राव चंद्रसेन का इतिहास :-
राव चन्द्रसेन का जन्म 16 जुलाई 1541 को हुआ। यह मालदेव झाला रानी स्वरूप दे का पुत्र था। स्वरूप दे ने मालदेव से कहकर चन्द्रसेन को मारवाड़ का युवराज बनवाया था। मालदेव की मृत्यु हुई तब 31 दिसंबर 1562 को चन्द्रसेन भाइयों में छोटा होते हुए भी मारवाड़ का शासक बना। इसी कारण राव चंद्रसेन के दोनों भाई उससे नाराज हो गए। बड़े भाई राम ने अकबर की शरण में जाकर शाही सहायता की प्रार्थना की ,अकबर भी इस समय इसी फ़िराक में था। अकबर ने शीघ्र ही हुसैन कुली खां के नेतृत्व में अपनी सेना जोधपुर की ओर भेजी ,जिसने मई 1564 में जोधपुर के किले पर अधिकार कर लिया। मारवाड़ के राजा चन्द्रसेन ने जोधपुर से भागकर भाद्राजूण में जाकर शरण ली। 1570 में अकबर द्वारा लगाए गए नागौर दरबार में चन्द्रसेन गया परन्तु वहां अकबर के व्यवहार एवं अपने प्रतिस्पर्धी उदयसिंह को देखकर नागौर दरबार छोड़कर वहां से वापस चला आया।इसका पता अकबर को चला तो उसने बीकानेर के राय सिंह को जोधपुर का अधिकारी नियुक्त कर दिया ,राव चन्द्रसेन को दबाने के लिए अकबर ने अपनी सेना भाद्राजूण भेजी। भाद्राजूण से चन्द्रसेन अपने भतीजे कल्ला (अपने भाई राम का पुत्र )के पास सोजत पहुंचा। यहां पर भी उसका पीछा करते हुए मुगल सेना आ गयी। राव चन्द्रसेन वहां से सिवान (बाड़मेर )पहुंचा। सिवान से चन्द्रसेन सारण के पहाड़ों (पाली )में संचियाय नामक स्थान पर पहुंचा जहां 11 जनवरी 1581 को उसका देहांत हो गया। वहीं पर चन्द्रसेन की समाधि बनी हुईं है। राव चन्द्रसेन नायक ,भूला बिसरा राजा आदि नामों से भी जाना जाता है।
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