सूचना का अधिकार :-
भारत के संविधान ने हर नागरिक को बोलने की स्वतन्त्रता दे रखी है। जनता टैक्स देती है ,इसलिए जनता को यह जानने का अधिकार है कि उसके द्वारा चुकाई गयी रकम सही कामों पर खर्च हुई या नहीं ?कामों की गुणवत्ता कैसी है? सरकार की जनता के प्रति पूरी जवाबदेही है या नहीं ? किसी भी नागरिक द्वारा मांगने पर सरकारी अधिकारी /कर्मचारी द्वारा सूचना देनी होगी। सूचना /जानकारी लेना नागरिकों का अधिकार है ,यही सूचना का अधिकार है।
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 :-
लोकसभा द्वारा यह कानून 15 जून 2005 को पारित हुआ था राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून पुरे देश में 13 अक्टूबर 2005 से लागु हो चूका है। सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत देश के नागरिकों को निम्नलिखित अधिकार दिए गए है :-
1. हर नागरिक को यह अधिकार है की राज्य सरकार और केंद्र सरकार के किसी भी विभाग अथवा कार्यालय से वह सूचना प्राप्त कर सकता है।
1. हर नागरिक को यह अधिकार है की राज्य सरकार और केंद्र सरकार के किसी भी विभाग अथवा कार्यालय से वह सूचना प्राप्त कर सकता है।
2. कोई भी नागरिक दस्तावेज या रिकॉर्ड देख सकता है और दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियां ले सकता है।
3. कामों को भी देख सकेगा।
4. काम में आने वाली सामग्री के नमूने ले सकेगा।
5. कंप्यूटर ,सी.डी. या फ्लॉपी में भी सूचना ले सकेगा।
6. मझदूरी के मस्ट्रोल ,लॉग बुक टेण्डर के दस्तावेज ,कैश बुक विभाग की योजनाएं आदि की जानकारी लेने का अधिकार है।
सूचना प्राप्त करने का तरीका :-
कोई भी नागरिक जो सूचना लेना चाहता है उसे निर्धारित प्रपत्र पर आवेदन देना होगा। आवेदन पत्र के साथ 10 /रु. नकद या पोस्टल आर्डर के रूप में जमा करने होंगे।
1. अगर सूचना बड़े आकार के कागज की नकल की है तो अलग राशि देनी होगी।
2. सी.डी. या फ्लोपी के लिए 50/रु जमा कराने होंगें।
3. फोटोकॉपी 2/रु प्रति पृष्ठ की दर से देने होंगें।
4. रिकॉर्ड या दस्तावेज देखने के लिए 10/रु जमा कराने के बाद एक घन्टा नि:शुल्क रिकॉर्ड देख सकतें है ,उसके बाद हर 15 मिनट या उससे कम समय के लिये 5/रु देने होंगें।
5. आवेदन के 30 दिन के अन्दर सूचना प्राप्त कर सकेगा।
6. व्यक्ति के जीवन या स्वतन्त्रता के बारे में 48 घण्टे में सूचना प्राप्त कर सकेगा।
7. सहायक सूचना अधिकारी 35 दिन में सूचना मंगवाकर देगा।
8. समय अवधि के अंदर सूचना न मिलने पर सूचना देने से इनकार माना जायेगा।
सूचना नहीं देने पर जुरमाना अथवा पेनल्टी सूचना :-
सूचना देने वाला अधिकारी बिना किसी सही कारण के आवेदन लेने से मना करे ,जानबूझकर गलत या अधूरी या भ्रामक सूचना दे ,तो 250 /रु. रोजाना कुल 25000 /रु. तक के जुर्माने का प्रावधान है।
सूचना आयोग लोक सूचना अधिकारी के विरुद्ध अनुसाशनात्मक कारवाही की सिफारिश भी कर सकता है।
कौन सी सूचना नहीं मिल सकती है :-
1. राज्य की सुरक्षा संबंधी सूचना।
2. सुरक्षा रणनीति ,विज्ञानं एवं आर्थिक मामलों की गोपनीय जानकारी।
3. विदेशों से प्राप्त गोपनीय सूचना।
4. जिससे न्यायालय ,संसद या विधानसभा के अधिकार का हनन हो।
5. गुप्तचर ब्यूरो ,सीमा सुरक्षा बल ,अपराध या जिससे सुरक्षा को खतरा हों।
सूचना अधिकारी :-
1. ग्राम पंचायत में - सचिव या ग्राम सेवक।
2. पंचायत समिति में - विकास अधिकारी।
3. जिला परिषद में - मुख्य कार्यकारी अधिकारी।
4. नगरपालिका में - अधिशाषी अधिकारी।
5. राज्य सरकार द्वारा सहायता प्राप्त संस्था में - मुख्य कार्यकारी अधिकारी।
6. विश्वविद्यालय में - कुल सचिव।
7. सरकारी विभाग में विभागाध्यक्ष के अधीन वरिष्टतम अधिकारी।
8. शासन सचिवालय में - सचिव प्रशासन सुधार विभाग।
अपील का समय :-
लोक सूचना अधिकारी से सूचना मिलने के 30 दिन के अन्दर उच्च अधिकारी के समक्ष प्रथम अपील की जा सकती है।
अपील अधिकारी :-
ग्राम सेवक की अपील सरपंच को ,विकास अधिकारी अपील प्रधान को,अतिरिक्त कलेक्टर की अपील -जिला कलेक्टर को ,प्रथम अपील की जा सकती है। 30 दिन में सुनवाई नहीं होने पर दूसरी अपील राज्य सूचना आयोग को करनी होगी।
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