Free job alert,join indian army,sarkari ruselt,job alert,news,news hindi, news in hindi,aaj tak,aaj tak live,new movies

Tuesday, October 2, 2018

विविध जागरूकता

विविध जागरूकता :-

                               सर्वप्रथम फ़्रांस में गरीब ,निर्धन तथा कंगाल लोगों की कानूनी सहायता के  लिए कुछ कानून बनाये गए ,तब सन 1851 में  विधिक सहायता आंदोलन उजागर हुआ। ब्रिटेन में गरीब व जरूरत मंदों को कानूनी सहायता के लिए कुछ नियम सन 1944 में बनाये गए। न्याय के समान अवसर विषय पर भारत सरकार ने सन 1980 में राष्ट्रीय स्तर पर विधिक सेवा सहायता विषय पर नियम बनाने  लिए माननीय न्यायमूर्ति पी.एन. भगवती के निरिक्षण में एक कमेटी बनाई गई। विधिक सेवा सहायता कार्यक्रम को समस्त भारत में एकरूपता से लागू करने के लिए भारत सरकार ने सन 1987 में विधिक सेवा अधिनियम 1987 पारित किया। यह कानून सम्पूर्ण देश में 5 नवंबर 1995 से प्रभावी हुआ इसीलिए 5 नवंबर को राष्ट्रिय विधिक सेवा दिवस मनाया जाता है।
  विधिक सेवा अधिनियम 1987 के अधीन नागरिकों को समानता का अवसर देते हुए तथा न्यायिक व्यवस्था को उन्नत करने एवं आर्थिक विषमता को  कम करने के लिए अनेकों योजनाए लागू की गयी है।  गरीबी रेखा के निचे जीवन यापन करने वाले लोग ,अनुसूचित जाती ,अनुसुचित जनजाति ,आदिवासी ,विकलांग ,श्रमिक वृद्धजन ,महिलाओं ,बालकों तथा अन्य कमजोर वर्गों के लोगों को लाभ देने के लिए केंद्र सरकार व राज्य सरकारों ने कई जन कल्याणकारी योजनाए बना है।  दूर दराज गांवों ढाणियों में  रहने के कारण तथा अशिक्षा के कारण वे लोग इन कल्याणकारी  योजनाओं का लाभ नहीं  ले पाते है ,साथ ही नियमों ,कानूनों की आणविघ्यता के कारण आपराधिक कृत्य भी कर देते है।



*विधिक  सेवा प्राधिकरण के संस्थान :-
    1. राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण
    2. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण
    3. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण
    4. तहसील विधिक सेवा समितियां


     विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 के तहत गठित सेवा संस्थान द्वारा जनकल्याणकारी योजनाओं एवं संशोधित नियम कानूनों की जानकारी समाज के सभी नागरिकों तथा पहुंचाने का कार्य विधिक जागरूकता कहलाती है।


*राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण :-
                                                                 राजस्थान। में,राजस्थान राज्य  प्राधिकरण की स्थापना अधिनियम 1987  के अधीन की गयी है। जिसका मुख्यालय राजस्थान उच्च न्यायालय भवन जयपुर में स्थित है। माननीय मुख्यालय न्यायाधीश महोदय , राजस्थान उच्च न्यायालय इसके  सरंक्षक एवं वरिष्ठ न्यायाधीश इसके कार्यकारी अध्यक्ष होते है। जिनके निर्देश में पुरे में विधिक सेवा कार्यक्रमों का संचालन होता है।


*राजस्थान राज्य प्राधिकरण के मूल कृत्य :-
 1. राज्य प्राधिकरण का यह कृत्य होगा कि वह केंद्रीय सरकार  की नीति और निर्देशों को कार्यान्वित करें।
 2. ऐसे व्यक्तियों को विधिक सेवा देना ,जो इस अधिनियम के अधीन मानदण्डों  पूर्ती करतें है।
 3. लोक अदालतों का ,जिनके अंतर्गत न्यायालय के मामलों के  लिए लोक अदालतें  भी है ,संचालन करना।
 4. निवारक और अनुकलन विधिक सहायता कार्यक्रमो का जिंम्मा लेना।
 5. स्थायी लोक अदालतों का संचालन करना।
 6. वैकल्पिक विवाद निराकरण व्यवस्था।
 7. विधिक चेतना का प्रचार -प्रसार करना।
 8. ऐसे कृत्यों का पालन करना जो केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा निर्देशित किये जावे।
 
    राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा पैनल अधिवक्ता व दो पैरा लीगल वालिन्टियर्स की अधिक टीमें गठित की गयी है।


*विधिक जागरूकता करने के उपाय :-
1. न्यायिक अधिकाकारीगण व विधिक जागरूकता  द्वारा ,विद्दालय महाविद्यालय एवं सार्वजनिक स्थानों पर विधिक साक्षरता शिविरों का आयोजन किया जाता है।
2. 8 मोबाइल वेनों के माध्यम से गांव -गांव में सचल लोक अदालत एवमं विधिक जागरूकता अभियान चलाया जाता है।
3. आकाशवाणी ,दूरदर्शन व कम्युनिटेरेडियो पर नियमित "कानून की बात "साप्ताहिक कार्यक्रम का प्रसारण किया।  दूरदर्शन राजस्थान पर प्रत्येक शनिवार को सांय 7 बजे से 7:30 बजे तक एवं राजस्थान के सभी आकाशवाणी केंद्रों पर प्रत्येक रविवार को सांय 5:45 से 6 तक "कानून  की बात "का विधिक प्रसारण किया जा रहा है।
4. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा पर्चे व लघु पुस्तिकाएं छपवाकर वितरित करवाई जाती है।

अधिक जानकारी के लिये सम्पर्क करें
राजस्थान राज्य स्तर पर :-
                       
जिला स्तर पर -अध्यक्ष /सचिव ,जिला विधिक प्राधिकरण
तहसील स्तर पर -अध्यक्ष -तहसील विधिक सेवा समिति। 
Share:

Related Posts:

0 comments:

Post a Comment

Copyright © 2025 Free job alert | Powered by Blogger Design by ronangelo | Blogger Theme by NewBloggerThemes.com