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Thursday, October 4, 2018

रेल परिवहन

रेल परिवहन :-
                      भारत में  परिवहन वस्तुओं तथा यात्रियों के परिवहन का प्रमुख साधन है। रेल परिवहन के द्वारा व्यापार व लम्बी दूरी तक हल्के व भारी सामन का परिवहन किया जाता है। प्रमुख परिवहन के साधन में समावष्टि ,पिछले डेढ़ सौ वर्षों से भी अधिक समय से भारतीय रेल एक महत्वपूर्ण समन्वयक के रूप में जानी जाती है। भारतीय रेलवे देश की अर्थव्यवस्था ,उद्योगों व तीव्र विकास के लिए उत्तरदायी है। 31 मार्च 2016 के दिन भारतीय रेल परिवहन मार्ग की लम्बाई 67,312 किमी. थी। जिस पर 7133 स्टेशन थे तथा इनमे 9213 रेल इंजन ,53220 यात्री सेवा सेवा वाहन 6493 अन्य कोच वाहन तथा 2 लाख 29 हजार 3 सौ 81 गाड़ियां सम्मिलित थी।

  देश की प्रथम रेलगाड़ी का परिचालन 22 दिसम्बर 1851 को किया गया। भारतीय उपमहादीप में प्रथम रेलगाड़ी महाराष्ट्र में स्थित मुंबई व ठाणे के बीच लगभग 33.6 किमी. लम्बे रेलमार्ग पर 16 अप्रैल 1853 को चलाई गयी थी। 1951 में भारतीय रेल का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। भारत की पहली विद्दुत रेल "डेकन क्वीन" थी जिसे 1929 में गांव पुणे के बीच चलाया गया था। आज सम्पूर्ण देश में रेलों का सघन जाल बिछा हुआ है।

देश में अनेक प्रकार की रेल लाइन विध्यमान है। जिनमे बड़ी लाइन (ब्रॉडगेज ),छोटी लाइन (मीटरगेज )प्रमुख है। जहां प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता है और आर्थिक उत्पादों एवं भारी खनिजों यथा लौह अयस्क ,कोयला ,खनिज ,खनिज तेल  एवं उर्वरक का अधिकांश परिवहन बड़ी लाइनों द्वारा ही किया जाता है ,किन्तु औद्धोगिक प्रतिस्ठानों द्वारा कच्चे मालों का परिवहन छोटी लाइनों के माध्यम से  ही होता है। हालांकि छोटी लाइन का परिवहन अधिक समय लेने वाला व बहुत खर्चीला होता है। इन समस्याओं में निराकरण के लिए भारतीय रेलवे द्वारा यूनीगेज प्रोजेक्ट या एक समान रेलवे परियोजना 1992 में प्राम्भ की गयी थी जिसके अंतर्गत देश की सभी छोटी लाइनों को बड़ी लाइनों में परिवर्तित किया जाना है।

देश में रेल परिवहन में भू - प्राकृतिक ,आर्थिक व प्रशासकीय कारक प्रमुख है। देश में रेलमार्ग पहाड़ी क्षेत्रों ,समतल क्षेत्रों ,गुजरात  दलदली भाग, मध्यप्रदेश के वन क्षेत्र ,सुरंग इत्यादि से भी रेल मार्ग जुड़ते है ,जिससे सम्पूर्ण देश का कोना -कोना लगभग जुड़ गया है। आज राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में परिवहन में अन्य सभी साधनों की अपेक्षा रेल परिवहन प्रमुख हो गया है। यध्यपि रेल परिवहन समस्याओं से मुक्त नहीं है। बहुत से यात्री बिना टिकट यात्रा करते है। रेल सम्पति को हानि पहुंचाने तथा चोरी जैसी समस्याएं भी पूर्णतया समाप्त नहीं हुई है, जंजीर खींच कर यात्री कहीं भी अनावश्यक रूप से गाडी रोकते है ,जिससे रेलवे को भारी हानि उठानी पड़ती है।

रेलवे में बढ़ते यात्री व माल भार को देखते हुए लाइनों को दोहरीकरण ,विद्धुतीकरण एवं छोटी लाइनों को बड़ी लाइनों में बदलने का कार्य तेजी से विभिन्न परियोजनाओं के अंतर्गत किया जा रहा है। मालगाड़ियों के संचालन के लिए मालभाड़ा कॉरिडोर परियोजना (Dedicated front Coridor )के अंतर्गत 1534 किमी. दोहरा रेलमार्ग मुंबई से रेवाड़ी तक बनाया जा रहा है जो मुख्य तौर पर कंटेनर परिवहन की जरूरतों को पूरा करेगा।

  राजस्थान में भारत के कुल रेल मार्गों का लगभग 11 प्रतिशत भाग है। राजस्थान में मार्गो की कुल लम्बाई मार्च 2011 में 5784 किमी. थी जो देश के रेल मार्गों की कुल लम्बाई 63140 किमी. का 9.4 प्रतिशत था। राजस्थान के रेल मार्गों की कुल लम्बाई में ब्रॉडगेज का भाग 51.4 प्रतिशत है ,जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 71.4 प्रतिशत है। राजस्थान में 31 मार्च 2002 को प्रति हजार वर्ग किमी. में रेल मार्गों की औसतन लम्बाई 17.2 किमी. थी जबकि यह राष्ट्रीय स्तर पर 19.2 किमी. थी।

राज्य में मार्च 2011 में रेल मार्गों की कुल लम्बाई 5784 किमी. थी जिसमे ब्रोडगेज का भाग 68.37 प्रतिशत मीटरगेज का भाग 30.10 प्रतिशत तथा नैरोगेज का भाग 1.53 प्रतिशत था। राज्य में 31 मार्च 2008 को प्रति हजार वर्ग किमी. क्षेत्रफल में रेल मार्गों की औसतन लम्बाई 16.61 किमी. थी।

राजस्थान के प्रमुख रेल मार्ग निम्न है :-
1 जयपुर  - मुंबई रेल मार्ग
2 जोधपुर -  हावड़ा रेल मार्ग
3 दिल्ली  -  अहमदाबाद रेल मार्ग
4 उदयपुर  - दिल्ली रेल मार्ग
5 बीकानेर - दिल्ली रेल मार्ग
6 जयपुर -  दिल्ली रेल मार्ग
7 जयपुर -  गंगानगर रेल मार्ग
8 फुलेरा  -  दिल्ली रेल मार्ग
9 जयपुर -  सवाईमाधोपुर रेल मार्ग
10 जयपुर - आगरा रेल मार्ग
11 जयपुर - जम्मू तवी रेल मार्ग
12 जोधपुर - गुवाहाटी रेल मार्ग
13 जयपुर  - लुहारू रेल मार्ग
14 जयपुर  -  चैनई रेल मार्ग
15 जोधपुर -   हरिद्वार रेल मार्ग।  
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