20अप्रैल 1627ई.को शिवाजी के दुर्ग मे शिवाजी का जन्म हुआ। शाहजी भोसले की प्रथम पत्नी जीजाबाई के पुत्र थे।शाहजी बीजापुर के एक सामंत थे, जिन्होंने तुकाबाई मोहिते नामक एक अन्य स्त्री से विवाह कर लिया था इसी कारण जीजाबाई उनसे अलग रहती थी। बालक शिवाजी का लालन-
पालन उनके स्थानीय संरक्षक दादाजी कोणदेव तथा जीजाबाई के गुरु समर्थ स्वामी रामदास की देखरेख में हुआ। जिन्होंने उन्हें मातृभूमि की रक्षा के लिए प्रेरित किया। दादाजी कोंणदेव से उन्होंने सेना और शासन की शिक्षा पायी थी। 12 वर्ष की अल्पायु में शिवाजी ने अपने पिता से पूना की जागीर प्राप्त की। सर्वप्रथम 1646 ई. में 19 वर्ष की आयु में उन्होंने कुछ मावले युवको का एक दल बनाकर पूना के निकट स्थित तोरण दुर्ग पर अधिकार कर लिया। 1646 ई. में ही उन्होंने बीजापुर के सुल्तान से रायगढ़, चाकन तथा 1647 ई. में बारामती, इन्द्रपुर, सिंहगढ़ तथा पुरन्दर का दुर्ग भी छीन लिया। 1656 में शिवाजी ने कोंकण में कल्याण और जावली का दुर्ग भी अधिकृत कर लिया। 1659 ई. में अफजल खाँ नामक अपने सेनापति को उनका दमन करने के लिए भेजा। संधिवार्ता के दौरान अफजल खाँ द्वारा धोखा देने पर शिवाजी ने बघनखे से उसका पेट फाड़ डाला। 1663 ई. में दक्कन के मुगल वायसराय शायस्ता खाँ को शिवाजी के दमनार्थ औरंगजेब ने नियुक्त किया, जिसने शिवाजी के केन्द्र स्थल पूना पर अधिकार कर लिया। लेकिन शीघ्र ही शिवाजी ने शायस्ता खाँ के शिविर पर रात्री में आक्रमण किया, जिसमें उसे अपना एक पुत्र और अपने हाथ की तीन उँगलियाँ गवांकर भागना पड़ा। 1664 ई. में शिवाजी ने मुगलों के अधीन सूरत को लूटा। इन सभी गतिविधियों से क्रूद्ध होकर औरंगजेब ने अपने मंत्री आमेर के राजा मिर्जा जयसिंह और दिलेर खान को भेजा। मुगल सेना ने उनके अनेक किले अधिकृत कर लिए। विवश होकर शिवाजी ने जयसिंह के साथ 1665 ई. में संधि कर ली जो पुरंदर की संधि के नाम से विदित है। इस संधि के निम्न प्रावधान थे- 1. शिवाजी ने अपने कुल 35 दुर्गो में से 23 मुगलों को सौंप दिये और मात्र 12 अपने पास रखे, और। 2. शिवाजी के बड़े पुत्र शम्भाजी को मुगल दरबार में पाँच हजारी मनसबदार बनाया गया। मई , 1666 ई. में शिवाजी को राजा जयसिंह द्वारा कैद कर लिया गया । लेकिन नवम्बर, 1616 ई में वह गुप्त कैद से भाग गए। 1680 ई. में शिवाजी की मृत्यु हो गई।
पालन उनके स्थानीय संरक्षक दादाजी कोणदेव तथा जीजाबाई के गुरु समर्थ स्वामी रामदास की देखरेख में हुआ। जिन्होंने उन्हें मातृभूमि की रक्षा के लिए प्रेरित किया। दादाजी कोंणदेव से उन्होंने सेना और शासन की शिक्षा पायी थी। 12 वर्ष की अल्पायु में शिवाजी ने अपने पिता से पूना की जागीर प्राप्त की। सर्वप्रथम 1646 ई. में 19 वर्ष की आयु में उन्होंने कुछ मावले युवको का एक दल बनाकर पूना के निकट स्थित तोरण दुर्ग पर अधिकार कर लिया। 1646 ई. में ही उन्होंने बीजापुर के सुल्तान से रायगढ़, चाकन तथा 1647 ई. में बारामती, इन्द्रपुर, सिंहगढ़ तथा पुरन्दर का दुर्ग भी छीन लिया। 1656 में शिवाजी ने कोंकण में कल्याण और जावली का दुर्ग भी अधिकृत कर लिया। 1659 ई. में अफजल खाँ नामक अपने सेनापति को उनका दमन करने के लिए भेजा। संधिवार्ता के दौरान अफजल खाँ द्वारा धोखा देने पर शिवाजी ने बघनखे से उसका पेट फाड़ डाला। 1663 ई. में दक्कन के मुगल वायसराय शायस्ता खाँ को शिवाजी के दमनार्थ औरंगजेब ने नियुक्त किया, जिसने शिवाजी के केन्द्र स्थल पूना पर अधिकार कर लिया। लेकिन शीघ्र ही शिवाजी ने शायस्ता खाँ के शिविर पर रात्री में आक्रमण किया, जिसमें उसे अपना एक पुत्र और अपने हाथ की तीन उँगलियाँ गवांकर भागना पड़ा। 1664 ई. में शिवाजी ने मुगलों के अधीन सूरत को लूटा। इन सभी गतिविधियों से क्रूद्ध होकर औरंगजेब ने अपने मंत्री आमेर के राजा मिर्जा जयसिंह और दिलेर खान को भेजा। मुगल सेना ने उनके अनेक किले अधिकृत कर लिए। विवश होकर शिवाजी ने जयसिंह के साथ 1665 ई. में संधि कर ली जो पुरंदर की संधि के नाम से विदित है। इस संधि के निम्न प्रावधान थे- 1. शिवाजी ने अपने कुल 35 दुर्गो में से 23 मुगलों को सौंप दिये और मात्र 12 अपने पास रखे, और। 2. शिवाजी के बड़े पुत्र शम्भाजी को मुगल दरबार में पाँच हजारी मनसबदार बनाया गया। मई , 1666 ई. में शिवाजी को राजा जयसिंह द्वारा कैद कर लिया गया । लेकिन नवम्बर, 1616 ई में वह गुप्त कैद से भाग गए। 1680 ई. में शिवाजी की मृत्यु हो गई।
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