जल परिवहन :-
जल परिवहन किसी भी देश को सबसे सस्ता यातायात प्रदान करता है क्योकि इसके निर्माण में परिवहन मार्गों का नहीं करना पड़ता है और केवल जल परिवहन के साधनों से ही यातायात किया जाता है। इतना अवश्य है कि इसके लिए प्राकृतिक अथवा कृत्रिम जलपूर्ण मार्ग आवश्यक होते है। भारत के लोग अनंतकाल से समुद्री यात्राएं करते रहे है। यहां नाविकों ने दूर तथा पास के क्षेत्रों में भारतीय संस्कृति व व्यापार को फैलाया है। जल परिवहन द्वारा भारी एवं स्थूलकाय वस्तुओं को ढोना अनुकूल है।यह परिवहन साधनों में ऊर्जा सक्षम तथा पर्यावरण अनुकूल भी है। हमारे देश में आंतरिक एवं समुद्रीय दोनों प्रकार का जल परिवहन किया जाता है। आन्तरिक जल परिवहन की दृष्टि से देश में प्राचीनकाल से ही नदियों के माध्यम से यातायात किया जाता था। वर्त्तमान में देश में लगभग 14500 किमी. लम्बा नौ संचालन जल मार्ग है ,जिसमे नदियां ,नहरें ,अप्रवाही जल यथा झीलें ,संकरी खाड़ियां इत्यादि शामिल है। देश की प्रमुख नदियों में 3700 किमी. लम्बे मार्ग का उपयोग किया जा रहा है।
नहरें 4300 किमी. लम्बे नौ संचालन मार्ग में मात्र 900 किमी. तक की दूरी नौकाओं द्वारा परिवहन के लिए उपयुक्त है। वर्तमान में आन्तरिक जल परिवहन के माध्यम से लगभग 160 लाख टन माल की ढुलाई प्रतिवर्ष की जा रही है।
भारत के 14500 लम्बे नौ संचालन जलमार्ग में से केवल 5685 किमी. मार्ग ही मशीनीकृत नौकाओं द्वारा तय किया जाता है। भारत के उत्तरी पूर्वी राज्यों में आंतरिक जलमार्ग परिवहन का महत्वपूर्ण साधन है।
राष्ट्रीय जल मार्ग :-
देश की गंगा ,हुगली ,यमुना ,ब्रह्मपुत्र ,नर्मदा ,ताप्ती ,भाण्डवी ,गोदावरी ,कृष्णा ,महानदी ,आदि नदियों द्वारा आंतरिक जलमार्ग की सुविधा उपलब्ध कराई गयी है।
निम्न जलमार्गों को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है :-
*हल्दिया तथा इलाहबाद के मध्य गंगाजल मार्ग जो 1620 किमी. लम्बा है।
*सदिया व धुवरी के मध्य 891 किमी. लम्बा ब्रह्मपुत्र नदी जल मार्ग।
*केरल के पश्चिम -तटीय नहर (कोटापुरम से कोल्ल्म तक ,उद्योग मंडल तथा चम्पकाश नहरें )205 किमी. लम्बा।
*काकीनाडा से भरकानन 1100 किमी. लम्बा जलमार्ग।
*मातई नदी ,महानदी के डेल्टा चैनल ,ब्रह्मणी नदी का विशेष विस्तार 588 किमी. लम्बा जलमार्ग।
कुछ अन्य जलमार्ग भी है जिन पर परिवहन होता है इसमें माण्डवी ,जुआरी ,और कंबरजुआ ,सुंदरवन ,बराक ,केरल का पश्च जल और कुछ नदियों का ज्वरीय विस्तार शामिल है।
देश की अधिकांश नदियां वर्षाकाल के अतिरिक्त समय में प्रायः जल की अल्पता का शिकार हो जाती है ,जिसके कारण उनमें परिवहन का कार्य रुक जाता है। भारत के भूतल परिवहन मंत्रालय द्वारा कराये गये सर्वेक्षण के अनुसार देश में 10 नदी मार्ग ऐसे है ,जहां वर्षभर पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध रहता है। ऐसे नदी मार्गों को ही राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है।
प्रमुख समुद्री पतन (बंदरगाह ) :-
बन्दरगाहों पर समुद्री जहाजों के रुकने ,ईंधन लेने तथा सामानों को उतारने चढ़ाने का कार्य किया जाता है। भारत की 7516. 6 किमी. लम्बी समुद्री तट रेखा के साथ 12 प्रमुख तथा 187 मध्य व छोटे पतन (बन्दरगाह )है। ये प्रमुख पत्तन देश स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात कच्छ में कांडला पत्तन पहले पत्तन के रूप में विकसित किया गया। ऐसा देश विभाजन से करांची पत्तन की कमी को पूरा करने तथा मुंबई से होने वाले व्यापारिक दबाव को कम करने के लिए था। कांडला एक जवरीय बन्दरगाह है। यह जम्मू - कश्मीर ,हिमाचल प्रदेश ,पंजाब ,हरियाणा ,राजस्थान व गुजरात के औद्योगिक तथा कृषि उत्पादों के आयत -निर्यात को संचालित करता है।
जल परिवहन किसी भी देश को सबसे सस्ता यातायात प्रदान करता है क्योकि इसके निर्माण में परिवहन मार्गों का नहीं करना पड़ता है और केवल जल परिवहन के साधनों से ही यातायात किया जाता है। इतना अवश्य है कि इसके लिए प्राकृतिक अथवा कृत्रिम जलपूर्ण मार्ग आवश्यक होते है। भारत के लोग अनंतकाल से समुद्री यात्राएं करते रहे है। यहां नाविकों ने दूर तथा पास के क्षेत्रों में भारतीय संस्कृति व व्यापार को फैलाया है। जल परिवहन द्वारा भारी एवं स्थूलकाय वस्तुओं को ढोना अनुकूल है।यह परिवहन साधनों में ऊर्जा सक्षम तथा पर्यावरण अनुकूल भी है। हमारे देश में आंतरिक एवं समुद्रीय दोनों प्रकार का जल परिवहन किया जाता है। आन्तरिक जल परिवहन की दृष्टि से देश में प्राचीनकाल से ही नदियों के माध्यम से यातायात किया जाता था। वर्त्तमान में देश में लगभग 14500 किमी. लम्बा नौ संचालन जल मार्ग है ,जिसमे नदियां ,नहरें ,अप्रवाही जल यथा झीलें ,संकरी खाड़ियां इत्यादि शामिल है। देश की प्रमुख नदियों में 3700 किमी. लम्बे मार्ग का उपयोग किया जा रहा है।
नहरें 4300 किमी. लम्बे नौ संचालन मार्ग में मात्र 900 किमी. तक की दूरी नौकाओं द्वारा परिवहन के लिए उपयुक्त है। वर्तमान में आन्तरिक जल परिवहन के माध्यम से लगभग 160 लाख टन माल की ढुलाई प्रतिवर्ष की जा रही है।
भारत के 14500 लम्बे नौ संचालन जलमार्ग में से केवल 5685 किमी. मार्ग ही मशीनीकृत नौकाओं द्वारा तय किया जाता है। भारत के उत्तरी पूर्वी राज्यों में आंतरिक जलमार्ग परिवहन का महत्वपूर्ण साधन है।
राष्ट्रीय जल मार्ग :-
देश की गंगा ,हुगली ,यमुना ,ब्रह्मपुत्र ,नर्मदा ,ताप्ती ,भाण्डवी ,गोदावरी ,कृष्णा ,महानदी ,आदि नदियों द्वारा आंतरिक जलमार्ग की सुविधा उपलब्ध कराई गयी है।
निम्न जलमार्गों को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है :-
*हल्दिया तथा इलाहबाद के मध्य गंगाजल मार्ग जो 1620 किमी. लम्बा है।
*सदिया व धुवरी के मध्य 891 किमी. लम्बा ब्रह्मपुत्र नदी जल मार्ग।
*केरल के पश्चिम -तटीय नहर (कोटापुरम से कोल्ल्म तक ,उद्योग मंडल तथा चम्पकाश नहरें )205 किमी. लम्बा।
*काकीनाडा से भरकानन 1100 किमी. लम्बा जलमार्ग।
*मातई नदी ,महानदी के डेल्टा चैनल ,ब्रह्मणी नदी का विशेष विस्तार 588 किमी. लम्बा जलमार्ग।
कुछ अन्य जलमार्ग भी है जिन पर परिवहन होता है इसमें माण्डवी ,जुआरी ,और कंबरजुआ ,सुंदरवन ,बराक ,केरल का पश्च जल और कुछ नदियों का ज्वरीय विस्तार शामिल है।
देश की अधिकांश नदियां वर्षाकाल के अतिरिक्त समय में प्रायः जल की अल्पता का शिकार हो जाती है ,जिसके कारण उनमें परिवहन का कार्य रुक जाता है। भारत के भूतल परिवहन मंत्रालय द्वारा कराये गये सर्वेक्षण के अनुसार देश में 10 नदी मार्ग ऐसे है ,जहां वर्षभर पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध रहता है। ऐसे नदी मार्गों को ही राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है।
प्रमुख समुद्री पतन (बंदरगाह ) :-
बन्दरगाहों पर समुद्री जहाजों के रुकने ,ईंधन लेने तथा सामानों को उतारने चढ़ाने का कार्य किया जाता है। भारत की 7516. 6 किमी. लम्बी समुद्री तट रेखा के साथ 12 प्रमुख तथा 187 मध्य व छोटे पतन (बन्दरगाह )है। ये प्रमुख पत्तन देश स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात कच्छ में कांडला पत्तन पहले पत्तन के रूप में विकसित किया गया। ऐसा देश विभाजन से करांची पत्तन की कमी को पूरा करने तथा मुंबई से होने वाले व्यापारिक दबाव को कम करने के लिए था। कांडला एक जवरीय बन्दरगाह है। यह जम्मू - कश्मीर ,हिमाचल प्रदेश ,पंजाब ,हरियाणा ,राजस्थान व गुजरात के औद्योगिक तथा कृषि उत्पादों के आयत -निर्यात को संचालित करता है।
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