भारत में बाढ़ से प्रति वर्ष 2000 से अधिक जाने जाती है। जब भारी अथवा निरन्तर वर्षा के कारण नदियों का जल अपने तटबंधों को तोड़कर बहुत बड़े क्षेत्र में फैल जाता है तो उसे बाढ़ कहते हैं।वर्षा ऋतु में वर्षा का यह असमान वितरण भारत में प्राकृतिक आपदाओं का कारण बनती है।प्रत्येक वर्ष भारत के किसी क्षेत्र में बाढ़ आती है।भारत में 4 करोड़ हैक्टर क्षेत्र को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र माना जाता है।। अपने विशाल आकार एवं मानसुनी जलवायु के कारण ये दोनों प्राकृतिक आपदाएं भारत को प्रभावित करती हैं भारतीय जनमानस अपने स्वभाव व सहज संतोषी वृति के कारण ईश्वरीय प्रकोप मानकर सदियों से इन आपदाओं को सहता आ रहा हैं।। बाढ़ के कारण
भारी वर्षा के चलते नदी जलग्रहण क्षेत्र में प्रभावित जल को पर्याप्त प्रवाह मार्ग उपलब्ध नहीं होने से साथ बहकर चारों ओर फैलाने लगता है।वर्षा ऋतु में पानी के साथ बहकर आये अवसाद नदी मार्ग को संकड़ा व उथला कर देते हैं जिसके कारण पानी किनारों के बाहर फैल कर बाढ़ की शक्ल ले लेता है।धरातल से वनों का व चरागाहों के लगातार विनाश भी इसके लिए जिम्मेदार है।इनके अतिरिक्त नदी प्रवाह मार्गों का निर्माण, परम्परागत जलग्रहण क्षेत्रों को नष्ट करना तथा प्राकृतिक रूप से जल प्रवाह स्वरूप की उपेक्षा कर निर्माण कार्य बाढ़ के कारण बनते है। ।। भारत में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र
भारत के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र वर्षा के वितरण से निर्धारित है। भारत में बाढ़ो से होने वाली 90 प्रतिशत से अधिकक्षति उत्तरी एवं उत्तरी पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में होती है। भारत के उत्तर-पश्चिम में बहने वाली नदियां सतलज, व्यास, रावी,चिनाब व झेलम से बाढ़ की भयंकरता कम होती है जबकि पूर्व में बहने वाली गंगा, यमुना, गोमती, घाघरा व गंडक आदि नदियों से अपेक्षाकृत अधिक बाढ़ आती है। 80लाख हैक्टर क्षेत्र बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित होता है। 35 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में फसलें नष्ट हो जाती है। 3 करोड़ हैक्टेयर क्षेत्र में जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है।आर्थिक रूप से लगभग एक हजार करोड़ रूपयों की हानि प्रतिवर्ष देश में होती है।बाढ़ का सर्वाधिक प्रभाव पशुधन पर पड़ता है।लगभग 12 लाख पशुधन को हानि उठानी पड़ती है। 12 लाख से अधिक मकान क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। । ।। 1.व्यत्तिगत स्तर पर । 2.