भारत की 7516.6 किलोमीटर लम्बी समुद्री तट रेखा के साथ 12 प्रमुख तथा 187 के मध्य व छोटे पत्तन एवं बन्दरगाह है। बन्दरगाहों पर समुद्री जहाजों के रुकने, ईंधन लेने तथा सामानों को उतारने चढ़ाने का कार्य किया जाता है।स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात कच्छ में कांडला पत्तन पहले पत्तन के रूप में विकसित किया गया।ऐसा देश विभाजन से करांची पत्तन की कमी को पूरा करने तथा मुंबई से होने वाले व्यापारिक दबाब को पूरा करने के लिए था।कांडला एक ज्वारीय बन्दगाह है।यह जम्मू-कश्मीर, हिमालय प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान व गुजरात के औद्योगिक तथा कृषि उत्पादों के आयात-निर्यात को संचालित करता है।। मुम्बई पत्तन के अधिक परिवहन को ध्यान में रखकर इसके सामने जवाहरलाल नेहरू पत्तन विकसित किया गया । जो पूरे क्षेत्र को एक समूह पत्तन की सुविधा भी प्रदान कर सके।लौह अयस्क के निर्यात के संदर्भ में मारमागाओं पत्तन देश का महत्वपूर्ण पत्तन है। कर्नाटक में स्थित न्यू मैंगलौर पत्तन कुद्रमुख खानों से निकले लौह अयस्क को निर्यात करता है।सुदूर दक्षिण पश्चिम में कोच्ची पत्तन है, यह एक लैगुन के मुहाने पर स्थित है। प्राकृतिक पोताश्रम है।। पूर्वी तट के साथ तमिलनाडू में दक्षिण पूर्वी छोर पर तूतीकोरिन पत्तन है।यह एक प्राकृतिक पोताश्रम है तथा इसकी पष्ठभूमि भी अत्यंत समृद्ध है।अतः यह पत्तन हमारे पड़ोसी देशों जैसे श्रीलंका, मालदीव आदि तथा भारत के तटीय क्षेत्रों की भिन्न वस्तुओं के व्यापार को संचालित करता है।चेन्नई की गणना देश के प्राचीनतम बन्दरगाहों में की जाती है जबकि विशाखापट्टनम देश का सर्वश्रेष्ठ प्राकृतिक बन्दरगाह है। ओडिशा में स्थित पारा द्वीप पत्तन विशेषतः लौह अयस्क का निर्यात करता है। कोलकाता एक अंतः स्थलीय नदीय पतन है। यह सागर तट से 148 किलोमीटर अन्दर हूगली नदी के किनारे स्थित है।
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