आंतरिक भाग में राज तथा बावरी का ले कर दिया जाता है जो जल्दी सांवली के कटाव को राजस्थान में जल स्वालंबन योजना तथा अन्य योजनाओं में टांका निर्माण किया जा रहा है हरियाणा में वर्षा जल संग्रहण का साधन एस करो सामंती टांके के समान ही है परंतु उसका परिवार टांके से बड़ा तथा कलाकार और खुला होता है जिसमें बहुत हुए वर्षा जल को जल को इसके आग और के माध्यम से कटा किया जाता है यह जो हर वस्तु तथा मानव के लिए पेयजल का उत्तम होता है
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