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Sunday, August 5, 2018

बिस्मार्क का विश्व में योगदान एवं युद्ध

1861ई़ में प्रशा फ्रेडरिक विलियम चतुर्थ की मृत्यु हो जाने पर 64वर्षीय विलियम प्रथम शासक बना। विलियम प्रथम वानमोल्टेक को प्रमुख सेनापति बनाया। तब इस गतिरोध को दुर करने के लिए विलियम प्रथम ने बिस्मार्क को अपना चांसलर नियुक्त किया। बिस्मार्क का मानना था कि 1848 से 1849ई़ तक का जो समय राष्ट्रवादियों ने वाद विवाद में समाप्त कर दिया वह उनकी भूल थी।बल्कि रक्त और लौह की नीति से सुलझ सकती थी।
1.डेनमार्क से युद्ध एवं गेस्टाईन सन्धि श्लेसविग हाँल्सटाइन दो डचियों पर डेनमार्क का अधिकार था।हाँल्सटाइन की अधिकांश जनसंख्या र्जमन थी,डेन लोग र्जमनी के एकीकरण का विरोधी थे। लेकिन 10वर्ष वाद ही 1863 ई़ डेनमार्क के शासक फ्रेडरिक ने इन दोनों रियासतों पर अधिकार कर लिया। इस प्रश्न पर बिस्मार्क को राजनीतिक योग्यता और कुटनीति कुशलता दिखाने का अवसर मिल गया। बिस्मार्क इस अवसर का लाभ उठाकर आस्ट्रिया को जर्मनी से बाहर करके जर्मन संघ को समाप्त करना चाहता था।जनवरी 1864ई़ में दोनों डचियों को लेकर प्रशा और आस्ट्रिया के मध्य समझौता हुआ।दोनों डचियों के अधिकार को लेकर 14अगस्त 1865ई़ को गेस्टाइन नामक स्थान पर विलियम और फ्रांसिस जोसफ दोनों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।।                 1.आस्ट्रिया प्रशा एवं प्राग की संधि इग्लैण्ड यूरोपीय राज्यों में हस्तक्षेप न करने की नीति पर चल रहा था। 1866ई़ में प्रशा और सार्डिनिया में समझौता हुआ जिसके अनुसार सार्डीनिया आस्ट्रिया के विरुद्ध युद्ध छेड़ता है तो वेनेशिया उसे दिलवा दिया जायेगा।लेकिन 3जुलाई 1866ई़ को सेडोवा कोनिग्राज का निर्णायक युद्ध हुआ।आस्ट्रिया व प्रशा के मध्य 23अगस्त 1866ई़ को प्राग की सन्धि हुई।।                                      
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