राजस्थान की पर्यटन नीति :-
राजस्थान सरकार ने राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन नीति की घोषणा की है। राजस्थान सरकार द्वारा प्रथम नीति 2001 में घोषित की गई।
प्रथम पर्यटन नीति 2001 - राजस्थान की प्रथम पर्यटन नीति के निर्धारित किये गए उद्देश्य निम्न है :-
1. समृद्ध पर्यटन संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग।
2. गाँवो में रोजगार सृजन।
3. समृद्ध एवं विविध हैण्डीक्राफ्ट विकसित करना।
4. पर्यटन को जन - जन का उद्योग बनाना।
5. सामाजिक व आर्थिक विकास में पर्यटन के योगदान बढ़ाना।
राज्य की प्रथम पर्यटन नीति में इस बात पर बल दिया गया कि राज्य की समृद्ध हस्तशिल्प और कुटीर उद्योगों के उत्पाद की बिक्री तथा कलाकारों के सामाजिक आर्थिक उत्थान के लिए राज्य सरकार अभिप्रेरक ( as motivaters ) की भूमिका निभाएगी। पर्यटन इकाइयों की स्थापना के लिये कृषि भूमि को आरक्षित दरों के एक - चौथाई दाम पर अधिकतम चार बीघा भूमि के आवंटन का प्रावधान किया गया। नये होटलों को शहरी सीमा में भूमि खरीदने पर पंजीयन शुल्क में छूट का प्रावधान किया गया। इसके अलावा नई पर्यटन इकाइयों को 5 वर्ष तक के लिये विलासिता शुल्क लेने का प्रावधान किया। राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ब्याज और मनोरंजन कर में छूट का प्रावधान किया गया। प्रथम पर्यटन नीति का आकर्षक पहलू स्थानीय निवासियों को रोजगार मुहैया कराना है इस नीति में अकुशल कार्यशक्ति की शत - प्रतिशत भर्ती स्थानीय स्तर पर करना सुनिश्चित किया गया।
होटल नीति 2006
राजस्थान में होटलों में जगह की मांग व आपूर्ति के बीच अंतर को पाटने के उद्देश्य से और भविष्य में पर्यटकों की वृद्धि की संभावना को दृष्टिगत रखते हुए राज्य सरकार द्वारा होटल नीति 2006 की घोषणा की गयी। इस नीति में निम्न बातों को सम्मिलित किया गया है -
1. राज्य सरकार ने होटलों के लिए भूमि बैंक की स्थापना की घोषणा की।
2. होटलों एवं आवास सुविधा की आधारभूत सरंचना हेतु भूमि उपलब्ध कराने में जयपुर विकास प्राधिकरण ,स्थानीय निकाय ,ग्राम पंचायतों के अधिकारी तथा जिला कलेक्टरों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
3. नई होटल नीति में होटलों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है इसमें एक ,दो,तीन,सितारा का क्षेत्रफल 1200 वर्गमीटर तक , 4 सितारा होटल का 6000 वर्ग मीटर तक तथा 5 सितारा एवं ऊपर की श्रेणी का 18000 वर्ग मीटर तक क्षेत्रफल रखा गया है।
4. राज्य सरकार ने होटल की जमीन की बिक्री के लिए विशेष आरक्षित कीमत की घोषणा की जिसकी पालना स्थानीय संस्थाओं को करनी होती है
5. नई होटल नीति में होटल की जमीन लेने में होटल वालों / टूर - ऑपरेटर को प्राथमिकता दी जायेगी। भूमि क्रेताओं को भूमि परिवर्तन चार्जेज में 100 प्रतिशत छूट एवं मनोरंजन कर में 100 प्रतिशत छूट मार्च 2010 तक दी जाएगी। इसके अलावा होटल निर्माताओं को जलापूर्ति ,गृहकर आदि में रियायत दी जाएगी।
सरकार हेरिटेज होटल्स की स्थापना को प्रोत्साहन देगी।
राजस्थान सरकार ने राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन नीति की घोषणा की है। राजस्थान सरकार द्वारा प्रथम नीति 2001 में घोषित की गई।
प्रथम पर्यटन नीति 2001 - राजस्थान की प्रथम पर्यटन नीति के निर्धारित किये गए उद्देश्य निम्न है :-
1. समृद्ध पर्यटन संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग।
2. गाँवो में रोजगार सृजन।
3. समृद्ध एवं विविध हैण्डीक्राफ्ट विकसित करना।
4. पर्यटन को जन - जन का उद्योग बनाना।
5. सामाजिक व आर्थिक विकास में पर्यटन के योगदान बढ़ाना।
राज्य की प्रथम पर्यटन नीति में इस बात पर बल दिया गया कि राज्य की समृद्ध हस्तशिल्प और कुटीर उद्योगों के उत्पाद की बिक्री तथा कलाकारों के सामाजिक आर्थिक उत्थान के लिए राज्य सरकार अभिप्रेरक ( as motivaters ) की भूमिका निभाएगी। पर्यटन इकाइयों की स्थापना के लिये कृषि भूमि को आरक्षित दरों के एक - चौथाई दाम पर अधिकतम चार बीघा भूमि के आवंटन का प्रावधान किया गया। नये होटलों को शहरी सीमा में भूमि खरीदने पर पंजीयन शुल्क में छूट का प्रावधान किया गया। इसके अलावा नई पर्यटन इकाइयों को 5 वर्ष तक के लिये विलासिता शुल्क लेने का प्रावधान किया। राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ब्याज और मनोरंजन कर में छूट का प्रावधान किया गया। प्रथम पर्यटन नीति का आकर्षक पहलू स्थानीय निवासियों को रोजगार मुहैया कराना है इस नीति में अकुशल कार्यशक्ति की शत - प्रतिशत भर्ती स्थानीय स्तर पर करना सुनिश्चित किया गया।
होटल नीति 2006
राजस्थान में होटलों में जगह की मांग व आपूर्ति के बीच अंतर को पाटने के उद्देश्य से और भविष्य में पर्यटकों की वृद्धि की संभावना को दृष्टिगत रखते हुए राज्य सरकार द्वारा होटल नीति 2006 की घोषणा की गयी। इस नीति में निम्न बातों को सम्मिलित किया गया है -
1. राज्य सरकार ने होटलों के लिए भूमि बैंक की स्थापना की घोषणा की।
2. होटलों एवं आवास सुविधा की आधारभूत सरंचना हेतु भूमि उपलब्ध कराने में जयपुर विकास प्राधिकरण ,स्थानीय निकाय ,ग्राम पंचायतों के अधिकारी तथा जिला कलेक्टरों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
3. नई होटल नीति में होटलों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है इसमें एक ,दो,तीन,सितारा का क्षेत्रफल 1200 वर्गमीटर तक , 4 सितारा होटल का 6000 वर्ग मीटर तक तथा 5 सितारा एवं ऊपर की श्रेणी का 18000 वर्ग मीटर तक क्षेत्रफल रखा गया है।
4. राज्य सरकार ने होटल की जमीन की बिक्री के लिए विशेष आरक्षित कीमत की घोषणा की जिसकी पालना स्थानीय संस्थाओं को करनी होती है
5. नई होटल नीति में होटल की जमीन लेने में होटल वालों / टूर - ऑपरेटर को प्राथमिकता दी जायेगी। भूमि क्रेताओं को भूमि परिवर्तन चार्जेज में 100 प्रतिशत छूट एवं मनोरंजन कर में 100 प्रतिशत छूट मार्च 2010 तक दी जाएगी। इसके अलावा होटल निर्माताओं को जलापूर्ति ,गृहकर आदि में रियायत दी जाएगी।
सरकार हेरिटेज होटल्स की स्थापना को प्रोत्साहन देगी।
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