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Tuesday, October 2, 2018

जल संसाधन

परिचय

जल प्रकृति की अनुपम देन है जो कि पृथ्वी पर समस्त क्रियाओ को गति प्रदान करता है।  पृथ्वी के समस्त भू - भाग में से 71 प्रतिशत जल तथा 29 प्रतिशत स्थल है। इस जल का 97 प्रतिशत भाग महासागरों में खारे पानी के रूप में तथा शेष 3 प्रतिशत जल उपयोग हेतु है।  इस जल का भी 69 प्रतिशत हिम रूप में तथा 30 प्रतिशत भूमिगत रूप में रहता है।  शेष 1 प्रतिशत जल का उपयोग मानव पेयजल ,सिंचाई तथा आर्थिक क्रियाओं के लिए करता है। 
भारत में कुल उपयोग योग्य जल की उपलब्धता 1869 बिलियन क्यूबीक  मीटर है इसमें से केवल 1123  बिलियन क्यूबीक मीटर जल ही उपयोग में लिया जाता है , इस मानव उपयोगी जल में से 690 बिलियन क्यूबिक मीटर सतही जल तथा 433 बिलियन क्यूबिक मीटर भू - जल का भाग है ,सन 2000 में भारत में जल की कुल आवश्यकता 634 बिलियन क्यूबिक मीटर तथा 2025 में यह मांग बढ़कर 1023 बिलियन क्यूबिक मीटर हो जाएगी।  तीव्र जनसंख्या वृद्धि तथा वैश्विक उष्णता के कारण जल का समुचित प्रबंधन तथा संरक्षण आवश्यक हो गया है।


जल प्रबंधन : -
                     वर्षा जल का अधिकांश भाग नदियों के माध्यम से समुद्रो में व्यर्थ में चला जाता है। इस व्यर्थ होने वाले जल का सदुपयोग बढ़ती जनसंख्या की मांग की पूर्ति हेतु एवं मानसून की अनियमितता व अनियमितता के कारण सूखे व अकाल से निपटने के लिए उचित प्रबंधन आवश्यक होता है। देश में आजादी के बाद विभिन पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से बहुउद्देश्यीय जल पिरयोजनाएँ आरम्भ की गयी ,जिससे बाढ़ व सूखे की समस्या से बचाव होने लगा,वहीं बिजली ,पेयजल आपूर्ति ,सिंचाई ,मछली पालन और पर्यावरण के संरक्षण में सहयोग मिला।  इन बहुउद्देशीय जल परियोजनाओं को देश के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू जी ने "आधुनिक भारत का मंदिर "कहा था।
भारत में इन परियोजनाओं का संचालन राज्यों तथा के सरकार के माध्यम से किया जाता है
1 . केंद्र सरकार के द्वारा महत्वपूर्ण योजनाओं जैसे भाखड़ा नांगल ,रिहन्द ,दामोदर ,हीराकुंड ,कोसी ,टिहरी परियोजना आदि का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
2 .  राज्य सरकारों के माध्य्म से चंबल परियोजना (मध्यप्रदेश व राजस्थान ),नागार्जुन सागर परियोजना (आंध्रप्रदेश ),तुंगभद्रा परियोजना (आंध्रप्रदेश व कर्नाटक ),सरदार सरोवर परियोजना (गुजरात ,मध्यप्रदेश व राजस्थान ),मयूराक्षी तथा फरक्का परियोजना (पं.बंगाल ),माही परियोजना (गुजरात तथा राजस्थान ),गण्डक परियोजना (बिहार तथा उत्तरप्रदेश ),मच्छकुण्ड परियोजना (आंध्रप्रदेश व उड़ीसा )जैसी विभिन्न परियोजनाओं को संचालित किया जा रहा है।



जल सरंक्षण के महत्वपूर्ण बिंदु :-

1 . पृथ्वी पर केवल एक प्रतिशत जल ही मानव के पेयजल ,सिंचाई तथा आर्थिक क्रियाओं के लिए उपयोगी है।
2 . जल प्रबंधन में जल के वितरण ,विकास व सुव्यवस्थित उपयोग के लिए की गयी सभी तकनीक ,योजनाएं सम्मिलित होती है जो जल की मांग व पूर्ती में सामंजस्य स्थापित करती है।
3 . जल सरंक्षण में वर्षा जल को स्थानीय स्तर पर संग्रहित करने के लिए अपनायी गयी तकनीक व विधियां होती है।
4 . जल स्वावलंबन में भू - जल तथा सतही जल का स्थानीय स्तर पर जल का प्रबंधन व सरंक्षण का आत्मनिर्भर होना है।
5 . भाखड़ा बांध जो कि  518.16 मीटर लम्बा तथा 167.64 मीटर ऊँचा है ,सीमेंट तथा कंकरीट से निर्मित विश्व के सीधे खड़े बांधों में सबसे बड़ा बांध है।
6 . हीराकुण्ड बांध जो कि विश्व का सबसे लम्बा अर्थात 4801 मीटर लम्बा है जिसमे 810 करोड़ घन मीटर जल संयचित होता है।
7 . भारत के प्रथम प्रधनमंत्री "जवाहरलाल नेहरू "ने देश की नदी घाटी परियोजनाओं को भारत का नवीन मंदिर बताया है।
8 . पिकअप बांध से विभिन्न बांधो से छोड़े जाने वाले पानी को रोकने का कार्य करता है ,इसके बाद समान रूप से वितरित किया जाता है।
9 . बैराज से तातपर्य जहां से सिंचाई के लिए नहरों को निकाला जाता है जैसे हैरिक बैराज तथा कोटा बैराज।
10 . इंदिरा गाँधी नहर - भारत ही नहीं एशिया की सबसे लम्बी मानव निर्मित नहर है जिसकी कुल लम्बाई 649 किमी है।
11 . पांचना बांध -करौली जिले के गुड़ला गांव के समीप पांच नदियों बरखेड़ा ,भद्रावती ,माची ,भैसावट ,तथा अटा के संगम पर मिटटी का बांध बनाया गया है।
12 . खड़ीन - खड़ीन वस्तुतः कृषि भूमि होती है जो जैसलमेर जिले में मध्यकाल में पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा अपनायी गई।  जलसरंक्षण तथा जल प्रबंधन की ऐसी तकनीक जो कृषि तथा पेयजल के लिए सर्वाधिक उपयुक्त मानी  गयी है।
13 . जोहड़ - शेखावाटी क्षेत्र सीकर ,झुंझुनू व चूरू वर्षा के जल संग्रहण का स्वरूप है।
14 . जल स्वावलंबन के उद्देश्य से भारत सरकार ने जल क्रांति अभियान तथा राजस्थान सरकार ने मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन कार्यक्रम आरम्भ किये है।


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